किशनगंज /विजय कुमार साह
टेढ़ागाछ प्रखंड के सभी पंचायतों में विभिन्न योजनाएं मनरेगा के तहत चल रही है। जिसमें सड़क निर्माण,तालाब की खुदाई आदि कार्य को प्रमुखता के साथ की जा रही है फिर भी मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है।जिसके कारण मजदूर रोजगार के लिए पलायन कर रहें हैं।गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण को लेकर भारी संख्या में प्रवासी मजदूर अपना घर वापस लौट आये थे।उस समय सरकार प्रवासी मजदूरों को अपने ही राज्यों में रोजगार देने की व्यवस्था करने की बात कह रही थी।लेकिन हालात जस की तस है।
विगत आठ महीनों से प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं हो सकी है।सरकार मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार देने के लिए बरसात में भी योजनाएं बंद नहीं की,इसलिए कि प्रवासी मजदूरों को अपने गाँव व पंचायतों में काम मिल सके और उनकी रोजी रोटी का प्रबंध भी होता रहे।लेकिन ऐसा अबतक नहीं हुआ।जानकर सूत्रों के अनुसार बाहर से लौट रहे प्रवासी मजदूरों को कोरेन्टीन सेंटर में ही प्रशासन द्वारा मनरेगा जॉब कार्ड बनवाकर दिया गया था।
परंतु आजतक उन्हें मनरेगा में जॉब नहीं मिली।प्रवासी मजदूरों ने बताया नये लोगों को मनरेगा में काम नहीं मिलता है।मनरेगा योजना मुखिया जी के सेटिंग जॉब कार्ड से चलता है।काम करना हो तो काम मिलेगा लेकिन काम को ठीका लेकर ही करना होगा।जिसका मजदूरी काम पूरा होने पर नगद मिल जाएगा।
बस इसी तरह से मनरेगा योजनाओं में काम हो रहा है और मजदूरों को वास्तविक मजदूरी भी नहीं मिल रही है।जिसके कारण अधिकतर मजदूर रोजगार की तलाश में फिर से पलायन कर रहें हैं।प्रवासी मजदूरों ने बताया अगर किसी को लगता है कि मजदूर किसी पर काम नहीं देने का आरोप लगाया है तो वे उन मजदूरों का किसी योजना में काम करने वाले मजदूरों के लिस्ट से नाम निकाल लें।जिसको कोरेन्टीन सेंटर में जॉब कार्ड मिला था।स्थानीय मजदूरों ने संबंधित अधिकारियों से मनरेगा योजना के तहत जॉब देने की गुहार लगाई है।
फ़ाइल फोटो