माहे रमजान का हर पल खास, बरसाती है अबरे रहमत

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कोचाधामन (किशनगंज) सरफराज आलम

पवित्र माह रमजान का आगमन हो गया है। रविवार को लोगों ने रमजान का पहला रोजा रखा है। जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय में खुशी का माहौल है।इसे लेकर प्रखंड क्षेत्र के हाट बाजार और चौक चौराहे पर फलों की दुकानें सज गई है।पवित्र महीना रमजान को तीन भागों में बांटा गया है।पहला दस दिनों का भाग जिसे रहमत कहा गया है। दूसरा दस दिनों का हिस्सा जिसे मगफिरत और आखिरी दस दिनों का भाग को जहन्नुम से आजादी (मुक्ति) का हिस्सा कहा गया है।

इस संदर्भ में मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत जनता कन्हैयाबाड़ी के उस्ताद कारी सूफी जफर आलम ने कहा कि रमजानुल मुबारक के महीना का हर पल खास है। इसमें अबरे रहमत बरसती है।


यह पवित्र महीना हमें समय की पाबंदी का अभ्यास कराता है। इस महीना में समय पर नमाज अदा करना,समय पर कुरान शरीफ तिलावत करना,समय पर सेहरी खाना‌‌ और निर्धारित समय पर इफतारी करना यह सब इबादत में शामिल है।
इस अभ्यास को हमें साल के 11 महीने में भी करना चाहिए।कारी सूफी जफर आलम ने कहा की रोजा ही एक ऐसी इबादत है जिसमें बंदों का संपर्क सीधा रब ताला से होता है।
क्योंकि अगर कोई नमाज पढ़ता है या जकात करता है तो
दूसरा आदमी इसे देखता है।

लेकिन रोजा की हालत को बंदा जानता है या उसका रब ताला जानता है।यह ऐसा महीना है जो इंसान को सालों भर नेक और भलाई का काम करने और बूरे काम करने और बूराई से बचने का अभ्यास कराता है।


इस महीना में अल्लाह के तरफ से रोजेदार बंदो पर रहमतों की बारिश होती है। हदीश के हवाले से उन्होंने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद ने फरमाया कि अल्लाह फरमाता है कि ऐ आदम के औलाद रोजा के हालात में तुम जब तक मुझे पुकारते रहोगे और मुझ से उम्मीद लगाए रहोगे मैं तुम्हारे गुनाहों को बख्शता रहूंगा। चाहे तुम्हारे गुनाह बढ़कर आसमान के बुलंदी को छूने लगे या फिर जमीन के बराबर गुनाह क्यों ना हो जाए।
एक रवायत में यह भी आया है कि रोजेदार बंदा जब बारगाहे इलाही में गिर गिराता है तो रब ताला हजरत ज्रिबाइल अमीन से कहता है मेरे बंदे की जरूरत पूरी करने में जल्दबाजी नहीं करना क्योंकि मैं उसकी आवाज को और भी सुनना चाहता हूं। इससे यह साबित होता है कि पवित्र माह रमजान में रहमतों की बारिश होती है।

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