किशनगंज: खारुदह पंचायत में नदी ने मचायी तबाही,लोग उजाड़ रहे आशियाने

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तीन दसकों से मेंची और कनकई नदी की मार झेलते आ रहे हैं ठाकुरगंज प्रखण्ड के खारुदह पंचायतवासी

किशनगंज/रणविजय

कहा जाता है कि आशियाने ईंट के बने हों या फिर मिट्टी के,उसमें रहने वाले अमीर हों या गरीब दोनों के लिए वही स्वर्ग होता है।किन्तु, आशा व उम्मीदों के तिनके-तिनके चुनकर जिन हाथों ने सपनों के आशियाने खड़े किए अब उन्ही हाथों को अगर बसे बसाये सुंदर सा आशियाने को उजाड़ने पर मजबूर हो जाना पड़े तो उस उजड़े आशियाने के मालिक की मनोस्थिति और उसके मन की अशांत पीड़ा का अंदाजा शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति लगा सके।दरअसल ऐसे ही तड़प और अशांत पीड़ा भरे हालातों से इनदिनों जिले के दर्जनों गाँव गुजर रहे हैं जिन गांवों की बसावट जिले में बहने वाली महानन्दा,मेंची,डोक, कनकई,रतुआ और क़ौल नदियों के किनारे है,जहाँ नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण कटान का दंश झेलने को गांववासी मजबूर हैं।

कटाव की वजह से घर नदी में हुआ विलीन






उन्ही प्रभावित गाँवों में से एक गाँव है ठाकुरगंज प्रखण्ड के खारुदह पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 04 स्थित गोगरिया कॉलोनी बस्ती, जहाँ एक ओर पूर्वी हिस्से से मेंची नदी तो पश्चिमी हिस्से से कनकई नदी उक्त गांव के लिए प्रत्येक वर्ष तबाही और बर्बादी की कहानी बुनते चली आ रही है।हालात यह है कि इन दोनों नदियों ने बीते दो तीन दसकों में गोगरिया कॉलोनी बस्ती पर ऐसा कहर बरपाया है कि लगभग गांव नक्शे से ही गायब हो चला है।बताया जाता है कि नदियों के कहर से अधिकांशतः परिवारों की जिंदगियाँ तो पिछले कई वर्षों से विस्थापितों की जिंदगी जीने को मजबूर है जो गांव छोड़कर अन्यत्र सुरक्षित जगह पलायन कर गए हैं तो बचे खुचे लोग अपने आशियानों को खुद अपने हाथों से उजाड़कर दूसरों के आँगन में शरण लिए छोटा सा आशियाना बनाकर किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर जीवन यापन व्यतीत करने को मजबूर हैं।






गांव में सरकारी बाबूओं और रहनुमाओं का दौर चलता है बस आश्वासन के सिवाए दूसरा कुछ भी हासिल नही हो पाता है। जबकि बाढ़ के सितम से बेघर हुए लाचारी और बेबसी के साये में जीवन जी रहे दर्जनों परिवारों को आज भी सरकार और उनके नुमाइंदों से बेहतरी की उम्मीद बंधी है जो उनके पुनर्वास के लिए जल्द से जल्द कुछ तो उपाय करें।पीड़ित परिवारों का आरोप है कि समय रहते उनके गांव और आशियानों को बचाने के लिए जो प्रयास जनप्रतिनिधियों या प्रशासन के द्वारा होना चाहिए था वह नही हो सका,जिसका नतीजा है कि पिछले 30 वर्षों में लगभग आधे दर्जन बार आए जलप्रलय के कारण क्रमशः मेंची और कनकई की लबालब तेज धाराओं ने बरसात के दिनों में ऐसा कहर बरपाया कि धीरे धीरे गोगरिया कॉलोनी बस्ती में रहने वाले दर्जनों परिवारों के आशियाने देखते ही देखते इनके आगोश में समाते चले गए और वे बेबसी और लाचारी के आँसू आँखों में लिए इस भयावह मंजर को देखने के सिवाए कुछ भी ना कर सके।

अपना आशियाना खुद उजाड़ते ग्रामीण

बहरहाल जो भी हो उम्मीद की किरण अब भी बाकी है सरकारी तंत्र हो या फिर जनता की नुमाइंदगी करने वालों को गोगरिया कॉलोनी बस्ती के पीड़ित परिवारों से मिलकर उनके दुःखों पर मरहम लगाने का प्रयास करते हुए जितने भी बेघर परिवार है उनके पुनर्वास के लिए ईमानदारी पूर्वक कार्य करना चाहिए।

उधर पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अशरफुल हक ने बताया कि गोगरिया कॉलोनी बस्ती में पिछले साल और इस वर्ष अबतक 4 घर नदी में विलीन हो चूका है तथा रविवार के दिन 10 घरों के नदी में विलीन होने से पहले ही तोड़ लिया गया है।वार्ड संख्या 2,3 और 4 में गोगरिया, गोगरिया कॉलोनी,धामी बस्ती गोगरिया,मुशहर बस्ती गोगरिया आदि गांवों को पिछले कई वर्षों से मेंची और बूढी कनकई नदी तबाह व बर्बाद करते चली आ रही है जिसका आजतक कोई स्थायी समाधान नही हो सका है।






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