सभी विज्ञानों में सर्वश्रेष्ठ महाविज्ञान अध्यात्मवाद है: श्यामानंद झा

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गुरू पूर्णिमा पर भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भाव भरे उद्बोधन में उल्लेख करते हुए कहा गया विश्व वसुधा को एक सूत्र में पिरोने हेतु अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा विश्व स्तरीय कार्य चल रहा है। रचनात्मक अभियान से लेकर नैतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मानव चेतना का विकास हेतु हमारा विश्व व्यापी अभियान काफी गतिमान स्थिति में है और आने वाला सतयुग नवयुग का भाव भरा संदेश लेकर लौटेगा। ऐसा गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्र राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत प्रधानाध्यापक श्यामानंद झा ने कहा।

संसार में अनेक प्रकार के ज्ञान विज्ञान भरे पड़े हैं जिसे लोग अपनी अभिरुचि के अनुसार सीखते भी हैं परंतु सभी विज्ञानों में सर्वश्रेष्ठ महाविज्ञान अध्यात्मवाद है। आगे उद्बोधन में श्री झा ने कहा हमारे वैदिक संस्कृति में पांच प्रकार के गुरु बतलाए गए हैं यथा माता-पिता, धरती, शिक्षा गुरु अर्थात शिक्षक, एवं आध्यात्मिक गुरु। आध्यात्मिक गुरु को व्यास के रूप में माना जाता है जिसके द्वारा जीवन जीने की कला और चेतनात्मक विकास संभव है।

आध्यातवाद जीवन का तत्व ज्ञान कहा गया है जिसके माध्यम से उन्नति, समृद्धि एवं सुख शांति प्राप्त की जा सकती है। भूतल के समस्त वैभव मिलने के बाद भी यदि अध्यात्म का आनंद ना मिल पाया तो जीवन में शांति का मिलना‌दुष्कर है। वैज्ञानिक अध्यात्मवाद जीवन का सर्वांगीण विकास माना जाता है।
मनः स्थिति बदलने से परिस्थिति अपने आप बदल जाती है। गायत्री मंत्र जीवन के समस्याओं का समाधान है, अध्यात्म का मूल है, प्राण दाता है, दुख नाशक है, तेज स्वरूप है, पाप नाशक है, सद्ज्ञान दात्री है एवं जीवन को सन्मार्ग में चलने की पूर्ण शक्ति एवं प्रेरणा प्रदान करती है जिससे मानव में आत्म संतोष, श्रेय, सम्मान और देवी अनुग्रह स्वत: प्राप्त होता है। जिसके फल स्वरुप मानव देव तुल्य बन जाता है।

अतः सारी संकीणर्ताओं से ऊपर उठकर गायत्री की नियमित उपासना, साधना एवं आराधना श्रद्धा विश्वास के साथ करने की आवश्यकता है। गुरु शिष्य परंपरा का विस्तार से उल्लेख करते हुए श्री झा ने कहा गुरु शिष्य परंपरा हमारे भारतीय संस्कृति का विरासत है ।

इसेजीवंत और जागृत करने की परम आवश्यकता है।
विभिन्न प्रकार के संस्कार कराते हुए दिव्य वातावरण में पूर्णाहुति कराई गई और मानव जीवन को पूर्णता प्राप्त करने के लिए प्रेरणा दी गई।


कार्यक्रम की सफलता के लिए सक्रिय भूमिका निभाने वाले हरिश्चंद्र प्रसाद सिंह की टोली एवं उनके सहयोगी अनु देवी, डिप्टी सिंह, साबूलाल सिंह, बाबूलाल, तारा देवी, भारत कुमार, अजय सिंह, भारती देवी, नवल किशोर झा, धीरेंद्र कर्मकार, विमल सिंह, विजय सिंह, वीणा देवी आदि का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा !