कुमार राहुल
मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल से मुंबई -मुगलसराय एक्सप्रेस पर चढ़ने के लिए आज काफी लोग आए थे। किसी के चेहरे में घर जाने की खुशी नहीं थी ।सभी निराश नजर आ रहे थे। गाड़ी आते ही धक्का-मुक्की कर सब लोगों की तरह मैं भी गाड़ी में सवार हो गया ।गाड़ी में चढ़ते वक्त किसी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया, लेकिन डब्बे में आकर साथ बैठने के क्रम में लोग एक ,दूसरे के सामान को छूने तक से परहेज करने लगे। हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कोरोना पीड़ित समझ रहा था, तभी मोटरी और पोटली लेकर शुद्ध भारतीय वेशभूषा में आया व्यक्ति कहने लगा 48 नंबर सीट हमारा है। तभी दूसरा व्यक्ति कहने लगा.. सीट तो है ..तो के सर पर चढ़कर बैठेगा.. अपने कोरोना वाले सामान दूर रख, दूसरा .. क्यों तू ऑस्ट्रेलिया से आया है ,जो तेरा सामान लेकर कोरोना वाला नहीं है ।
तभी एक बुजुर्ग मुस्लिम दाढी वाले ने कहा.. अरे भाई तसल्ली से सामानों को एडजस्ट कर लो, किसी कोरोना नहीं होगा ।मैं ऊपर से सब देख रहा था। तभी लगभग 25 साल का युवा हरियाणवी भाषा बोलने वाले से बोला.. एंथोनी भाई मैंने आपके सारे सामान को एडजस्ट कर दिया है। तभी मुस्लिम व्यक्ति ने झगड़ने वाले व्यक्ति से पूछा, भाई आपका नाम क्या है ?जब उसने कहा ..अमर गुप्ता ..तो एंथोनी भाई ने मुस्लिम से पूछा, थारा भी तो कोई नाम होगा… तो उसने कहा ..अकबरुद्दीन.. तो एंथोनी भाई ने कहा ओबीसी (ओवैसी) का भाई तो नहीं… तो मुस्कुराते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, वही समझ लीजिए। बड़ा ही अजीब संयोग था, मेरे लिए, फिल्म के तीनों पत्र अमर ,अकबर, एंथोनी मौजूद थे। मेरी जिज्ञासा बढ़ गई, मैं नीचे उतरा और लोअर बर्थ में बैठ गया। एंथोनी भाई ने कहा… भाई ओवैसी ईब झगड़ा तो ना कराबेगा.. अकबरुद्दीन.. जनाब लोग कोरोना से परेशान हैं ,लाखों लोगों ने जान गवा दी है ,आप लड़ाई की बात करते हैं ।
अमर गुप्ता ..हा..मौलवी साहब जब से आया हैं सब से लडना चाहता है।देखे नहीं… क्या आप लोग… देश में लोग कोरोना से मर रहे हैं ,और यह सब लोग किसान आंदोलन के नाम पर देशद्रोह, लड़ाई .. झगड़ा लाल किले पर हमला ,रास्ता रोकना ,पता नहीं क्या-क्या कर रखा हैं.. एंथोनी भाई… खबरदार जो एक शब्द किसान आंदोलन के बारे में बोला तो… तने के मालूम.. नाशपिटे ने बेड़ा गर्क कर रखा है सब कुछ अदानी ,अंबानी के हाथ में दे देवेगा , खेती किसानी बची है, अब उस पर भी सब गुजरातियों की नजर है। अमर गुप्ता ..मोदी जी ने पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया है।
गरीबों को मुफ्त में गैस ,चूल्हा, घर सब कुछ दिया है। सारा देश कोरोना से लड रहा है ,आप प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने में तुले हुए हैं ।तभी तपाक से अकबरुद्दीन बोले ..हमारे भाई..। प्रधानमंत्री कोरोना से लड़ रहे हैं.. और सारा देश प्रधानमंत्री से लड़ रहा है । एंथोनी भाई …प्रधानमंत्री के पास लोगों को मारने के बड़े-बड़े नुस्खे हैं, पहले नोटबंदी में मारा, फिर जीएसटी से मारा, अब कोरोना से मार रहे है,रिजर्व बैंक में जमा सारे पैसे ले लिए..जिसके कारण बाद में लोग मरेंगे।
अकबरुद्दीन.. तकदीर के सिकंदर हैं ,अपने मोदी जी ।सीएए,एनआरसी के आंदोलन को कोरोना की पहली लहर से खत्म करवा दिया ,अब किसान आंदोलन को दूसरी लहर से खत्म करने के फिराक में है। अमर ..क्या फालतू बात करते हैं ..मोदी जी ने कोरोना को पैदा किया है ? एंथोनी …मोदी ने ना किया तो… मुझे बता ..पहली लहर के बाद जनवरी-फरवरी में उनकी पार्टी ने जश्न क्यों मनाया? और कोरोना को इलेक्शन और कुंभ में बढ़ावा दे कर लाखों लोग को क्यों मरवा दिया… अब के बोलेगा.. तू ..मैं गलत बोल रया सू.. मैंने तीनों के तर्क वितर्क के गरम माहौल को शांत करते हुए बोला ,चलिए अब स्टेशन इटारसी आ चुकी है, कुछ चाय पानी की जाय.. स्टेशन बिल्कुल खाली खाली सुनसान था ,लेकिन चाय सबको मिल गई ।
अकबरुद्दीन.. चाय की चुस्की लेते हुए.. जनाब आपने अपना परिचय नहीं बताया.. मेरा नाम गोपाल राव है.. हम लोग केरल के रहने वाले हैं ,मां किशनगंज बिहार में नर्स है और मैं मुंबई में रिपोर्टर, जब बात परिचय की गई तो मैंने सोचा, कि अपनी शंका दूर कर दूं, तो एंथोनी भाई से पूछा ..आपका नाम सही में एंथोनी है.. ना ..भाई ..ना ..मारा नाम तो नथुनी शेरावत है, मुंबई में कुछ लोगों ने मेरा नाम नथुनी से एंथोनी कर दिया, Train शुरू हुई ,और एक बार फिर बहस भी शुरू हुई ,तीनों लोगों के बीच, मोदी विरोधी दो लोगों के सामने, अमर गुप्ता ठहर नहीं पा रहे थे। तभी अमर गुप्ता ने कहा कि अब 7.. 8 घंटे में मुगलसराय पहुंच जाना चाहिए.. तभी एथोनी भाई बोले ..ईब जाकर गंगा किनारे लाशे गिनेगा के ..योगी तो सारा काम धमकी देकर करावे है ..क्यों ना कोरोना को भी धमकी से भगा दिया। गांव के गांव खाली हो रहे हैं। अमर गुप्ता ..देश की स्वास्थ्य व्यवस्था क्या मोदी ने खराब की थी.. या 70 साल से खराब है.. एंथोनी.. 7 साल में ठीक क्यों ना करा लिया…उन्हें तो एमएलए खरीद कर राज्य सरकार हडपने से फुरसत कहा थी, यो मध्य प्रदेश ले ,करनाटक ले ,नॉर्थईस्ट ले ,सब जगह यो ही कब्जा किया ।
अकबरुद्दीन ..अब सारे राज्यों में कब्जा कर, काम की बात छोड़कर ,केवल मन की बात करते हैं ।कोरोना की दूसरी लहर के लिए समय रहते हुए, इंतजाम नहीं किया ।इसलिए आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने पहले कहा था, लाशों पर आंसू बहाने मोदी जी, टीवी में जरुर आएंगे.. वैसा ही हुआ… इसी कोरोना में 2 महीने में 420 डॉक्टरों की मृत्यु हो गई, लेकिन मोदी जी को कोई फर्क नहीं पड़ा। अमर गुप्ता .प्रबल मोदी समर्थक होते हुए भी कोरोना काल में लोगों का मुंह बंद करने में सक्षम नहीं थे, अभी टेलीग्राफ में फर्स्ट पेज में खबर छपी थी, कि मगरमच्छ अपने भोजन कर खुश होता है तब आंसू बहाता है ।
ट्रेन में आपको कई राज्यों के लोग और उनके रियल ओपिनियन मिलेंगे ।मोदी पहले प्रधानमंत्री नहीं है, जिसने अपने कार्यकाल के सातवें साल में लोकप्रियता में गिरावट देखा.. प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 1959 में लोकप्रिय काफी गिर गई थी, 1975 में इंदिरा गांधी की ,और जो 2011 में मनमोहन सिंह को अन्ना हजारे आंदोलन के कारण लोकप्रियता में गिरावट का सामना करना पड़ा था ।सभी लोग थोड़ी देर आराम कर उठे, तो Train गंगा नदी के किनारे से गुजरने लगी थी, नदी का किनारा हजारों दफन लाशों पर सफेद और गेरुआ कपड़ों से पटे पड़े थे । तभी अकबरुद्दीन भाई..ने पूछा यह क्या है ।
गोपाल राव …. यह उन लोग की लाश है, जिन का इलाज नहीं हो सका ,और कोरोना ने उनकी जान ले ली ।यह सभी लाशें सुदूर गांव के रहने वाले लोगों की है। जिसे गंगा में बहा दिया गया था ।एंथोनी Bhai ..अमर की ओर निराशा भाव से …देखते हुए …अब तू किस गांव में जाएगा ..अमर.. 2 दिन से घर वाले फोन नहीं उठा रहे हैं ,बोलते हुए रोने लगा.. पता नहीं क्या हुआ है ..पहले ही मुंबई में अपने भाई को कोरोना से खो चुका हूं ।अकबर… मैं भी तो अपने परिवार में अकेला बचा हूं। आप लोगों से बहस कर दिल को तसल्ली दे रहा था।
एंथोनी… मेरे घर के दो लोग किसान आंदोलन में मर चुके हैं ,एक बेटे को मुंबई में कोरोना ने लील लिया है
तीनों की बातें सुनकर मेरा दिल भी पसीज गया, मैं सोचने लगा, मेरे सामने तो आगे कुआं ,पीछे खाई है। केरल में कोरोना ने तांडव मचा रखा है ,बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था का खुदा ही मालिक है । बिहार सरकार को वेंटिलेटर चलाने वाले डॉक्टर नहीं मिले ,जबकि बड़े तनख्वाह में walk-in-interview से अपॉइंटमेंट की बात कही गई। कोरोना ने अभी पीछा नहीं छोड़ा, जबकि ब्लैक फंगस र्और वाइट फंगस लोगों की जान लेने में आमादा है।
डब्ल्यूएचओ कह रही है कि कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर 2021 तक आने की संभावना है ,लेकिन राजस्थान में अब तक 1750 बच्चे कोरोना के शिकार हो चुके है। ट्रेन मुगलसराय स्टेशन पर आ चुकी है। स्टेशन में उतर कर हम सभी अपनी-अपनी Train के बारे में बात करने लगे थे, तभी अमर गुप्ता की फोन की घंटी बजी, पता चला माता-पिता की कोरोना से मृत्यु 3 दिन पहले हो चुकी है ,पैसे की कमी के कारण शवों को गंगा में बहा दिया गया है ।
अमर फूट-फूट कर रोने लगा… तभी अकबरुद्दीन.. एंथोनी ने उसे ढांढस बताते हुए कहा.. मेरा भी अब दुनिया में कोई नहीं बचा.. आज से तू ही हम दोनों का बेटा है। तभी मेरी ट्रेन आ गई और मैं एक नए सफर को निकल गया, यह सोचते हुए, कि अगर जान बच गई, तो बिहार में ही काम ढूंढना पड़ेगा, क्योंकि लॉकडाउन के बाद नौकरी मिलेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है ,और इस बीमारी और लॉकडाउन में भारत की प्रति व्यक्ति आय बांग्लादेश से भी 27% कम हो गई है ।यानी आगे जिंदगी के रास्ते भगवान भरोसे….
उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार है ।





























