किशनगंज :कोठीटोला देवरी गांव के लोग बांस और बल्ले से तैयार लचका पुल पर जान को जोखिम में डालकर आवागमन करने पर है मजबूर

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किशनगंज /विजय कुमार साह

टेढ़ागाछ प्रखंड के चिल्हनिया पंचायत स्थित कोठीटोला देवरी गांव के लोग बांस और बल्ले से तैयार लचका पुल पर जान को जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं। बताते चलें कि कोठीटोला देवरी गांव में रेतुआ नदी के कटाव को देखने जाते जल निस्सरण विभाग के कनीय अभियंता बांस के बने पुल को जान जोखिम में डालकर पार कर रहे हैं। टेढ़ागाछ प्रखंड में जनप्रतिनिधि व पदाधिकारी के विकास का दावा धरातल पर आज भी कोसों दूर है। क्षेत्र में कई ऐसे इलाके हैं, जहां के लोग सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित है।






सरकार बनती है, बदलती है, जनप्रतिनिधि आते हैं आश्वासन देते हैं, परंतु विकास का कार्य जिस रफ्तार से होना चाहिए वो प्रखंड में दिखती नहीं है। आज भी लोग खुद के पैसे से जद्दोजहद करके किसी तरह से बांस के लचका पुल के सहारे अपना जीवन जी रहे हैं। गांव में आने-जाने के लिए मात्र पगडंडी के सहारे लोग किसी तरह आवागमन करने को मजबूर हैं। क्षेत्र में विकास की रफ्तार ऐसी है, कि जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

उसका उदाहरण है कि टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के चिल्हनिया पंचायत के कोठीटोला देवरी के ग्रामीण बाढ़ व कटाव से इतने दशक बाद भी आज तक निजात नहीं पाए हैं। ग्रामीण चमक लाल माझी, योगेंद्र पासवान, रामलाल मांझी, लाल झा, बिरेंची पासवान, पालन झा, उमेश पासवान, भीम झा, भगला पासवान, दशरथ मांझी, शंभू झा, बैद्यनाथ झा, संतोष झा, राधा देवी, अनामिका देवी आदि दर्जनों लोग अपना दुखनामा सुनाते नहीं थकते हैं, उनकी पीड़ा असहनीय है। पंचायती राज व्यवस्था का विकास भी कागजों पर ही सिमट कर रह गया है।

आज तक इस क्षेत्र पर किसी का ध्यान नहीं गया। क्षेत्र के हालात को ना हीं कोई देखने वाला और ना ही कोई सुनने वाला है। हर साल आती प्राकृतिक आपदा से लोग त्रस्त हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि की अनदेखी के चलते जनता का सबसे बुरा हाल है। जनता असहाय होकर बस किसी तारणहार की तलाश कर रही है, जो मूलभूत समस्याओं सड़क, बिजली, पानी, पुल-पुलिया, शिक्षा व स्वास्थ्य, बाढ़ व कटाव से निजात दिला सके।






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