राजेश दुबे
14th अगस्त 1947 को सिर्फ दो मुल्को का बटवारा नहीं हुआ था ,यह बटवारा दो दिलो का भी था पाकिस्तान जहा खुद को एक मुश्लिम राष्ट्र घोषित कर चूका था ,वही हिंदुस्तान के नेताओ ने अपनी परम्परागत सहिष्णुता दिखाते हुए धर्मनिरपेक्षता की चादर ओढ़ कर हिन्दू और मुसलमानों को एक छत के निचे रखने की कोशिश की थी और पंडित नेहरु कबूतर उड़ा कर शांति का सन्देश देने में लगे थे ?
लेकिन इसका परिणाम आज भी देखने को मिल रहा है भले ही पाकिस्तान एक आजाद मुल्क है । लेकिन आजादी के बाद भी पाकिस्तान के मन में हिंदुस्तान के प्रति द्वेष कम नहीं हुआ है । आखिर ये द्वेष क्यों उत्पन हुआ ?
जबकि जिन्नाह ने जो मांग भारत के समक्ष रखी थी उसे हमारे हुक्मरानों ने पूरी तरह मान लिया था ? बटवारा दो मुल्को का हो रहा था । लेकिन लाशे दोनों और से बिछ रही थी जिन्ना ने नागरिको के मन में हिन्दुओ के प्रति ऐसी नफरत भरी थी की ट्रेन की बोगिओ में जिन्दा लोग कम और लाशे अधिक थी . नफरत की ऐसी आंधी चलाई जिन्नाह ने की सब कुछ देखते देखते खाक हो गया .जिन्ना और नेहरु की लालच में लाखो नागरिक मारे गए और आज भी मारे जा रहे है ।
जिन्ना ने कश्मीर ,हैदराबाद ,पंजाब को पाकिस्तान में मिलाने की पुरजोर कोशिश की थी ।लेकिन जिन्ना के झासे में ये रजवाड़े नहीं आये थे ।क्योकि इन्हें जिन्ना की नियत का पता चल गया था ,उसके वाबजूद १९४८ में पाकिस्तान ने हमला किया और उसे मुह की खानी पड़ी और ये सिलसिला अब तक चला आ रहा है चाहे १९६२ हो १९७१ हो या फिर कारगिल युद्ध लेकिन इन तमाम युद्धों में मुह की खाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा और आगे इसके सुधरने की उम्मीद भी नहीं है पाकिस्तान की लगाई आग में एक और जहा कश्मीर आज भी जल रहा है ।
आए दिन आतंकी घटना को अंजाम दे रहे है और पाकिस्तान सीज फायर का उलंघन कर शांति समझौते का उलंघन कर रहा है ।वहीं देश के अन्दर भी छद्म रूप से नफरत की आग फ़ैलाने की कोशिश पाकिस्तानी जेहादियो द्वारा की जा रही है और हिंदुस्तान के अन्दर भी आज एक तबका ऐसा मौजूद है जिसे पाकिस्तान से प्रेम है ?
वोट बैंक की राजनीति करने वाले कुछ लोगो के कारण यह संख्या दिन प्रति दिन बढती जा रही है । जिसका नतीजा है देश में आये दिन होने वाले दंगे ।हर साल देश के अलग अलग हिस्सों में दंगो का खेल खेला जा रहा है । दंगो के बाद जिस तरह के खुुुलासे होते है उससे समझा जा सकता है कि देश विरोधी ताकतें किस तरह सक्रिय है ,और उनका मकसद क्या है ।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर क्षदम भेष धारी पाकिस्तान परस्तो द्वारा आजादी के 74 वर्षों बाद भी घिनौना खेल खेलने की कोशिश जारी है ।
हाल में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “बिनु भय होई ना प्रीति” और उन्होने साफ संदेश दुश्मनों को दिया था ।लेकिन सिर्फ संदेश देने से अब शायद ही काम चले अब जरूरत है उन पाक परस्त लोगो को सबक सिखाने की जो देश की एकता और अखंडता को खंडित करना चाहते है ।
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