फिर कुसहा ?

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कुमार राहुल

गोपालगंज में करोड़ों की लागत से बनी पुल हाल ही में ढह जाने का सरकारी खजाने को तो बड़ा नुकसान हुआ ही !इससे हजारों लाखों लोगों के सपने भी टूट गए! युवाओं के पास उम्मीद और सपने हैं ,जो आज न सही आने वाले 5 – 10 साल में फिर से पुल देख सकेंगे ।

लेकिन उन बुजुर्गों का क्या, जिन्होंने पिछले कई दशकों से इस पुल के तैयार होने की बाट जोह रहे थे ,उनके दिल के अरमा बाढ़ के पानी के साथ बह गए! देश के पूर्वोत्तर राज्यों में असम एक बार फिर बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है । वहां अभी तक 100 से अधिक लोगों की मौत बाढ़ से हो चुकी है! कई पुलों को बाढ़ अपने साथ बहा ले गई है ।

अभी तो जुलाई खत्म नहीं हुई ,अगस्त बाकी है! दिल्ली में हुई तेज बारिश और पानी के रेत ने एक मकान को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया !गुजरात और महाराष्ट्र के कई हिस्से बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं !

कोशी बराज


देश के बाकी हिस्से में आज बाढ़ कल नहीं है ! लेकिन बिहार में बाढ़ की फेहरिस्त लंबी है
कभी दस्तक तो कभी तबाही है बाढ़ के बाद दिसंबर तक मेंढक की आवाज देती सुनाई है !
कभी दूर तक पानी ही पानी तो कभी कुदरत ने दूर तक रेत की चादर फैलाई है !
12 वर्ष पुराने जख्म अभी भरे नहीं
एक बार फिर कुशहा दोहराने की खबर आई है !!

जी हां ! दस्तक इसलिए कि इसकी आवाज हुक्मरानों को तब सुनाई देती है, जब काफी देर चुकी होती है !एक पिददी सा देश नेपाल जो काफी हद तक भारत के रहमों करम पर गुजारा करता है, आज चीन की गोद में बैठ कर आंखें तरेर ने लगा है ! 19 जुलाई.2020 किशनगंज बॉर्डर में नेपाली फोर्स ने एक आदमी को गोली मार दी !इससे पहले भी नेपाली सेना भारतीयों के अपहरण और हत्या का हिमाकत कर चुका है !साथ ही बीच-बीच में खबर आती है ,कि नेपाल बांध के कई गेट खोल देना चाहता है! क्योंकि कुसहा बांध के नेपाली क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से नेपाल के अपने क्षेत्र डूबने की स्थिति में है !खबर लिखे जाने के दौरान कोशी बराज के 44 गेट के खोले जाने की सूचना है ।


पीएम केपी शर्मा ओली कुसहा बांध के सभी गेटों को खोल सकता है, क्योंकि इन दिनों चीन और भारत के बीच संबंध शत्रुता चरम पर है ,और अभी चीन की खुशी ही नेपाल की खुशी है ।


इससे पहले नेपाल बांध और तटबधो को ठीक करने में भी बिहार के इंजीनियरों को रोक चुका है । ऐसे मैं अगर अगस्त 2008 जैसी कुसहा वाटर रिलीज की पुनरावृत्ति होती है तो कोरोना वायरस से जूझ रहे बिहार की स्थिति की कल्पना कर ही रूह कांप जाती है!

17.. 18 अगस्त 2008 की बाढ़ और त्रासदी को कवर करने के लिए विश्व भर की मीडिया आई थी !लेकिन उस वक्त सबसे विस्फोटक खबर जिस ने दी थी वह थे सहारा समय न्यूज़ रिपोर्टर शाहनवाज अख्तर, जिन्होंने कुसहा बांध के चीफ इंजीनियर का स्टिंग ऑपरेशन किया था, उसमें यह खुलासा हुआ था, कि चीफ इंजीनियर ने केंद्र और राज्य सरकार को कई बार त्राहिमाम लेटर लिखा ,कितने लेटर केंद्र सरकार को भेजे गए कि किस तरह नेपाल के उस जिले के डीएम उनके साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं ।

उस वक्त केंद्र और राज्य सरकार ने भी चीफ इंजीनियर का सहयोग नहीं किया था ।

इस रिपोर्ट से एक बात का और खुलासा हुआ कि नेपाली पुलिस की बांध में निगरानी बहुत खतरनाक है, जो मौका देखकर बांध को नुकसान पहुंचा सकते हैं, आज भी हालात ऐसे ही हैं ,बांध में पानी का दबाव बढ़ रहा है सुपौल, सहरसा पूर्णिया ,और अररिया के काफी बड़े हिस्से पहले से ही जलमग्न है और लगातार हो रही बारिश और उस पर बांध से जो तस्वीर सामने आ रही है और पानी छोड़ा गया तो कुशवाहा पार्ट 2 निश्चित है!

उसी दरमियान श्री अख्तर को कुसहा बांध और उसके आसपास के इलाकों में हेलीकॉप्टर से जाने का मौका मिला !तब उन्होने देखा कि जब भी हेलीकॉप्टर नीचे खाद्य सामग्री और पानी नीचे गिराने आती तो 1 इंच जमीन भी सुखी दिखाई नहीं पड़ती !

घरों की छतों में जानवर और इंसान एक साथ दिखाई पड़ते, और जब भी हेलीकॉप्टर से पानी की बोतले नीचे गिराई जाती तो लोग बाढ़ के पानी में छलांग लगा देते हैं ,और इस बाढ़ के पानी में कई तो ऐसे भी थे ,जो बह गए !न जाने कितने ऐसे लोग जिनका आज तक पता ही ना चला !

आज भी कई लोग उसमें से बेघर हैं !सैकड़ों की संख्या में उस वक्त लोग मारे गए थे, इस बार स्थिति पहले से भी भयावह होगी ,क्योंकि राज्य सरकार का पहले से ही कोरोना वायरस की लड़ाई में दम उखड़ रहा है, उस पर बाढ़ ,आप स्वयं ही स्थिति की कल्पना कर सकते हैं! वैसे ही बाढ़ की त्रासदी झेलना बिहार वासियों के तकदीर में लिखा है ,सरकारे कोई भी आए बाढ़ से निजात कोई भी नहीं दिला सकता! इसलिए ना उम्मीदी में दुआ ही एकमात्र सहारा है कि और कुसहा ना हो ।

सबसे ज्यादा पड़ गई