सुशील
आम जनता को किसी मुद्दे पर जागरूक करना हो, या फिर सत्ता में प्राण प्रतिष्ठित मठाधीश को उनके ही क्षेत्रीय समस्याओं से अवगत कराना हो…
या फिर अफसरशाही की भेंट चढ़े लोक लुभावन योजनाओं की बात हो..
ऐसे में याद आते हैं निडर और बेबाक पत्रकार।
जो समस्या को “मैनेज” करने के बजाय उन्हें उजागर करना ही अपना फर्ज समझते हैं।
आज जब हम अपने समाज मे मौजूद समस्याओं को देखते हैं तो पाते हैं कि इन तमाम व्याप्त मुद्दों के नाम पर वोट बैंक खड़ा कर चुके वे लोग जब असल समय मे समस्याओं के निर्मूलन की बात आती है तो वे आँख मूंद कर मुँह फेर लेते हैं।
ऐसे में यदि पत्रकारिता धर्म का निर्वहन कर रहे पत्रकार को यदि किसी सहयोग की आवश्यकता होती है तो वह समाज के उन तमाम वर्गों की ओर आस लगाए रखता है जिनसे उन्हें नैतिक सहयोग की आशा रहती है।
वास्तव में हमने “सहयोग” शब्द को इतना स्वार्थी बना दिया है कि जहाँ सहयोग की बात उठती है आम बोलचाल इसे वित्तीय सहयोग ही समझ लेता है।
वित्तीय सहयोग को दरकिनार करते हुए एक बात समझना अत्यंत आवश्यक है, सहयोग जो मनोबल और नैतिकता बढ़ाए, बाहुबल और धनबल से अत्यधिक शक्तिशाली होता है।
अतः हम न्यूज़ लेमनचूस की टीम आपसब के प्रेम एवम “सहयोग” के लिए आप सभी पाठकों का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। साथ ही यह पूर्ण विश्वास भी दिलाते हैं कि हम आपको निराश नहीं करेंगे।
हमने सुरजापुरी भाषा मे न्यूज़ बुलेटिन शुरू करने की सोची है , क्योंकि जबतक इसके प्रयोग में व्यापकता नही आएगी यह सिमटी हुई ही रहेगी।
साथ ही हमारा ध्येय उन तमाम समस्याओं और उनके जड़ में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा अपराध संस्कृति पर चोट करना होगा जो किसी भी रूप से हमारे समाज को खोखला किये जा रही है।
हमारे साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
