किशनगंज/पोठिया/राज कुमार
प्रखंड अंतर्गत +2 उच्च विद्यालय आजाद नगर छत्तरगाच्छ में बुधवार को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास निगम, समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार और जिला प्रशासन किशनगंज ने संयुक्त रूप से संभाली।
स्कूल प्रांगण में बड़ी संख्या में छात्र, छात्राओं के साथ अभिभावक और स्थानीय प्रतिनिधि मौजूद रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और समुदाय को इस सामाजिक अपराध के परिणामों से अवगत कराना था।
कार्यक्रम में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पोठिया कुमकुम मालिक,जिला समन्वयक शाहबाज़ आलम, मास्टर ट्रेनर कुमारी गुड्डी, रौशनी प्रवीण, मुखिया अबुल क़ासिम, अकाउंटेंट बसंत कुमार, प्रधानाध्यापक इमाम अख्तर और विभिन्न पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहे। वक्ताओं ने बाल विवाह के कारण होने वाले शैक्षणिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी नुकसान पर सीधी बात की। सभी ने बच्चों की पढ़ाई, सुरक्षा और भविष्य को प्राथमिकता देने की अपील की।
स्कूल के विद्यार्थियों ने बाल विवाह के खिलाफ नुक्कड़ नाटक, नृत्य व कविता के माध्यम से जागरूक किया साथ ही शपथ लिया। छात्रों ने कहा कि वे अपने परिवार और समाज में इस प्रथा को रोकने की पहल करेंगे। कार्यक्रम में बाल विवाह अधिनियम 2006 की प्रमुख धाराओं और बाल विवाह रोकने में समुदाय की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी गई।
राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार 27 नवंबर 2025 से 8 मार्च 2026 तक 100 दिवसीय जागरूकता अभियान चल रहा है। इसे तीन चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में स्कूल और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। दूसरे चरण में धार्मिक स्थलों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से प्रचार बढ़ाया जाएगा। तीसरे चरण में ग्राम पंचायत और नगर निकाय वार्ड स्तर पर बैठकें होंगी जिनमें बाल विवाह रोकने पर सामुदायिक निर्णय को बढ़ावा दिया जाएगा।
अभियान के तहत प्रत्येक प्रखंड और जिले में बाल विवाह मुक्त ग्राम बनाने का लक्ष्य है। बाल विवाह की अधिक घटनाओं वाले जिलों में विशेष सहायता भी दी जाएगी। NHFS सर्वे के आधार पर उच्च जोखिम वाले जिलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
बाल विवाह को सामाजिक बुराई और कानून का उल्लंघन बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि बालिका की शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ता है। कम उम्र में विवाह से बच्चों का आत्मविश्वास और भविष्य दोनों प्रभावित होते हैं। लड़कियों की पढ़ाई टूटती है। स्वास्थ्य जोखिम बढ़ते हैं। कई मामलों में आर्थिक निर्भरता बढ़ जाती है, जिससे उनका विकास रुक जाता है।
कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने कहा कि समाज की भागीदारी से ही बाल विवाह पर रोक संभव है। लोग सूचना दें। पंचायतें सक्रिय हों। स्कूल बच्चों को जागरूक करें। इसी से बाल विवाह मुक्त समाज बनाया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान मोमिन रज़ा, असरफुल आलम, शम्भू ठाकुर, विजय कुमार पंडित, मधुलिका दास, बिनाजी, रीता देवी, अमीषा कुमारी, रूपम कुमारी, राकेश कुमार, शमीम अशरफ, रफीकुल आलम,अलीम, पुरुषत्तम, अकबर हुसैन ममशाद अहमद, सईदुर्रह्मान, मासूम रजा सहित सैकड़ो छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
अंत में प्रतिभागियों के बीच पुरस्कार वितरण कर उपस्थित सभी लोगों ने प्रतिज्ञा ली कि वे बाल विवाह को रोकने में अपनी भूमिका निभाएंगे और अभियान को सफल बनाएंगे।




























