किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड अंतर्गत शिवगंज धाम बालू बाड़ी शिव मंदिर के प्रागंण में एक दिवसीय प्रज्ञा आयोजन संस्कार महोत्सव सहित गायत्री यज्ञ का आयोजन दिलीप कुमार दास के सहयोग से आयोजित किया गया। टोली नायक हरिश्चंद्र प्रसाद सिंह के और परिवार्जको द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने में सराहनीय योगदान दिया गया।

प्रज्ञा संगीत के माध्यम से वातावरण भक्ति मय हो उठा। युग निर्माण योजना द्वारा चलाए जा रहे गतिविधियों तथा 2026 बंदनीय माता भगवती देवी शर्मा के सूक्ष्म संरक्षण में विश्व स्तरीय महान आयोजन की भूमिका पर हरिश्चंद्र जी ने बृहदचर्चा की। समय दान श्रमदान अंशदान की भूमिका में लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने का आश्वासन दिया तथा संकल्प भी ग्रहण किया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्र राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित श्यामानंद झा ने जन समुदाय को संबोधित करते हुए काफी भावुक होते हुए कहा हमारी महान संस्कृति एवं राष्ट्र पुरुष के रूप में आरूढ महान भारत वर्तमान परिस्थितियों की वेदना से कराह रही है। सारा विश्व नवयुग निर्माण की दिशा में अखिल विश्व गायत्री परिवार से काफी आशान्वित है कि आने वाला सतयुगी वातावरण की स्थापना यही एकमात्र दैवी संस्था कर सकेगी और इस दिशा में हमारी संस्था प्राणपण से जुटी हुई है। जितना हो सका है सराहनीय है किंतु बहुत कुछ करना अभी शेष है। इसीलिए इस समय के महत्व को समझने की आवश्यकता है।
आगे बोलते हुए श्री झा ने कहा महापुरुषों के जीवन का आधार तप रहा है। इसलिए तप करने की आवश्यकता है। तप साधना से मिली सफलता से भारत का इतिहास भरा पड़ा है। उन्होंने कहा लोहा को तपाकर जब नरम किया जाता है तो तरह-तरह के कीमती औजार बन जाते हैं। सोने की ईट को तपाने पर वह भी नरम होकर सुंदर आभूषण के रूप में परिणत होकर नारी सौंदर्य को प्रभावित करता है। मिट्टी को खोद कर नरम बनाकर खेत बना दिया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के फसल पैदा कर हमारा पोषण करती है।
आटा को पानी देकर नरम करके रोटी बनाई जाती है जो इंसान का पेट भरती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नम्रता मानव मात्र का आभूषण है जिसमें ऐसे गुण आ जाते हैं वे सबके प्रिय बनकर उनके दिल में बस जाते हैं। नम्रता शालीनता को अपना कर ही हम दूसरे का परिवर्तन कर सकते हैं। देव संगठन को मजबूत करने की महती आवश्यकता है क्योंकि अच्छे लोग ही अच्छाई ला सकते हैं।
कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न प्रकार के संस्कार कराए गए। पुंसवन संस्कार के महत्व पर व्याख्या करते हुए श्री झा ने कहा बच्चा मां के पेट में ही संस्कार ग्रहण कर लेता है। भारतीय वैदिक संस्कृति ने इस पर बहुत पहले ही शोधकर साबित कर दिया है कि कहोड़ ऋषि के संतान अष्टावक्र चारों वेदों का ज्ञान अपने मां के पेट में ही सीख लिया था क्योंकि उनकी मां विदुषी थी और चिंतन चरित्र व्यवहार आदर्श के अनुशासन से भरा था।
अभिमन्यु सहित कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए श्री झा ने कहा वर्तमान समय में आधुनिक विज्ञान भी रिसर्च कर बताया है कि 40% ज्ञान संस्कार मां के पेट में ही सीख लेता है। अतः मातृशक्ति को योग्य संतान की प्राप्ति के लिए अपने चिंतन को श्रेष्ठ आदर्श चरित्र एवं व्यवहार में कुशलता लाने की संपूर्ण आवश्यकता है। ऐसे व्यवस्थित जीवन के लिए शक्ति संवर्धन हेतु नियमित गायत्री मंत्र की उपासना के लिए सादर निवेदन किया गया। ज्ञान शक्ति आचरण एवं व्यक्तित्व का निर्माण होकर हम महापुरुष ऋषि संत वैज्ञानिक दार्शनिक आदि जिस क्षेत्र में कदम उठाएंगे गायत्री मंत्र हमें बल प्रदान करेगा।
शांति पाठ एवं जय घोष के साथ कार्यक्रम की पूर्णाहुति दिव्य वातावरण में संपन्न की गई।
कार्यक्रम को दिव्य वातावरण में संपन्न करने हेतु कमलेश कुमार अधिवक्ता दिलीप कुमार ज्योति कुमारी प्रिया कुमारी प्रीति देवी हेमलता अंजू झा गौरी देवी हरिश्चंद्र सिंह सिप्टी प्रसाद सिंह साबू लाल सिंह बीना देवी विमल कुमार शिवानी देवी आदि की भूमिका प्रशंसनीय रही।


























