फारबिसगंज /अररिया /सुमन ठाकुर
श्रमिको का दर्द इससे अच्छा तो परदेस में ही रह कर मर जाते।
अररिया जिला अंतर्गत सिरसिया कला विद्यालय में आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब आदि जगहों से आए मजदूरों ने आपबीती बताते हुए कहा कि वे लोग कई दिनों से पैदल व साइकिल से बिहार अपने गांव आये, जहां उसे कोरीन्टिन सेंटर में सिरसिया कला मध्य विद्यालय भेजा गया।
अब सेंटर पर न तो शौचालय की व्यवस्था थी और न ही पानी, लाइट व सोने की व्यवस्था। यहां तक कि खाने तक कि व्यवस्था नही थी। मजदूरों ने बताया कि वे लोग इसी आसपास पंचायत के हैं। व्यवस्था नही होने के कारण तीन चार मजदूर अपने अपने घर चले गये। बताया कि जब वे सभी उक्त मध्य विधालय में पहुंचे तो विधालय के हेड मास्टर द्वारा उन्हें विधालय परिषर में बने अर्धनिर्मित भवन का रास्ता दिखा दिया, जहाँ न खिड़की है, न ही दरवाजा। शौचालय एवं साफ सफाई तक कि व्यवस्था नही दी गई। मास्टर साहब ने कहा खुद झाड़ू लगा लो। यहाँ तक कि हेड मास्टर द्वारा छुआ छूत जैसे व्यवहार करते हुए चापाकल से पानी तक निकालने नही दिया गया। वे लोगो किसी तरह रात गुजारने को मजबूर रहे। वही आसपास के ग्रामीणों का भी यही कहना था कि इन लोगों को अनाथालय के बच्चों की तरह प्रशासन यहाँ सुविधाविहीन जगह पर रखी है। न तो विद्यालय परिसर का घेराव ही किया गया और न ही इन प्रवासियों के लिये सोने, खाने, लाइट आदि की ही व्यवस्था दी गई। कहा कि हमलोगों ने मिस्त्री बुलाकर अपने खर्च पर बिजली के खम्बे से तार खिंचकर लाइट की व्यवस्था करवाये। किंतु विधालय प्रबन्धन उस तार को कटवा दिया। वही मौके पर पहुंच मुखिया पति राम कुमार साह, पंचायत समिति उपेंद्र सरदार, वार्ड सदस्य पति राज कुमार यादव ने भी कहा कि सरकार की व्यवस्था खोखला साबित हो रहा है। प्रशासनिक व्यवस्था भी कुछ नही है। उनलोगों ने कहा कि विद्यालय प्रबन्धक के द्वारा किये जा रहे व्यवहार भी शर्मसार करने वाला है। स्थानीय ग्रामीण दिलीप यादव का कहना था कि जब विधालय प्रबन्धक को प्रशासनिक चिट्ठी में आये हुए प्रवासियों को मध्य विद्द्यालय में रखना था तो वे उन लोगों को कैसे खण्डहरनुमा हाई स्कूल के भवन में रखा। कहा कि अगर रखा भी गया तो उन्हें पानी पीने के लिये चापाकल तक छूने के लिये मना कर दिया गया। यहाँ तक कि शौचालय तक जाने नही दिया गया। यह जांच का विषय है। कहा कि जहाँ केन्द्र व सरकार
एक ओर खुले में शौच न करने के लिये और शौचालय में शौच करने के लिये प्रेरित किया जा रही है, वही इन प्रवसियों को खुले में शौच करने के लिये मजबूर किया जा रहा है।
वही इस पूरे मामले से अपना पलड़ा झाड़ते हुए मध्य विद्यालय के हेड मास्टर सरोज झा ने बताया कि उन्हें 14 मई को व्हाट्सएप के माध्यम से ग्रुप में चिठ्ठी मिली। इस विभागीय ग्रुप में किसी व्यक्ति विशेष के नाम से चिठ्ठी नही होने के कारण हमें चिठ्ठी का पता लेट से लगा। चिट्ठी मिलने के बाद विधालय में शाम चार से पांच बजे के समय मे प्रवासियों का विधालय आना शुरू हुआ। जिसे उन्होंने अर्धनिर्मित हाई स्कूल में सोने के लिये जगह दे दिया। कहा कि चुकि प्रशासनिक खाने पीने रहने आदि की व्यवस्था नही दी गई थी, जिस कारण मैंने भी उन प्रवसियों को कोई व्यवस्था नही दिया। हेड मास्टर का कहना था कि सरकार ही कहती है कि लोहा में चौबीस घण्टे तक वायरस का असर रहता है। ऐसे में इन प्रवासियों द्वारा चापाकल छूने पर वायरस हो जाएगा। अब ऐसे में सवाल उठता है कि इस आधुनिक इस युग में भी लोग छुआ छूत मानते हैं? किस सोच में जी रहे है लोग? ग्रामीणों का तर्क था कि अगर मास्टर साहब को वायरस का डर था तो चापाकल में रबर या प्लास्टिक लगवा देते। उनलोगों ने कहा कि कही न कही मामला छुआ छूत से है।
मौके पर दिलीप कुमार, वार्ड सदस्य पति अखलेश यादव, फूलचंद पासवान, केदार यादव, भूषण कुमार यादव, गजेंद्र पासवान वार्ड सदस्य सहित कई ग्रामीण मौजूद थे।





























