राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर प्रेस क्लब में “Who is not Afraid of Media?” विषय पर सेमिनार का हुआ आयोजन

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जिला पदाधिकारी ने प्रेस दिवस पर पत्रकारों को दी बधाई

मधुबनी के दिवंगत पत्रकार अविनाश झा को पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि

किशनगंज /प्रतिनिधि

जिला पदाधिकारी, डॉ आदित्य प्रकाश ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर सभी मीडिया कर्मियों को शुभकामनाएं दीं। जिला पदाधिकारी के निर्देशानुसार किशनगंज प्रेस क्लब में अपर जिला दंडाधिकारी ब्रजेश कुमार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर निर्धारित विषय पर एक परिचर्चा / संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर “Who is not, “Afraid of Media?” विषय पर परिचर्चा की गयी। लगभग उपस्थित सभी प्रेस प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के पदाधिकारियों के द्वारा अपना-अपना विचार व्यक्त किया गया।


सर्वप्रथम अपर जिला दंडाधिकारी ब्रजेश कुमार, डीपीआरओ रंजीत कुमार के साथ-साथ उपस्थित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगणों के द्वारा राष्ट्रीय प्रेस दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया ।






तत्पश्चात इस वर्ष राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर हु इज नॉट, “अफ्रेड ऑफ मीडिया” विषय पर विस्तृत चर्चा की गई ।जिलाधिकारी, डॉ आदित्य प्रकाश ने अपने प्रेषित शुभकामना संदेश में कहा कि संविधान के दायरे में रह कर कार्य करने वाले को डरने की जरूरत नहीं है।आज के वर्तमान युग में सोशल मीडिया, वेब पोर्टल, फेसबुक ,टि्वटर ,व्हाट्सएप पर कुछ भ्रांतियां पैदा की जाती हैं। उससे हमें बचने की जरूरत जरूरत है।

परिचर्चा के दौरान लगभग सभी प्रेस प्रतिनिधियों द्वारा इस विषय पर विस्तृत रूप से अपने अपने बातों को रखा गया । प्रमुख रूप से मिथिलेश झा दैनिक भास्कर,अली रजा सिद्दीकी कौमी तंजीम,शंभू रविदास जनपथ,मयंक प्रकाश,फारुख आजम हिंदुस्तान, राजेश दुबे ब्यूरो चीफ सोनभद्र ,मनवर राष्ट्रीय सहारा ,सुखसागर नाथ सिन्हा अध्यक्ष प्रेस क्लब ने परिचर्चा में भाग लिया।सभी लोगो ने मीडिया को समाज का दर्पण बताते हुए तथ्यपरक,यथार्थ,निष्पक्ष पत्रकारिता पर जोर दिया। डराना और डरना मीडिया का कार्य नहीं है। गलत कार्य में संलिप्तता पर मीडिया का भय जरूर सताता है।

परिचर्चा के दौरान डीपीआरओ,रंजीत कुमार के द्वारा मीडिया के बदलते रूप एवं भूमिका पर प्रकाश डाला गया।उन्होंने कहा कि मीडिया जो कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है।सरकार और जनता के बीच संवाद का माध्यम बनता है। जनता के लिए सरकार की जवाबदेही भी तय करता है पर जब ये स्तंभ निष्पक्षता एवं पारदर्शिता का चोला त्यागता है तो न सिर्फ अनैतिक लोग बल्कि नैतिक लोग भी मीडिया से भय महसूस करते हैं। इसलिए मीडिया को अपनी सीमा का स्वयं निर्धारण करते हुए स्वच्छता एवं निष्पक्षता के साथ पत्रकारिता करनी चाहिए। मीडिया समाज का दर्पण और दीपक दोनो है। इसे समतल दर्पण की तरह समाज का आइना बने रहने देने की जरूरत है,अवतल या उत्तल दर्पण नही बनने दें।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय प्रेस परिषद के द्वारा 16 नवम्बर 1966 को विधिवत रूप से कार्य करना प्रारंभ किया था। इसी दिवस को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाना, देश में प्रेस की स्वतंत्रता एवं जिम्मेदारियो की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है। इस दिन से भारतीय प्रेस परिषद ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नैतिक प्रहरी के रूप में कार्य करना आरंभ किया कि प्रेस न केवल एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में अपेक्षित उच्च स्तर बनाये रखे बल्कि यह किन्ही बाह्य कारकों के प्रभाव या खतरों से विरुद्ध न हो।

परिचर्चा के दौरान एसी – सह- जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्रमोद कुमार राम ने कहा कि आज मीडिया को लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है। समय के साथ मीडिया का दायित्व बढ़ता चला गया। मीडिया समाज का ऐसा दर्पण बन गया, जो समाज व राष्ट्र कोउसकी सच्चाई दिखाता है।जनता को उनके आस पास हो रही सभी गतिविधियों के बारे में सूचित करता रहता है। व्यवस्था और समाज की खामियों को उजागर करता है। इस प्रकार से मीडिया समाज और सरकार की मदद करते हुए एक निष्पक्ष एवं मजबूत
व्यवस्था का निर्माण करती है।

परिचर्चा में अपर जिला दंडाधिकारी ने अध्यक्षीय संबोधन करते हुए सर्वप्रथम मीडिया प्रतिनिधियों को शुभकामना दिया।उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में मीडिया का दायित्व बढ़ गया है,नैतिकता से खबर दिखाने/छापने का प्रयास होना चाहिए।प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे अपने पाठक/दर्शक के कारण या किसी भी मजबूरी के कारण पक्षपातपूर्ण खबर का प्रचलन गलत है क्योंकि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। उन्होंने विस्तार से मीडिया की भूमिका को बताया और आजादी के पूर्व के वर्षों समेत वर्तमान परिपेक्ष्य पर चर्चा को बढ़ाया।सरकार और प्रेस के रिश्ते पर प्रकाश डाला।


मालूम हो कि मीडिया का डर भारत में आजादी के पूर्व से ही है। भारतीय मीडिया ने अंग्रेजी के जुल्म एवं हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के विचार स्पष्ट रूप से जनता के सामने रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अंग्रेजों के अंदर मीडिया का इतना डर था कि वो इसकी आजादी कुचलने के लिए अलग अलग हथकंडे अपनाते रहते थे।इस मौके पर राजेश दुबे ने कहा कि मीडिया का काम डराना नहीं है बल्कि समाज को जागरूक करना है ।पत्रकारों को निर्भीक होकर लोगो तक खबर पहुंचाने का कार्य करना चाहिए ।वहीं कार्यक्रम में मधुबनी के दिवंगत पत्रकार अविनाश झा जिनकी हत्या अपराधियों द्वारा कर दी गई थी उनकी आत्मा की शांति के लिए सभी पत्रकारों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित किया ।इस अवसर पर अपर जिला दंडाधिकारी, ब्रजेश कुमार,अपर समाहर्त्ता,जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी प्रमोद कुमार राम, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रंजीत कुमार ,अध्यक्ष प्रेस क्लब सुखसागर नाथ सिन्हा,पूर्व सचिव राजेश दुबे ,संभू रविदास, मोविद,शैलेश ओझा,गौरव कुमार,आकाश झा, मयंक त्रिवेदी,शांति जोरदार, जियाउर रहमान,फारुख आजम,मिथलेश झा,अविनाश, मसरूर सहित सभी प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थें ।






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