पंचायत चुनाव : पर्चा भरने का अनोखा अंदाज सनरूफ कार में जिला परिषद प्रत्याशी तो पति घोड़े पर सवार

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नवादा /रामजी प्रसाद एवं कुमार विश्वास

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नवादा में इन दिनों पंचायत चुनावों को लेकर नामांकन का दौर चल रहा है ।पर्चा दाखिल करने पहुंच रहे प्रत्याशी मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं नवादा जिले में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला है .

बिहार में इन दिनों पंचायत चुनाव का दंगल चल रहा है किसी भी चुनाव में नामांकन दाखिल करने को औपचारिक शुरुआत मानी जाती है इसे यादगार बनाने के लिए प्रत्याशी अक्सर कुछ अलग हटकर करते हैं ।ऐसा ही एक मामला बिहार के नवादा जिले में सामने आया है जहां पंचायत चुनाव 2001 या इसके लिए पर्चा भरने आए पति-पत्नी की काफी चर्चा हो रही है फलादेश कोविड-19 संक्रमण के कारण नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया को लेकर काफी सख्त प्रावधान किए गए हैं।

इसके चलते प्रत्याशी लाव लश्कर के साथ पर्चा दाखिल करने नहीं जा पा रहे हैं ।इसके बावजूद कुछ प्रत्याशी अलग अंदाज में सरकारी कार्यालय पहुंच रहे हैं ।एक समय था जब प्रत्याशी लंबी लंबी गाड़ियों के काफिले के साथ पर्चा दाखिल करने के लिए जाते थे।

वक्त के साथ अब इसमें बदलाव देखने को मिल रहा है क्रोनाका में प्रत्याशी सनरूफ वाली महंगी कार पर सवार होकर चुनाव प्रचार या फिर नामांकन दाखिल करने के लिए सरकारी कार्यालय पहुंच रहे हैं ।इसी दौरान नवादा में अलग तस्वीर देखने को मिली है नए और पुराने साधनों का अद्भुत मेल देखने को मिला है ।नामांकन के लिए उम्मीदवार पति घोड़े पर तो खुद प्रत्याशी सनरूफ वाली महंगी कार से निकले इस नजारे को देखने के लिए भीड़ लग गई.

दरअसल नवादा पश्चिमी क्षेत्र से भाग संख्या 14 की जिला परिषद उम्मीदवार बालेश्वरी देवी के काफिले में नए जमाने के अनुरूप वाली एसयूवी और घोड़े की सवारी दोनों एक साथ दिखी प्रत्याशी मॉडर्न कार में थी ,तो उनके पति डॉ रामप्रीत प्रसाद यादव घोड़े पर सवार थे। इस नजारे को अपनी आंखों में कैद करने के लिए सड़क के किनारे लोगों की भीड़ लग गई.
जिला परिषद प्रत्याशी ने यातायात के नए और पुराने साधन का इस्तेमाल कर नामांकन दाखिल किया।

घोड़े और मॉडल कार साथ लाने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि शौक बड़ी चीज होती है। उन्होंने बताया कि कार भी अपनी है और घोड़ा भी अपना है। दोनों घर में थे इसीलिए दोनों को साथ ले आई। जिस सड़क से उनका काफिला गुजर रहा था ,लोग उन्हें ही देख रहे थे। क्योंकि आज के इस भागमभाग वाले जमाने में यदि कोई व्यक्ति सड़क पर घोड़ा लेकर निकलता है तो बरबस ही उनकी तारीफ निगाहें चली जाती है।






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