किशनगंज /राजेश दुबे
किशनगंज सीट में दूसरे चरण में लोकसभा का चुनाव संपन्न गया हैं, लेकिन अभी भी चुनाव को लेकर चर्चा और चकल्लस का दौर जारी है। सूत्रों की माने तो मतदान होने के बाद हार-जीत को लेकर शहर में सट्टेबाज भी सक्रिय हो गए हैं। लोकसभा मतदान के बाद अब जीत-हार के कयास लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही प्रत्याशियों पर दांव भी लगने लगे हैं। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार व राजनीतिक दल अपने समर्थकों से क्षेत्रवार मतदान व वोटों के आंकड़ों को जुटाने में लग गए हैं, तो कहीं धोखे व पाला बदलने की भी खबरें सामने आ रही है।
सार्वजनिक चौक- चौराहों, चाय की दुकानों में अब पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर शुक्रवार को मतदान समाप्ति के बाद से ही राजनीति में रुचि रखने वाले लोग उम्मीदवारों की जीत हार को लेकर चर्चा करते दिखे। किशनगंज में संचालित अलग अलग वॉट्सएप और फेसबुक न्यूज ग्रुप में चर्चाओं का दौर जारी है ।सोशल मीडिया पर जेडीयू,कांग्रेस और एआईएमआईएम की जीत को लेकर दावे किए जा रहे है ।
मालूम हो की इस लोकसभा सीट पर कुल 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में खड़े थे जिनमे से तीन प्रमुख राजनैतिक दलों यथा कांग्रेस,जेडीयू और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।हालाकि कुछ लोगो का कहना है की एआईएमआईएम और जनता दल यूनाइटेड के बीच टक्कर है।
कांग्रेस पार्टी से डॉ जावेद आजाद जो की निर्वर्तमान सांसद है वही जेडीयू से मुजाहिद आलम और एआईएमआईएम से अख्तरुल ईमान के जीत-हार के दावों के बीच शर्त लगाने की भी चुनौती लोग सोशल मीडिया पर देते दिखे ।एक ओर इंडी गठबंधन और एआईएमआईएम के प्रत्याशी समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी जेडीयू के समर्थक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं एवं मुजाहिद आलम द्वारा किए गए कार्यों के बल पर जीत का दावा कर रहे है।
चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियो का भी दौर शुरू हो गया है। सूत्रों की माने तो 100 रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की बाजियां लगने लगी है।जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं। जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियाँ भी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है ।
लोकसभा चुनाव में इस बार पिछली दफा से 2% कम मतदान से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं। वहीं, जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी ऊहा पोह में हैं।
हालांकि, राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन, इतना तय है कि 62.84% फीसदी पड़े वोट से कईयों के समीकरण बनने बिगड़ने लगे हैं। अपने-अपने दावे व प्रतिदावों के बीच तीनो ही राजनीतिक दल मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं।