किशनगंज /राजेश दुबे
वक्फ कानून लागू होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान लगातार मुस्लिम समुदाय को गोलबंद करने लिए भड़काऊ बयान दे रहे है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि तुम्हारी दाढ़ी और टोपी नोची जा रही है ,तुम्हारे बहन बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है अगर अभी भी एकजुट नहीं हुए तो कब्रिस्तानों में लाश को दफनाना भी मुश्किल हो जाएगा ।अख्तरुल ईमान ने भाजपा नेताओ की तुलना जालिमों से करते हुए कहा कि हमें जालिमों और इन देशी अंग्रेजी से आजादी चाहिए।
अख्तरुल ईमान ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के खून से होली खेलना चाहते है इसीलिए यह कानून लाया गया। वो यही नहीं रुके और गोधरा,बाबरी मस्जिद एवं बिल्किस बानो का भी जिक्र किया और कहा कि गोधरा में मुसलमानों की हत्या करवा कर नरेंद्र मोदी दिल्ली पहुंचे और भाजपा बाबरी मस्जिद तुड़वा कर 288 सीटों तक पहुंची ।
अख्तरुल ईमान ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आर एस एस और बीजेपी डर का माहौल बना कर रखना चाहती है लेकिन हम डरेंगे नहीं। वही उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के मुसलमान नेताओं पर भी तंज कसते हुए कहा कि ये लोग बेगैरत है जो आज भी जेडीयू में है ।
उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता अभी भी जेडीयू में है तो उसके अंदर ग़ैरत नाम की कोई चीज नहीं है।वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे कुछ टोपी वाले नेता उन्हें आज भी सेकुलर मानते है लेकिन जब तीन तलाक, एनआरसी कानून लागू हुआ उस दौरान भी नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे।अख्तरुल ईमान ने बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी का बचाव करते हुए कहा कि यह सोची समझी साजिश के तहत ममता बनर्जी को बदनाम करने के लिए हिंसा करवाया गया है ।
अगर सही तरीके से जांच होगी तो इसमें भी सांप्रदायिक ताकतों का हाथ सामने आएगा।वही जब उनसे पूछा गया कि आप पर भड़काऊ बयान देने का आरोप लग रहा है तो उन्होंने कहा कि अपने हिफाजत की बात करना कोई भड़काऊ भाषा नहीं है ।उन्होंने कहा कि कोई माई का लाल नहीं कह सकता है कि हमने कभी किसी समुदाय के खिलाफ कोई गलत बयान दिया हो ।
उन्होंने कहा कि जो लोग हमारे ऊपर जुल्म करना चाहते है वो इस तरह का आरोप लगाते है। वही रैली और सभाओं में लग रहे आजादी के नारों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें इस काले कानून और देश में नफरत फैलाने वालों से आजादी चाहिए ।उन्होंने कहा कि इस काले कानून से आजादी की लड़ाई जो नहीं लड़ता वो कायर है।यही नहीं उन्होंने आगे कहा कि सीमांचल के मुसलमान यदि बांग्लादेश -पाकिस्तान युद्ध के दौरान करवट लेते तो हम पाकिस्तान का हिस्सा होते और आज असम अलग होता ।




