विषम परिस्थितियों में खुद को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती ।
मजबूत हौसले के दम पर अमृत सागर ने जीती कोरोना से जंग
संक्रमण से बचाव के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक
किशंनगंज /प्रतिनिधि
कोरोना संक्रमण का यह दौर हमारे स्वास्थ्य अधिकारियों के लिये अब तक बेहद चुनौतिपूर्ण रहा है. संक्रमित लोगों की देखरेख के क्रम खुद संक्रमण की चपेट में आकर उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है. लेकिन अपनी जिम्मेदारियों का बोध व जनमानस की सेवा के प्रति उनके जज्बा के दम पर हम इस वैश्विक बीमारी को कड़ी चुनौती देने में अब तक बेहद सफल रहे हैं. उस मुश्किल दौर में एक ऐसे व्यक्ति जिनके कंधों पर समस्त दिघलबैंक प्रख्ंड के सामुदायिक उत्प्रेरण संबंधी जिम्मेदारी हो, उनकी चुनौतियों का अंदाजा लगाना बेहद सहज है.
हम बात कर रहे हैं दिघलबैंक प्रख्ंड प्राथ्मिक स्वस्थ्य केन्द्र के प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक अमृत सागर की, जो अक्टूबर माह में ही संक्रमण की चपेट से बाहर निकले हैं.
अपनी आपबीती साझा करते हुए अमृत सागर बताते है, लगातार कई दिन कई क्वारेंटाइन सेंटर का निरीक्षण, मरीजों को उपलब्ध सुविधाओं की पड़ताल सहित सरकारी दिशा निर्देशों के अनुपालन के क्रम में अचानक एक दिन उन्हें सर्दी-खांसी के साथ-साथ हल्की बुखार का अनुभव हुआ. साधारण दवा जब बेअसर साबित हुई. तो फिर उन्होंने कोरोना जांच का निर्णय लिया. प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक अपनी ड्यूटी पर थे. इसी क्रम में उन्हें रिपोर्ट पॉजेटिव आने की सूचना मिली, तबियत और बिगरती चली गयी।
जिसके बाद उनके मुह से आवाज निकलना बंद हो गया तथा श्वास लेने में काफी तकलीफ हुई. पहले तो कुछ समझ नहीं आया. फिर हिम्मत बांध कर इस चुनौती से सख्ती से मुकाबला का निर्णय लिया. दिमाग में चिंता व निराशा घर कर रहा था. परिवार के लोगों के सेहद की चिंता परेशान कर रहा था. ऐसे में अस्पताल के चिकित्सक व अन्य सहकर्मियों का भरपूर सहयोग ने हिम्मत दी. उन्होंने खुद को अपने घर में क्वारेंटाइन करने का निर्णय लिया। शुरू के एक दो दिन तो बेहद बेचैनी में गुजरा, बाद में धीरे धीरे सब कुछ सामान्य होता चला गया.
संक्रमण की चपेट में आने के बावजूद मजबूत हौसले के दम पर जीती कोरोना से जंग:
प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक अमृत सागर ने कहा कि नाकारत्मक विचारों को मात देने का सबसे अच्छा तरीका है कि खुद को अपने काम मे व्यस्त रखा जाय. इसे महत्व देते हुए उन्होंने खुद को अपने काम में इस कदर व्यस्त कर लिया कि नाकारत्मक विचार उनके आस पास भी नहीं भटक सके. संक्रमण काल से उबरने में परिवार वालों का साथ तो मिल ही. मित्र, सहयोगी व अस्पताल के वरीय अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग मिला. दोस्त लगातार फोन पर हाल-चाल जान रहे थे. जरूरी नसीहत और उनका सुझाव मिल रहा था. अस्पताल के चिकित्सक और अन्य सहयोगी भी लगातार संपर्क में थे. जरूरी स्वास्थ्य सुविधा समय पर मिल रहा था. जो इस विपरीत घड़ी में से उपरने में बेहद कारगर साबित हुआ. निराशा के आलम में खुद को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होती है. घर मे रहकर घरवालों से दूरी बनाये रखना भी आसान नहीं और जब घर मे छोटे बच्चे हों तो यह और मुश्किल हो जाता है.
संक्रमण से बचाव के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक:
अमृत सागर संक्रमण से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं. कोरोना का कोई इलाज अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है, इस लिये सतर्कता बरतना ही एकमात्र उपाय है। कोरोना संक्रमित के संदिग्ध लोगों के संपर्क में आने से बचें। हाथ धोने की आदत डालें। मुंह और नाक को हाथ से न छुएं। सैनिटाइजर और साबुन का इस्तेमाल करें। बाहर मास्क लगा कर ही निकलें।
सामुदायिक उत्प्रेरक अमृत सागर ने बताया होम आइसोलेशन के नियम
-संक्रमित व्यक्ति के घर में होम आइसोलेशन के दौरान परिवार से अलग और उचित दूरी पर रहने की सभी सुविधाएं मौजूद हों।
-इसके साथ ही होम आइसोलेशन के दौरान संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने के लिए 24 घटें और सातों दिन कोई व्यक्ति उपलब्ध रहना चाहिए। देखभाल करनेवाले व्यक्ति और जिस हॉस्पिटल से मरीज़ का इलाज चल रहा है, उसके बीच लगातार संपर्क रहना चाहिए। जब तक कि होम आइसोलेशन की अवधि तय की गई है।
- मरीज को होम आइसोलेशन के दौरान हर समय तीन लेयर वाला फेसमास्क पहने रहना चाहिए। हर 8 घंटे में इस मास्क को बदल दें। अगर आपको लगता है कि पसीने के कारण मास्क गीला हो गया है या धूप-मिट्टी के कारण गंदा हो गया है तो इसे तुरंत बदल लें।
- आइसोलेशन के दौरान मरीज को केवल एक तय कमरे में ही रहना चाहिए। साथ ही परिवार के सभी लोगों से दूर रहना चाहिए तथा सारी व्यवस्था भी अलग होनी चाहिए।