कार्रवाई के बाद हर तरफ एसपी की हो रही है प्रशंसा
एसडीपीओ व थानाध्यक्ष की भी भूमिका सराहनीय
प्रवीण गोविन्द, अतिथि संपादक।
सुपौल : एक तो खाकी वर्दी की गर्मी उसपर शराब का नशा, हैंगओवर तो होना ही था। हम बात कर रहे हैं सदर थाने में पदस्थापित सब इंस्पेक्टर अजय झा की। शुक्रवार की देर शाम शराब पीने के बाद झा हैंगओवर हो गए। सभी को मालूम है कि हैंगओवर हो जाने पर लोगों का दिमाग सही तरह से निर्णय नहीं ले पाता है। वही हुआ भी। सुपौल से परसरमा पहुंचने पर झा ने लोगों के साथ गाली -गलौज की उसके बाद हंगामा बढ़ता ही चला गया । झा को आउट ऑफ कंट्रोल होना महंगा पड़ा। किसी ने मामले की जानकारी पुलिस कप्तान मनोज कुमार को दे दी। कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में चर्चित पुलिस कप्तान श्री कुमार ने मामले को काफी गंभीरता से लिया। तत्क्षण एसपी के आदेश पर दारोगा को गिरफ्तार कर अस्पताल लाया गया। मेडिकल जांच में आरोप की पुष्टि होने के बाद झा अपने ही थाने के हाजत में बंद कर दिए गए। अब हमेशा के लिए वर्दी भी उतर जाएगी। पुलिस अधीक्षक ने अवर निरीक्षक के निलंबन का आदेश जारी कर दिया है। शीघ्र ही झा सेवा से बर्खास्त कर दिए जाएंगे। झा मूल रूप से दरभंगा जिला के घनश्यामपुर थाना क्षेत्र के गोइमिस्र लगमा गांव के निवासी बताए जाते हैं । गौरतलब है कि सदर थाना में तैनात 57 वर्षीय सब इंस्पेक्टर अजय कुमार झा को देर शाम रात्रि गश्ती की जिम्मेवारी दी गई थी। इस मामले में एसडीपीओ इंद्रप्रकाश व थानाध्यक्ष दीनानाथ मंडल की भूमिका भी सराहनीय रही।

मयखाने की आज भी लगती है महफिल
कुलमिलाकर, सत्ता में बैठे लोगों के साथ ही अधिकारी वर्ग काफी उत्साहित हैं कि अब शराब नहीं बिक रही है। लेकिन सरजमीं पर ऐसा है नहीं। यहां नप द्वारा नाले की सफाई के क्रम में शराब की खाली बोतलों की भरमार रहती है। दबी जुबान से लोग बताते हैं कि कागज पर भले ही शराब पर प्रतिबंध हो, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि सुपौल में मयखाने की महफिल आज भी लगती है। नाले की सफाई में बड़ी संख्या में बोतलों का मिलना, शराब पीकर सब इंस्पेक्टर द्वारा हंगामा करना इसकी पुष्टि करती है। निश्चित तौर पर इस कृत्य पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
बड़ा सवाल : आखिर शराब की खेप आती कहां से है?
बहरहाल, कहने को तो शराब पर प्रतिबंध है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। महात्मा गांधी कहा करते थे- ‘ शराब की आदत मनुष्य की आत्मा को नाश कर देती है और धीरे-धीरे उसे पशु बना डालती है जो पत्नी, मां और बहन में भेद करना भूल जाता है। प्रतिबंध के बाद भी शराब की उपलब्धता के बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर शराब की खेप आती कहां से है? शराबबंदी को लेकर चाहे जो भी दावे किए जाते रहे हैं लेकिन सभी दावे समय-समय पर झूठे साबित हुए हैं। सही मायने में कहिए तो शराबबंदी की हवा निकल गई है। हां, एसपी मनोज कुमार के योगदान के बाद से ही जरूर शराब माफिया में हड़कंप है। श्री कुमार एक कड़क व तेज-तर्रार पुलिस पदाधिकारी माने जाते हैं। पूर्व में श्री कुमार ने शराब विक्रेता का एक बड़े गिरोह का खुलासा भी किया था, जिसमें 7 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जिनकों शराब पर पाबंदी लगाने का जिम्मा है उसके अधिकारी भी इस काले कारोबार में शामिल होकर मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि यह जांच का एक विषय है। कुल मिलाकर जो भी हो, लेकिन सफाई के दौरान मिल रही शराब की बोतलें, झा द्वारा शराब पीकर हंगामा मानो कह रही है कि पाबंदी के बाद भी मैं उपलब्ध हूं। जब भी इच्छा हो, बस पैसा निकालो। हां, प्रतिबंध है सो ऊंची कीमत तो देनी ही पड़ेगी। हां, सब इंस्पेक्टर मामले में एसपी द्वारा त्वरित कार्रवाई के बाद हर तरफ एसपी की प्रशंसा हो रही है। इस मुत्तलिक एसपी मनोज कुमार ने बताया कि कानून सभी के लिए बराबर है।