किशनगंज /प्रतिनिधि
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज संसद में पूर्ण बजट पेश किया ।उनके द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद सीमावर्ती किशनगंज जिले के लोगो ने मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।भाजपा के नेता जहा बजट की सराहना कर रहे है वही जेडीयू ,एआईएमआईएम के नेताओ ने बजट को निराशाजनक बताया है।बीजेपी जिला अध्यक्ष सुशांत गोप ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की भारत के इतिहास में पहली बार सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है ।उन्होंने कहा की युवा,कृषक, महिला वर्ग,बुजुर्ग, मध्यम वर्गीय परिवार, सरकारी कर्मचारी, उद्यमी,शिक्षा जगत के लिए बजट में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

उन्हीं कहा की सबसे महत्वपूर्ण आय सीमा में 5 से बढ़ाकर 7 लाख तक के वार्षिक आय पर छूट दी गई साथ ही युवाओं के लिए 45 लाख करोड़ की सीधे भत्ता प्रदान करना , 157 नए मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज खोले जायेंगे ।उन्होंने कहा की रोजगार की दिशा में
38800 शिक्षकों की नियुक्ति के साथ साथ महिलाओं के लिए महिला सम्मान बचत योजना दो लाख की जमा राशि पर 7:5 प्रतिशत ब्याज दर का प्रावधान किया गया है जो की ऐतिहासिक निर्णय है।
वही बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने कहा की केंद्रीय बजट से बिहार के लोगों को बड़ी निराशा हाथ लगी है।बजट में न तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न ही विशेष पैकेज की बात कही गई है। केंद्रीय बजट में युवाओं को रोजगार, किसानों की आमदनी दो गुनी करने एवं हर गरीब के छत पर पक्का मकान के संबंध में कोई बात नहीं की गई है।उन्होंने कहा की इस लिए इस बजट से बिहार वासियों, युवाओं, किसानों एवं गरीबों को निराशा हाथ लगी है।
जबकि एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष इसहाक आलम ने बजट को किसान विरोधी बताया है। एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष इसहाक आलम ने कहा कि 2023-24 के लिए आम बजट में वित्त मंत्री आम बजट में किसानों की आय डबल करने के मामले में उदासीन रही। वर्तमान में किसानों की आर्थिक दशा कैसी है, इस बारे में वित्त मंत्री ने कुछ नहीं बताया।उन्होंने कहा की किसान सम्मान योजना का राशि मे बढ़ोतरी नही किया गया। साल 2016 में यह घोषणा की गई थी कि पांच साल में किसानों की आय डबल हो जाएगी। किसानों की डबल आय की घोषणा अभी कहां तक पहुंची है।इसपर वित्त मंत्री ने कुछ नही बताया।किसान का एक ही मुद्दा है, उसे अपनी फसल का सही दाम मिले। अगर बजट में पहली घोषणाओं और योजनाओं की सफलता के आंकड़े सदन में रखे जाते तो बेहतर होता।





























