टेढ़ागाछ/विजय कुमार साह
किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत टेढ़ागाछ प्रखंड की मटियारी पंचायत के वार्ड संख्या–2 एवं 5 के डुमरिया गांव निवासी दर्जनों परिवार आज भी 2017 की विनाशकारी बाढ़ की मार झेल रहे हैं। सात वर्ष बीत जाने के बावजूद इन परिवारों का स्थायी पुनर्वास अब तक नहीं हो सका है।
वर्ष 2017 की भीषण बाढ़ में कनकई नदी के पूर्वी तट पर बसे डुमरिया गांव का बड़ा हिस्सा नदी के कटाव में पूरी तरह विलीन हो गया था। अचानक आए कटाव ने बैसाटोली और आसपास के कई घरों को भी अपने कब्जे में ले लिया, जिससे दर्जनों गरीब परिवार बेघर होकर सड़क पर आ गए।
बाढ़ के उस भयावह दौर में जिन परिवारों के घर, भूमि और सामान नदी में समा गए थे, वे आज भी बैसाटोली गांव के निकट मुख्यमंत्री सड़क के दोनों छोर पर तिरपाल, अस्थायी झोपड़ी और मदरसा भवन में अपनी जिंदगी काटने को विवश हैं। पीड़ित परिवारों में उमेश महतो, बाबूलाल महतो, सुरेश महतो, भगवानी महतो, दयानंद महतो, विजय महतो, बुधन महतो, उपेंद्र महतो, मंगल महतो, शत्रुघ्न महतो, अक्षय महतो सहित कई अन्य लोग शामिल हैं, जिन्होंने बताया कि पिछले सात वर्षों में उन्होंने अंचल कार्यालय में दर्जनों आवेदन दिए, लेकिन न तो उन्हें रहने के लिए जमीन मिली और न ही किसी प्रकार की पुनर्वास सहायता।
पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। मजबूरी में वे सड़क किनारे रहकर अपने परिवारों का गुजर-बसर कर रहे हैं। बरसात की रातें, ठंड की सिहरन, और गर्मी की तपिश में अस्थायी बसेरों में जीवन बेहद कठिन हो जाता है। बच्चों की पढ़ाई, सुरक्षित आवास और सामाजिक जीवन पूरी तरह प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित परिवारों ने अब जिला पदाधिकारी विशाल राज से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराकर पूर्ण पुनर्वास की दिशा में ठोस कदम उठाया जाए।
उनका कहना है कि यदि समय पर पहल नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में उनकी स्थिति और बदतर हो सकती है। इस संदर्भ में पंचायत समिति सदस्य एवं पूर्व प्रखंड प्रमुख कैसर रजा ने बताया कि उन्होंने पीड़ित परिवारों की समस्याओं को लेकर अंचल अधिकारी से बातचीत की है। अंचल अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही मामले की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक प्रक्रिया शुरू की जाएगी और पुनर्वास के लिए जमीन उपलब्ध कराने पर विचार किया जाएगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि वर्षों से सड़क किनारे रह रहे इन परिवारों के लिए अब ठोस कार्रवाई ही राहत का एकमात्र रास्ता है। कनकई नदी के कटाव से उजड़ी जिंदगी को फिर पटरी पर लाने के लिए सरकार की पहल अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार उनकी आवाज सुनी जाएगी और उन्हें स्थायी आवास उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।




























