लापरवाही बन सकती है बड़ी परेशानी, इसलिए सतर्कता व सावधानी जरूरी
किशनगंज :एनीमिया से बचाव के लिए प्रोटीनयुक्त आहर का सेवन करना चाहिए। यह बीमारी खून की कमी से होती है। इसलिए इससे बचाव के लिए आयरनयुक्त खाना का सेवन करना जरूरी है। दरअसल, शरीर में पर्याप्त आयरन रहने से इस बीमारी की संभावना न के बराबर रहती है। इसलिए, खान-पान एवं रहन-सहन का विशेष ख्याल रखें और सकारात्मक बदलाव ही बीमारी से बचाव का बड़ा उपचार है। यह बीमारी खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन कम होने से होती है। इसलिए, लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराएं और चिकित्सा परामर्श का पालन करें। अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही बड़ी मुसीबत और परेशानी का सबब बन सकती है। इससे घबराने की भी जरूरत नहीं है। ऐसे में समय पर जांच के लिए अस्पताल जाने एवं चिकित्सकों की सलाह का पालन करना चाहिए। जो आगे की मुसीबत उत्पन्न नहीं होने देगी एवं आपके लिए फायदेमंद साबित होगा तथा आसानी के साथ आपको बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
आयरनयुक्त खाना का करें सेवन:
किशनगंज ग्रामीण के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. के के कश्यप ने बताया, आयरन की कमी के कारण एनीमिया होती है। इसलिए आहार बदलने एवं आयरन युक्त आहार का सेवन करने से इस बीमारी से बचाव होगा। साथ ही लक्षण दिखते ही मरीजों को तुरंत जांच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श का पालन करते हुए आवश्यक इलाज भी कराना चाहिए।
ये हैं एनीमिया के प्रारंभिक लक्षण:
एनीमिया बीमारी के शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि है। ऐसा लक्षण होते ही ससमय इलाज कराएं।
प्रोटीनयुक्त खाने का करें सेवन:
एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त खाने का सेवन करें, जैसे कि पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि। जो कि आपके शरीर की कमी को पूरा करता एवं हीमोग्लोबिन जैसी कमी भी दूर होती है। इससे आपको एनीमिया बीमारी से बचाव मिल सकता है।
गर्भवती महिलाएं रखें विशेष ख्याल एवं चिकित्सकों की सलाह का करें पालन :
सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम याश्मिन ने बताया की गर्भवती महिलाएं को गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए शरीर में रक्त का निर्माण करना पड़ता है। जिसमें कमी होने के कारण एनीमिया होने की प्रबल संभावना हो जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाएँ को गर्भ दौरान लगातार हीमोग्लोबिन समेत अन्य आवश्यक जांच करानी चाहिए एवं चिकित्सकों के चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए। एनीमिया के दौरान आप तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से दिखाएं एवं चिकित्सकों के अनुसार आवश्यक जांच कराएं। इसके बाद चिकित्सकों द्वारा दी गई आवश्यक चिकित्सा परामर्श का पालन करें, जो आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।