किशनगंज/प्रतिनिधि
जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। इसी के तहत जिले के प्रसव वार्ड में कार्यरत एएनएम और जीएनएम को 21 दिवसीय स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट (एसबीए) प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण 26 अक्टूबर को शुरू हुआ था और 15 नवंबर को समाप्त हुआ। प्रशिक्षण का आयोजन सदर अस्पताल सभागार में किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों से 12 स्वास्थ्य कर्मी, जिनमें एक-एक एएनएम और छह जीएनएम शामिल थे, ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और प्रमाण-पत्र वितरण
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रसव से जुड़ी जटिलताओं का कुशल प्रबंधन करना और मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। प्रशिक्षण के समापन पर प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन के हाथों वितरित किए गए।

प्रशिक्षण में सिखाए गए महत्वपूर्ण विषय
एसबीए प्रशिक्षण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों को थ्योरी और प्रैक्टिकल माध्यमों से प्रशिक्षित किया गया। इसमें प्रसव पूर्व देखभाल, प्रसव के दौरान जटिलताओं का प्रबंधन, नवजात शिशु की देखभाल, प्रसव उपरांत रक्तस्राव (पीपीएच), एंक्लैम्प्सिया, और संक्रमण नियंत्रण जैसे विषय शामिल थे। साथ ही बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन और एनीमिया प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
सेवाओं को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़ा कदम
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़ा कदम है। प्रशिक्षित कर्मी प्रसव के दौरान संभावित जटिलताओं का समय पर प्रबंधन कर सकते हैं, जिससे सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया जा सके और मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में यह प्रशिक्षण मील का पत्थर साबित होगा
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद की अवधि का कुशल प्रबंधन सिखाया गया। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में यह प्रशिक्षण मील का पत्थर साबित होगा।
जन-जागरूकता की जरूरत
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने प्रतिभागियों को बधाई दी और कहा कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी संस्थागत प्रसव की आवश्यकता और लाभों के बारे में समुदाय को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि यह पहल जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित होगी।






























