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आस्था का केंद्र है अररिया का प्रसिद्ध मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर

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मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर के दरवार, से आज तक नहीं लौटा कोई भी भक्त खाली हाथ


-मां खड्गेश्वरी पर भक्तों में दिखती है अनोखी अस्था


पड़ोसी राष्ट्र नेपाल समेत अन्य राज्यों से दर्शन के लिए आते हैं भक्त


मंदिर का गुंबद व मां का श्रृंगार होता है आकर्षण का केंद्र विंदु


प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को लगता है महाभोग

अररिया /अरुण कुमार

भक्त हमेशा मंदिर में जाते हैं तो अपनी कुछ इच्छाएं भगवान के सामने जाहिर करते हैं और उम्मीद रखते हैं भगवान उन्हें पूरा करेंगे। वह पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं।इस तहर इन दिनों जिला ही नहीं बल्कि देश दुनिया में भी मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर विख्यात है। इस मंदिर में हजारों भक्त रोजना मां खड्गेश्वरी महाकाली का दर्शन करने के लिए आते है। सभी भक्तों का मां खड्गेश्वरी मांगी गयी मुरादे भी पुरा भी करते है।जिस कारण मां के दरवार से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा।काली पूजा के मौके पर जिला व राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा नेपाल सहित अन्य देशों से मां काली के भक्त काली पूजा के दौरान अररिया पहुंचते हैं।

मां काली के साधक श्री स्वामी सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानू बाबा ने अपनी पूरी संपत्ति इस मंदिर में लगा दिये है।पूरी सांसारिकता को त्याग नानू बाबा आज भी मां काली की अराधना में लगे रहते हैं। जानकारों के अनुसार मां खड्गेश्वरी मंदिर का गुंबद विश्व में सबसे ऊंचा है।

मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को महाभोग लगता है।इस महाभोग का प्रसाद ग्रहण करने के लिए हजारों भक्त मंदिर पहुंचते है। प्रत्येक शनिवार व मंलगवार को मां काली का विशेष श्रृंगार किया जाता है। जिसे देखने के लिए नेपाल सहित अन्य राज्यों से भक्त गण पहुंचते हैं।बाबा बताते हैं कि इस मंदिर में लगभग दो सौ वर्षों से काली पूजा की जाती है।मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में काली पूजा के अलावा अन्य दिन भी नेपाल समेत अन्य राज्य से भक्त पहुंच कर मां काली का दर्शन करते हैं।

क्या है मंदिर का इतिहास

जानकारी के अनुसार मां खड्गेश्वरी काली मंदिर की स्थापना सन् 1884 में हुई थी।लेकिन परम पूज्य साधक नानू बाबा ने 1970 में इस मंदिर का बागडोर अपने हाथों में लिया था। इसके बाद से काली मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होने लगी। पहले एक टीन के मकान में मां काली की पूजा हुआ करता था। नानू बाबा द्वारा लगातार साधना व पूजा किये जाने के बाद मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती चली गयी। 1970 से पूर्व पंडित द्वारा पूजा की जाती थी।नानू बाबा बताते हैं कि काली मंदिर में जब विशेष पूजा अर्चना होने लगी तो भक्तों की भीड़ बढ़ती चली गयी।1978 में नानू बाबा के सानिध्य में मंदिर का कार्य शुरू हुआ।1982 में मंदिर का नया गुंबद बनाया गया। जिसकी ऊचाई 152 फीट है। आज इस मंदिर को लोग उदाहरण के रूप में लेते हैं।

खड् से पड़ा मां काली का नाम खड्गेश्वरी

मां खड्गेश्वरी के साधक नानू बाबा बताते है कि मां काली के हाथ में खड् रहने के कारण मां काली का नाम मां खड्गेश्वरी रखा गया।बाबा बताते है कि मां काली का रूप सभी देवियों में से सबसे कट्टर माना जाता है।मां के चार हाथ है ,एक हाथ में तलवार और एक एक हाथ में राक्षस का सिर ,यह सिर एक बहुत बड़े युद्ध का प्रतिनिधित्व है। जिसमें मां ने रक्तबीजा नाम के दानव का वध किया था। बाकी के दो हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने के लिए है। मां अपने भक्तो की हमेशा रक्षा करती है। मां काली ने अपने रक्तबीजा नाम के दानव का अपने खड् से वध किया था। इस कारण मां काली का नाम मां खड्गेश्वरी महाकाली रखें है।

आकर्षण का केंद्र है मां का गुबंद

मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर के गुंबद की ऊंचाई 152 फिट है।मंदिर के सभी दीवारों में लगे टाइल्स व पत्थर चांद की दूधिया रोशनी में और छंटा बिखेरता है।इस मंदिर का गुबंद का नक्शा अन्य मंदिर से भिन्न है।नानू बाबा बताते है कि मां खड्गेश्वरी काली मंदिर का गुंबद का नक्शा उनके चाचा विमल चंद्र रक्षित उर्फ गौर दा द्वारा बनाया गया था। जिनका निधन मंदिर निर्माण के क्रम में ऊपर से गिरने से हो गया था।उस समय मंदिर का काम पूरा भी नहीं हुआ था।लेकिर मां काली के आशीर्वाद व भक्तों के सहयोग से पूरा कर लिया गया।

प्रत्येक दिन मंडल कारा के बंदी भेजते हैं फूलों की माला

मां खड्गेश्वरी महा काली के पूजा के लिए हर दिन मंडल कारा के बंदियों द्वारा फूल का आकर्षक माला बना कर भेजा जाता है। जिसे मां खड्गेश्वरी की पूजा के बाद बाबा खड्गेश्वर नाथ को चढ़ाया जाता है। बाबा बताते है यह परंपरा लगभग 40 वर्षों से चलता आ रहा है।बाबा यह भी बताते है एक मां खड्गेश्वरी के भक्त मंदिर में पूजा करने के लिए रोज आया करते थे। लेकिर एक दिन किसी कारण वश उसे जेल जाना पड़ा।बताया जाता है कि मां काली की भक्ति ने उसे इतना प्रेरित किया कि वह जेल से हर दिन फूलों की माला बना कर भेजने लगा। जो बाद में परंपर बन गया।

प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को काली मंदिर में लगता है महाभोग व होता है मां का विशेष श्रृंगार

मां खड्गेश्वरी महां काली मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को महाभोग लगता है। इसके साथ ही दोनों दिन मां का श्रृंगार भी किया जाता है। मां की प्रतिमा को रंग विरंगे चुनरी व कई प्रकार के हार से सजाया जाता है। श्रृंगार के बाद रात में मां को महाभोग लगाया जाता है। महाभोग का खर्च किसी ना किसी भक्त द्वारा उठाया जाता है।इस दिन मां की विशेष पूजा देखने लायक होती है। महाभोग में खीर,खिचड़ी व प्लॉव प्रसाद बनता है।

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