जम्मू-कश्मीर : सरकार ने 149 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को किया खत्म,करोड़ों रुपए की होगी हर साल बचत

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देश /डेस्क 

जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक आदेश जारी कर 149 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को खत्म कर दिया है। जारी आदेश के बाद सरकारी कर्मचारियों को दरबार मूव के तहत मिला अपना सरकारी आवास खाली कर देना है। केंद्र शासित प्रदेश के इस फैसले से सरकारी खजाने को हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह फैसला उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से हुई घोषणा के कुछ ही दिन बाद लिया गया है।यह आदेश एस्टेट डिपार्टमेंट के कमिश्नर सेक्रेटरी एम राजू की ओर से जारी किया गया है और दरबार मूव से जुड़े सरकारी अफसरों और कर्मचारियों से कहा गया है कि वह जम्मू और श्रीनगर से अपने संबंधित सरकारी आवासों को 21 दिनों के अंदर खाली कर दें। दरअसल, 20 जून को एलजी ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर प्रशासन पूरी तरह से ई-ऑफिस में तब्दील हो चुका है, इसलिए साल में दो बार होने वाली दरबार मूव की प्रथा की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है।







जम्मू-कश्मीर प्रशासन में दरबार मूव परंपरा की शुरुआत 1872 में तत्कालीन डोगरा शासक महाराज गुलाब सिंह के शासनकाल में हुई थी। असल में सर्दियों में श्रीनगर में अत्यधिक ठंड होने के चलते सरकार का काम करना मुश्किल हो जाता था तो गर्मियों में जम्मू में रहकर शासन-प्रशासन चलाने में मुश्किल होती थी। इसी के चलते श्रीनगर को गृष्मकालीन राजधानी बनाया और जम्मू को शीतकालीन राजधानी। तब से अबतक जाड़ों में 6 महीने जम्मू से प्रशासन चलाया जाता था और गर्मियों में 6 महीने श्रीनगर से। इसके चलते जो कर्मचारी और ऑफिसर जम्मू के थे और दरबार मूव से जुड़े थे, उन्हें श्रीनगर में भी सरकारी आवास दिया गया था और श्रीनगर वालों को जम्मू में भी।

साल में दो बार राजभवन, सिविल सचिवालय और बाकी बड़े दफ्तरों का कामकाज भी जम्मू और श्रीनगर के बीच शिफ्ट होता रहता था, जिसके चलते सरकारी खजाने पर बड़ा बोझ पड़ता था। इसी को लेकर मनोज सिन्हा ने कहा था, ‘अब जम्मू और श्रीनगर दोनों सचिवालय 12 महीने सामान्य रूप से काम कर सकते हैं। इससे सरकार को हर साल 200 करोड़ रुपये की बचत होगी, जिसका उपयोग वंचित वर्गों के कल्याण के लिए किया जाएगा।’






बता दे की जम्मू-कश्मीर के एस्टेट डिपार्टमेंट के पास 4,678 आवासीय इकाइयां हैं। इनमें से 3,200 जम्मू में और 1,478 श्रीनगर में हैं। कई कर्मचारियों के पास सरकार की ओर से दरबार मूव के तहत उपलब्ध कराया गया निजी आवास भी है। अब उन अधिकारियों/कर्मचारियों की मौजूदा तैनाती के आधार पर लिस्ट जारी कर दी गई है और दोनों राजधानियों में से एक में दरबार मूव के तहत मिले आवास को खाली करने को कहा गया है।मालूम हो कि सिविल सचिवालय में 10,000 से ज्यादा कर्मचारी कार्य करते हैं और यह आदेश उन सब पर लागू होगा, जो दरबार मूव का हिस्सा होते हैं।

फ़ाइल फोटो






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