ऑक्सीजन -कुमार राहुल

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प्रस्तुति /कुमार राहुल


ऑक्सीजन नहीं है ,का बोर्ड लगा है, अधिकतर अस्पतालों में ! तड़पते ,रोते ,बिलखते लोग, सड़क पर इंतजार कर रहे हैं, कि कहीं अस्पताल वाले को दया आ जाए ,और उसके मरीज को बेड दे दे। लेकिन अस्पताल वाले भी क्या करें। उसके पास क्षमता से अधिक मरीज है ।केंद्र सरकार ऑक्सीजन की समुचित सप्लाई अस्पतालों को सुनिश्चित करा पाने में असमर्थ है ।दिल्ली के जयपुर गोल्डन और बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से लगभग 40 मरीजों की मौत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सहित कई सहित कई प्रदेशों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मौतों का आंकड़ा कुछ इसी तरह का ही है। अब सवाल यह है ,कि ऐसी स्थिति का जिम्मेदार कौन है? शायद ,पूरी तरह से केंद्र सरकार, क्योंकि ऑक्सीजन सप्लाई सेंट्रल गवर्नमेंट का सब्जेक्ट है ।

जब कोविड-19 का डबल म्युटेंट वैरीअंट जनमानस को पीड़ित करना शुरू किया था ,तो केंद्र सरकार की सारी फौजी वेस्ट बंगाल चुनाव में अपनी ताकत झोंक रही थी ।अश्वमेध यज्ञ के घोड़े में सवार केंद्र सरकार की नींद तब खुली ,(यानी 20 अप्रैल को )जब स्थिति हाथ से निकलने लगी यानी खुदा ही मिला, न विसाले सनम ।सरकार अभी तक बढ़ते मौत के आंकड़ों को कम करने में भी विफल रही है। और ममता ने, मोदी और उसकी सेना, के सारी मेहनत मे पानी फेंर दिया। डब्ल्यूएचओ ने सितंबर 2020 में ही भारत सरकार को आगाह किया था, दूसरी घातक लहर के बारे में ।लेकिन सरकार 2021 के शुरुआती महीनों में जश्न में डूबी थी, कि हमने कोरोना को हरा दिया ।covid के नये varient ने उसी वक्त अटैक कर दिया ।लेकिन सरकार चुनाव मोड में थी ।

स्थिति बिगड़ती चली गई। इस स्थिति का अंदाजा अपने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पहले से था ,क्योंकि पिछली लॉकडाउन के वक्त ही अपने भाषण में प्रधानमंत्री जी ने लोगों से अपील की थी, कि कृपया घर में रहिए, सुरक्षित रहिए। क्योंकि महामारी यदि विकराल रूप ले लेगी ,तो अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था उतनी सुदृढ़ नहीं है, कि स्थिति को संभाला जा सके ।आज स्थिति बिगड़ चुकी है अनेको हाईकोर्ट ने अपने-अपने स्टेट गवर्नमेंट पर total failure की टिप्पणी कर चुकी हैं ।जबकि सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने खुद संज्ञान लेकर भारत सरकार को रोड में बताने को कहा है ।

यानी राज्य सरकार के साथ-साथ ,केंद्र सरकार भी लोगों की जान बचाने में असफल दिख रही है ।ऐसी स्थिति में यूनाइटेड नेशन ने इंडिया की मदद करने कि पेशकश कि,तो भारत सरकार ने मदद लेने से मना कर दिया। कि भारत की लॉजिस्टिक chain(माल ढुलाई chain) काफी सुदृढ़ है। जबकि ईसी लॉजिस्टिक chain की कमी के कारण आज ऑक्सीजन अस्पतालों में सही मात्रा और सही वक्त में नहीं पहुंच पा रही है। क्रायोजेनिक टैंक( मेडिकल ऑक्सीजन धुलाई करने वाला टैंक ) विदेश से म’गवाने पड़ रहे हैं। रेल से ऑक्सीजन पहुंचाने की कोशिश की जा रही है ।जो कि नाकाफी है ।

ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग का स्टिंग ऑपरेशन हो रहा है। 300 की गैस ₹15000 में लोगों को लेनी पड़ रही है ।उस पर भी लोग अपने परिजनों को बचा नहीं पा रहे हैं ।जनवरी-फरवरी में अनेक देशों को छह करोड़ एक्शन मुफ्त देने वाला देश, आज असहाय है ।विदेश( फ्रांस, अमेरिका ,इंग्लैंड, जर्मनी इत्यादि )से गैस कंसंट्रेटर, रेडी टू use ऑक्सीजन प्लांट, remdesivir ,ventilator सहायता के तौर पर आ रहे हैं ।वैसे विश्व की बड़ी कंपनियों ने भी( जैसे गूगल ,माइक्रोसॉफ्ट, Amazon इत्यादि) ने आर्थिक मदद और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इत्यादि देना शुरू किया है! यह सारे प्रयास मरीजों कि संख्या कम नहीं कर पा रहे हैं ।

आज भी मरीजों की संख्या 392603 है जबकि 3673 लोगों की मृत्यु हो गई है। भारत में सबसे खराब हालत महाराष्ट्र की है। भारत में अब तक लगभग 2 करोड लोगcovid के शिकार हो चुके हैं। और officially 215000 लोगों covid से जंग हार का स्वर्ग सिधार चुके हैं । मरने वालों का यह आंकड़ा उन लोगों का है, जिनकी मृत्यु हॉस्पिटल में हुई है। एक सर्वे के अनुसार भारत में हर रोज नॉर्मली मरने वालों की संख्या 25 से 30,000 है ।ऐसे में अगर 3600 लोगों की मौतें होती है ,तो शमशान में लाइन लगाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए ,ना ही कब्रिस्तान में जमीन की कमी । स्थिति इतनी नाजुक है, कि पिछले 12 दिनों से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री लगातार मीटिंग का दवा और ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटे हैं। लेकिन आज तक दिल्ली को उनकी ।

जरूरत 976 टन ऑक्सीजन के बदले 500 टन भी उपलब्ध कराने में असफल है। अब खबर यह है delhi की कोविड-19 हेल्थ फैसिलिटी ऑपरेशनलाइज करने के लिए सेना की मदद ली जाएगी। यह हाल जब भारत की राजधानी का है, तो देश के छोटे जिले जहां वेंटिलेटर चलाने वाला भी नहीं है, वहां की स्थिति कल्पना कर ही रूह.काँप जाता है ।प्रधानमंत्री केयर fund से 500 से ज्यादा ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। तब तक आम नागरिकों को अपने आप को करोना से बचा कर रखना होगा ,क्योंकि यह कुआं तब खोदा जा रहा है, जब प्यासे ऑक्सीजन के बिना दम तोड़ रहे हैं।

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