तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण अधिनियम किया गया है लागू
जिले में आज “तंबाकू हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” थीम पर मनेगा विश्व तंबाकू दिवस। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि तम्बाकू सेवन के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 31 मई को पूरे विश्व में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की शुरुआत डब्ल्यूएचओ द्वारा 1987 में की गयी थी। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक रूप से प्रचार प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना होता है, जो पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष लगभग 70 लाख से अधिक मृत्यु का कारण बनता है। इसी तर्ज पर आज जिले में प्रभातफेरी, पोस्टर मेकिंग, शपथ ग्रहण समारोह सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यह दर्शाता है कि तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में सफल एवं सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग तंबाकू सेवन के दुष्परिणामों को जानते हुए भी इसका सेवन करते हैं। खैनी, बीड़ी, सिगरेट, गुटका का सेवन अत्यधिक लोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही कैंसर जैसी बीमारी को भी आमंत्रित करता है। बावजूद लोग इसका सेवन करने से परहेज नहीं करते हैं।
कई तरह की बीमारियों को जड़ मिटाने के लिए धूम्रपान का ख़ात्मा करना बेहद जरूरी: डॉ देवेन्द्र कुमार
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया केवल तंबाकू के सेवन मात्र से न जाने कितने प्रकार की गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जिसका आकलन हर किसी के बस की बात नही है। क्योंकि तंबाकू सेवन करने से कैंसर जैसी भयंकर बीमारी हो जाती है। वहीं फेफड़ों की बीमारियां जैसे: क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान को ही माना गया है। क्रोनिक यानी लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली में कैंसर होने की संभावना काफ़ी ज्यादा होती है। पूरे विश्व में कैंसर से होने वाली मृत्यु में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है। जिसका मुख्य कारण अत्यधिक धूम्रपान सेवन करना ही होता है। बीड़ी, सिगरेट, खैनी, पान मसाला, पुड़िया, जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह के रोगों को जड़ से मिटाने के लिए धूम्रपान का ख़ात्मा करना बेहद ही जरूरी है।
स्कूली बच्चों में भी बढ़ती जा रही तम्बाकू की लत:
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि बहुत से नुकसानदायक बीमारियों की शुरुआत के पीछे तम्बाकू का सेवन ही मुख्य कारण होता है। तम्बाकू के सेवन के प्रति रुचि आजकल न सिर्फ युवाओं में बल्कि स्कूली बच्चों में बढती जा रही है। तम्बाकू सेवन बहुत से गंभीर बीमारियों की जड़ है।
-तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) किया गया है लागू:
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि तंबाकू की लत बहुत ही ज़्यादा खराब होती है। अगर कोई व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है तो फिर इससे निकलना बेहद मुश्किल होता। लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे निकलना चाहे तो इसके लिए उन्हें चिकित्सकीय उपचार से ज्यादा मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। मजबूत इच्छाशक्ति के साथ चिकित्सकीय उपचार, परिवार, सहयोगियों के अलावा आसपास के लोगों के सहयोग से तंबाकू सेवन की लत से बाहर निकला जा सकता हैं। तंबाकू उत्पादों का सेवन सार्वजनिक स्थलों पर रोकने के लिए सरकार द्वारा कानून बनाया गया है। इसके लिए तंबाकू नियंत्रण अधिनियम कोटपा लागू किया गया है।
कोटपा के तहत तंबाकू इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाने पर लोगों को धारा 4, 5, 6 तथा 7 के तहत कानूनी कार्यवाही व आर्थिक दंड वसूला जा सकता है।
जो निम्नलिखित हैं:
-सार्वजनिक स्थलों या आसपास धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को धारा-4 के तहत 200 रुपये का जुर्माना देय होगा।
-तंबाकू पदार्थों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर धारा-5 के तहत 01 से 05 साल तक की कैद एवं 1000 से 5000 तक का जुर्माना देय होगा।
-18 आयुवर्ष से इससे कम आयु वर्ग के अवयस्कों को धारा-6 के तहत तंबाकू पदार्थ बिक्री करने वालों को 200 रुपये जुर्माना लगाया जाता है।
-धारा-7 के अनुसार बिना चित्रित व पैकेट के 85% भाग पर मुख्य रूप से न छपे वैधानिक चेतावनी के तंबाकू पदार्थों की बिक्री पर 02 से 05 साल की कैद एवं 1000 से 10000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है।