किशनगंज : दो दिवसीय प्रज्ञा सह संस्कार महोत्सव का हुआ आयोजन,भक्तिमय हुआ माहौल

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किशनगंज /प्रतिनिधि

बिशनपुर बैसा कोचाधामन किशनगंज की पावन धरती पर दो दिवसीय प्रज्ञा सह संस्कार महोत्सव दिव्य वातावरण में
वीरेश यादव एवं सुलेखादेवी की देखरेख में हरिश्चंद्र जी की टोली द्वारा संपन्न कराया गया। प्रज्ञा संगीत एवं युग संगीत से वातावरण दिव्यता से भर उठा।


मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्र श्यामानंद झा सेवानिवृत प्रधानाध्यापक राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ने जन समूह को भाव भरी वातावरण में संबोधित करते हुए कहा बंदनीय माता भगवती देवी शर्मा एवं परम पूज्य गुरुदेव वेद मूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक एवं संरक्षक शांतिकुंज हरिद्वार उत्तराखंड द्वारा नवयुग निर्माण की दिशा धारा तय करने के लिए पात्रता प्रमाणिकता प्रखरता उपासना साधना आराधना जैसे तप के माध्यम से व्यक्ति निर्माण परिवार निर्माण समाज निर्माण राष्ट्र निर्माण एवं विश्व निर्माण की भूमिका सराहनीय अनुकरणीय एवं सकारात्मक सिद्ध हो रही है।

आगे संबोधन में भाव भरे शब्दों में स्वजनो परिजनों को स्मरण दिलाते हुए कहा कि ऐसा शुभ अवसर हजारों वर्षों बाद मिलता है। महाकाल की योजना बन जाने के बाद वह अवश्य पूरा होकर रहता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि इस महती की योजना में अपनी अपनी भागीदारी सक्रिय रूप में सुनिश्चित की जाए। गोवर्धन उठाने की बात सामने आई तो भगवान कृष्ण अकेले ही सक्षम थे किंतु ग्वाल वालों को श्रेय सम्मान से आप्लावित करने के लिए सहयोग की लाठी लगाकर लिया गया। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अपनी भागीदारी शहीदों समाज सुधारकों संतों ने बखूबी निभाने के लिए अनुदान वरदान और श्रेय सम्मान से भर गए। हमारे भाइयों बहनों युवा शक्तियों हम समय से ना तो हारते हैं ना ही जीततेहैं ।

बल्कि समय से सीखते हैं। परिवर्तन की पुनीत बेला में अपनी अपनी भूमिका सकारात्मक रूप में निभाने वाले निश्चित रूप से युग पुरुष की पंक्ति में खड़े हो सकेंगे। बात हमारी नहीं समर्थ सत्ता युग पुरुष वेद मूर्ति पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की है। गुरु सत्ता को समर्थ सत्ता मानकर कम से कदम मिलाकर मानव मात्र एक समान एक पिता की सब संतान की घोषणा को साकार करने का ठीक यही सुनहरा अवसर है। सारी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर काम करने की आवश्यकता है ताकि 21वीं शदी का भारत विश्व गुरु के रूप में प्रतिस्थापित हो सके यही हमारा परम पुनीत धर्म है।


यज्ञ के माध्यम से विभिन्न प्रकार के संस्कार कराए गए और यज्ञ की महत्ता पर धार्मिक नैतिक और वैज्ञानिक व्याख्या से लोग अत्यंत प्रभावित हुए।


इस महती समारोह यज्ञ को संपूर्ण रूप से सफल बनाने में ब्रह्मदेव यादव सुलेखा देवी लक्ष्मी देवी दिवाकर यादव अशोक कुमार सिंह बंगाली ठाकुर बाबूलाल सिंह दीप्ति देवी मालती देवी अंजू झा मेनका देवी दुलोपति देवी भालो देवी किरण कुमारी आदि परिजनों का सहयोग अत्यंत ही सराहनी रहा।

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