मैं मानता हूँ कि गायत्री मंत्र ही पृथ्वी पर देवत्व अवतरण करने का सबसे बड़ा राजमार्ग है -श्री अमित शाह
हरिद्वार में शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित व्याख्यान माला कार्यक्रम को गृह मंत्री श्री अमित शाह ने किया संबोधित
देश /डेस्क
हरिद्वार में शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष आयोजित व्याख्यान माला कार्यक्रम को गृह मंत्री श्री अमित शाह ने संबोधित किया।इस मौके पर उन्होंने कहा कि शांतिकुंज आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का ऐसा उद्गम केंद्र है, जहां दशकों से गायत्री मंत्र से जागृत हुई सदशक्तियों का संग्रह कर राष्ट्रनिर्माण व सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार का निरंतर अधिष्ठान चल रहा है। श्री शाह ने कहा हमारे वेद, उपनिषद व पुराणों के ज्ञान के खजाने को अगर हम जानने का प्रयास करेंगे तो मालूम पड़ेगा कि करियर ओरिएंटेड शिक्षा हमें भौतिक सुख तो दे सकती है, लेकिन आध्यात्मिक शांति नहीं दे सकती।उन्होने कहा शांतिकुंज की विश्वकल्याण की यह यात्रा आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का बहुत अच्छा माध्यम है।

श्री शाह ने कहा गायत्री मंत्र के 24 अक्षर हमारी 24 सद्ग्रंथियों को जागृत करते हैं और ये जागृत हुई सद्ग्रंथियां ही हमें देवत्व की ओर ले जाती हैं।उन्होंने कहा मैं मानता हूँ कि गायत्री मंत्र ही पृथ्वी पर देवत्व अवतरण करने का सबसे बड़ा राजमार्ग है। उन्होंने कहा ‘स्व’ से ‘पर’ पर पहुँच जाने को ही ज्ञान कहते हैं अर्थात् ‘स्वयं’ की जगह देश व समाज के उत्थान का विचार करना, भारत माता को विश्वगुरु बनाने का विचार करना ही ज्ञान है।साथ ही कहा कि मगर लोभ, अंहकार, आडम्बर हमारे अंदर ज्ञान की जागृति को बाधित करते हैं, हमें इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
गृह मंत्री श्री शाह ने अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्री पंडित श्रीराम शर्मा जी केद्वारा दिखाए मार्ग पर चलने का निवेदन करते हुए कहा कि अखिल भारतीय गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा जी के जीवन सूत्र “हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा, हम बदलेंगे, युग बदलेगा” को अगर देश का हर नागरिक अपने जीवन का कर्तव्यपथ बना ले, तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि युग बदलने में भारत की भूमिका स्वत: ही सुनिश्चित हो जाएगी।

उन्होंने कहा प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द मोदी जी जब काशी गए और बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर अपने कपाल पर विभूति लगाकर उन्होने मां गंगा की आरती की तभी से इस देश में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की एक नई शुरुआत हुई।हमें भी अपने जीवन को इस परिवर्तन के अनुषांगिक बनाना चाहिए। कार्यक्रम के शुरू होने से पूर्व उन्होंने शांतिकुंज में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. प्रणव पण्ड्या जी से भेंट की और विभिन्न विषयों पर उनसे विचार विमर्श भी किया ।