नवादा /रामजी प्रसाद के साथ कुमार विश्वास
गया रजौली पक्की सड़क से नवाबगंज मोड़ से नवाबगंज गांव तक जाने के लिए एक मुख्य चौड़ी सड़क हुआ करती थी। पर, आज इस सड़क का नामोनिशान नहीं है। 1945-1985 के सर्वे के बाद मानचित्र में इस सड़क को दर्शाया गया है। आज पता ही नहीं चल रहा है कि 20 फीट चौड़ी व 2 से 3 किलोमीटर सड़क कहां चली गई। इसे धरती निगल गई या आसमान खा गया।
जिले के प्रसिद्ध सिरदला प्रखंड के नवाबगंज गांव के निवासी जस्टिस सर्वर अली यही इसी गांव के थे जो पटना हाई कोर्ट मे मुख्य न्यायधीश थे बाद मे उनकी बेटी सीमा अली भी हाई कोर्ट की जज बनी थी ,इसी अली खानदान के पूर्वज नबावगंज के ज़मींदार थे जीवित रहते वो हमेशा गांव आते रहते थे ।लेकिन उस गांव की हाल य़ह है कि गांव के लोग पक्की सड़क के लिए तरस रहे है अंग्रेजो द्वारा बनाया सड़क का नामो निशान समाप्ति पर है।

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वर्तमान में सड़क नवाबगंज मोड़ से होकर धिरौन्ध व छोनुबिघा के लिए जाती है।
धिरौन्ध में अंग्रेजों ने रहने के लिये अपना आशियाना बनाया था और पक्की सड़क भी पर कुछ ही दिनों बाद वो नवाबगंज गांव में अपना शानदर आशियाना बनाया और मुख्य सड़क नवाबगंज मोड़ से हो कर पूरे गांव तक पक्की सड़क का निर्माण करवाया था । उसके बाद आज तक किसी ने भी ध्यान नही दिया । आज सड़क की हालत ये है कि कुछ लोगों ने सड़क पर अपना पक्का मकान निर्माण कर लिया व पेड़ पौधों को भी सड़क पर लगा दिया जिसे 30 से चालीस फिट चौड़ी सड़क अब महज 10 फिट तो कही 12 फिट रह चुका है । थोड़ी सी बारिश में लोगों को पैदल चलना भी अब दुर्भर हो गया है । सड़क कहाँ है और गढ्ढे कहाँ ये भी लोग अब पता नही कर सकतें है। कुछ जगहों पर सड़क बचा भी है तो लोग अपने पशुओं को सड़क के ऊपर बांध कर अवरुद्ध कर देतें है ।
आजादी के 7 दशक बीत जाने पर भी किसी जनप्रतिनिधियों ने नही दिया ध्यान ।
अग्रेजो के जमाने मे बनी सड़क से आज तक हर एक जनप्रतिनिधियों ने कई बार पैदल कीचड़ में चल कर वोट तो ले लिया और जितने के बाद सड़क निर्माण की बात कह कर आज तक गांव को देखना तक मुनासिब नही समझे । आज हालात ये है कि 7 दशक से गांव के लोग पक्की सड़क को देखने के लिए तरस रहें है।
क्या कहतें है बुजुर्ग ।
गांव के बड़े बुर्जुगों का कहना है कि करीब 6से 7के दशक में नए सड़क का सर्वे हुआ। इससे पहले इस एकमात्र मुख्य पुरानी सड़क का ही इस्तेमाल आम लोगों के साथ अंग्रेज अफसर भी करते थे। नई सड़क सिरदला से hisua तक नए रूप में अपने अस्तित्व में जब से आयीहै। तबसे लोग इस पुराने मुख्य सड़क को भुलते चले गएं। आज तक जिस भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हों या मुखिया हो या जिलापार्षद किसी ने भी हमारे गांव की सड़क के बारे में नही सोचा ।





























