जिले में स्थापित 04 ट्रूनेट मशीन से हो रही है टीबी रोगियों की जांच

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  • टीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा यह सरकारी प्रयास
  • टीबी के मरीजों की जांच व दवा की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है

किशनगंज /प्रतिनिधि

कोरोना संक्रमण की जांच में उपयोग में लाई जाने वाली ट्रूनेट मशीन से जिला क्षय रोग केंद्र में टीबी की जांच शुरू हो गई है। जिले में टीबी मरीजों को अब ससमय व बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना आसान होगा। टीबी रोगियों की जांच के लिये ट्रूनेट मशीन उपयोग में लाये जायेंगे। इससे टीबी मरीजों के जांच के सटीक नतीजे प्राप्त हो सकेंगे। वहीं जांच रिपोर्ट के लिये भी लोगों का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पूर्व में टीबी मरीजों की जांच के लिये सीबीनेट मशीन उपयोग में लायी जाती थी । इसमें टीबी के गंभीर रोगियों का पता लगाना मुश्किल होता था। लिहाजा ऐसे रोगियों को जांच व इलाज के लिये दूर-दराज के चिकित्सकीय संस्थानों में हमारी निर्भरता बनी हुई थी।जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोठिया , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरगंज , सदर अस्पताल किशनगंज एवं माता गुजरी मेडिकल कॉलेज में ट्रूनेट मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध होने से जिलेवासियों को होने वाली इस परेशानी से बचाया जा सकेगा। संक्रामक रोगों में शामिल टीबी के रोगियों की संख्या जिले में लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2021 में 31 जुलाई तक 722 लोगों में टीबी रोग के लक्षणों की पुष्टि हुई है, जिनका जिला क्षय रोग केंद्र से मुफ्त इलाज चल रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार के निर्देशानुसार क्षय रोग केंद्र में ट्रूनेट मशीन के जरिये लोगों की जांच की जा रही है।






गंभीर टीबी रोगियों का पता लगाना होगा आसान :

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि टीबी के गंभीर रोगियों का पता लगाने में ट्रूनेट मशीन बेहद उपयोगी है। इसकी मदद से जांच नतीजे प्राप्त होने में अपेक्षाकृत कम समय लगेंगे। समय पर रोग की पहचान होने से इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना भी आसान होगा। उन्होंने बताया कि ट्रूनेट मशीन में एमडीआर रोगी की जांच आसान होगी। एमडीआर को देशी भाषा में बिगड़ी हुई टीबी बोला जाता है। सीबीनेट मशीन में एमडीआर रोगियों का पता लगाना मुश्किल होता था। लिहाजा जांच के लिये मरीजों को बाहर भेजने के लिये मजबूर होना पड़ता था। एमडीआर यानि मल्टीपल ड्रग रेजिस्टेंस टीबी में टीबी के इलाज में प्रथम लाइन मेडिसिन बेअसर हो जाता है। यह सामान्य टीबी के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होता है।

कम समय में प्राप्त होंगे जांच के नतीजे :

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि ट्रूनेट मशीन की मदद से जांच के नतीजे कम समय में प्राप्त हो सकेंगे। ट्रूनेट मशीन से रोगियों की जांच के लिये लैब टेक्निशियन व एसटीएलएस को खासतौर पर प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि ट्रूनेट मशीन टीबी रोग की जांच के लिए कारगर है। टीबी रोग का पता लगाने में इस मशीन को सौ प्रतिशत सटीक माना जा सकता है। जिला क्षय रोग केंद्र में पहली बार इस मशीन से टीबी की जांच की जा रही है।

टीबी के मरीजों की जांच व दवा की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है :

जिले के संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया टीबी एक संक्रामक बीमारी है। लेकिन सामूहिक रूप से भागीदारी होने के बाद इसे जड़ से मिटाया किया जा सकता है। टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि, लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। क्योंकिं यह एक सामान्य सी बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है। जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया बिल्कूल नि:शुल्क है।






टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार है “निक्षय पोषण योजना” :

सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया की टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत डी बी टी के माध्यम से राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये तथा उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है।






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