बहादुरगंज /किशनगंज/निशांत
बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो चूका है। जिले की चारों विधानसभा सीट पूरे चुनाव के दौरान खूब चर्चा में रहे, लेकिन बहादुरगंज विधानसभा पर हर बार की तरह इस बार भी सभी की निगाह टिकी हुई है।वर्तमान मे यहाँ से राजद पार्टी के अंजार नईमी विधायक थे।लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में यह सीट चली गई जिस वजह से उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया और कांग्रेस ने मुसब्बिर आलम को मैदान में उतारा था।
वहीँ एआइएमआइएम पार्टी ने तौसीफ़ आलम, एनडीए गठबंधन की ओर से लोजपा आर ने मो कलीमुद्दीन तो जन सुराज ने बागी नेता वरुण सिंह को उतारा है। जहां चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों पर यहां के वोटरों ने अपना फैसला मताधिकार का प्रयोग करते हुए दिया है। वोटरों के पसंद और नापसंद की स्थिति तो 14 नवंबर को मतगणना के बाद सामने आएगी। वही उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम मे कैद हो चुका है।
लेकिन मैदान में अंत तक डटे रहे निर्दलीय प्रत्याशी के बीच एनडीए, महागठबंधन, एआइएमआइएम और जन सुराज के मतदाताओं द्वारा डाले गए वोट के आंकड़ों मे उलझ गए हैं। प्रत्याशी बूथों पर तैनात पोलिंग एजेंट और मतदान केंद्र से पोलिंग एजेंट को मिले 17 सी प्रपत्र के आधार पर आंकड़ों का जोड़ घटाव कर रहे हैं।
उम्मीद के अनुरूप वोटरों ने उन्हें कितना वोट दिया इसका आंकड़ा पोलिंग एजेंट के द्वारा मतदाता सूची पर चिन्हित किए गए वोटरों के अवलोकन के साथ-साथ जातीय आंकड़ों और समर्थन के लिए वोटरों के आश्वासन के आधार पर अपनी किस्मत की लकीर को छोटा एवं बड़ा के रूप में देख रहे हैं।
महागठबंधन,एनडीए, एआइएमआइएम और जन सुराज के खेमे में आंकड़ों का जोड़ घटाव के अलावा चुनाव लड़ने वाले अन्य राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के उम्मीदवारों और उनके समर्थकों में भी दिनभर जोड़ घटाव होता रहा।
वही किसे कितना वोट मिलेगा यह मतगणना के बाद साफ हो जाएगा। उधर चौक चौराहे और चाय की दुकान पर यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर इस चुनाव में जीत कौन रहा है। कौन सा दल सबसे अधिक वोट लेने में कामयाब रहा। इतना ही नहीं बिहार में किस गठबंधन की सरकार बनेगी यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
जहां लोगों का ध्यान एक खास जाति व धर्म के लोगों के गांव मे हुए वोटिंग के प्रतिशत पर टिकी है। बहादुरगंज विधानसभा में इस बार मतदाताओं के उत्साह ने चुनावी गणित को और रोचक बना दिया है। जिस कारण प्रत्याशियों के साथ ही समर्थकों में भी अपनी जीत को लेकर संशय बना हुआ है कि आखिर जीत किसकी होगी।



























