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किशनगंज :ठाकुरगंज में मनाया गया हूल दिवस, अमर शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

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किशनगंज /प्रतिनिधि

ठाकुरगंज प्रखंड के पथरिया पंचायत अंतर्गत मालाकाटा आदिवासी टोला में हूल दिवस मनाया गया।कार्यक्रम का आयोजन मांझी परगना हेबन बैसी द्वारा सादगी में किया गया।कार्यक्रम में संथाली अमर शहीद सिद्धु कान्हू,चाँद भैरव,बहन फूलो झानू के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर व दीपप्रज्वलित कर पूजन किया गया।मौके पर भाजपा जनजाति मोर्चा किशनगंज जिला अध्यक्ष मुकेश हेम्ब्रम ने कहा कि कोरोना के कारण दूसरे वर्ष भी हूल दिवस सादगी में मनाया गया।






उन्होंने कहा कि संथाली भाषा में हूल का अर्थ होता है विद्रोह. 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका और 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोगों ने भोगनाडीह गांव पहुंचकर जंग का एलान कर दिया. यहां आदिवासी भाई सिदो-कान्‍हू की अगुआई में संथालों ने मालगुजारी नहीं देने के साथ ही अंग्रेज हमारी माटी छोड़ों का एलान किया.

इससे घबरा कर अंग्रेजों ने विद्रोहियों का दमन प्रारंभ किया.कार्यक्रम में फूल कुमारी टुडू,ताला सोरेन ने कहा कि अंग्रेजी सरकार की ओर से आये जमींदारों और सिपाहियों को संथालों ने मौत के घाट उतार दिया. इस बीच विद्रोहियों को साधने के लिए अंग्रेजों ने क्रूरता की हदें पार कर दीं. बहराइच में चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मौत की नींद सुला दिया, तो दूसरी तरफ सिदो और कान्हू को पकड़ कर भोगनाडीह गांव में ही पेड़ से लटका कर 26 जुलाई, 1855 को फांसी दे दी गयी. इन्हीं शहीदों की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है. इस महान क्रांति में लगभग 20,000 लोगों को मौत के घाट उतारा गया.मौके पर जय मरांडी सिंगराय हेम्ब्रम भरगम्य किस्कू तुर्की हासदा मनीषा सोरेन मिनोति मुर्मू रोहित टुडू उर्मिला हेम्ब्रम झुमरी हेम्ब्रेम आदि उपस्थित रहे।उक्त जानकारी बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष अमित सिन्हा के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई ।






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