कैमूर :गणतंत्र दिवस पर गोलाकार धान के भूसी से बनी रंगोली, इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में अमरीश का नाम हुआ दर्ज

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कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):

गणतंत्र दिवस पर बनायी गयी गोलाकार धान के भूसी से रंगोली को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अमरीश का नाम दर्ज हुआ है। यह रिकॉर्ड कैमूर के निवासी व कला एवं शिल्प महाविद्यालय पटना के मूर्ति कला विभाग में अध्ययनरत छात्र अमरीशपुरी उर्फ़ अमरीश कुमार तिवारी पिता राधेश्याम तिवारी द्वारा बनाया गया है। जिनका जन्म कैमूर जिले में 22 मई 1999 को हुआ। अमरीश तीन भाइयों में से सबसे छोटे है, पर उम्र के हिसाब से बड़ा मोकाम हासिल कर रखे है। अमरीश बताते है कि रंगोली को अबीर ग़ुलाल से नहीं बल्कि धान की भूसी से बनाया गया है।

कैमूर के निवासी होने के नाते, कैमूर से संबंधित विषय कैमूर कृषि प्रधान क्षेत्र है और इसी को देखते हुए रंगोली को तैयार किया गया है, रंगोली मे विशेष प्रकार से जो रंग भरा गया है वो नेचुरल रंग है। रंगोली का आकार 900 वर्गफिट है। नौ सौ वर्गफिट की रंगोली काफ़ी लोगों के मन को लुभाया। ये सेल्फी पॉइंट के साथ ही साथ देशभक्ति के जज्बे को बढ़ाते हुए लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिला। पर इस रंगोली को बनाने में काफ़ी दिक्क़ते भी आये। धान की भूसी एक राइसमिल वाले से माँगा। आधी रात तक भूसी लाया। चुना और भूसी तथा भूसी को तिरंगे रंग में रंग कर पुरे रात मस्सक्त करने के बाद आखिर में रंगोली तिरंगे का रूप धारण कर दिनांक 26 जनवरी 2022 को सुबह 8 बजे रष्ट्रीय ध्वज प्रतीत हुआ और सभी शहर वासियों को देखने के लिए रंगोली को सार्वजनिक कर दिया गया।जिसको देख शहर वासी काफ़ी ख़ुश हुए।


गौरतलब है कि रंगोली को दिनांक 25 जनवरी 2022 के रात्रि को प्रमुख भूमिका मे अमरीशपूरी ने तैयारी शुरू कर दिए थे और सुबह होते ही तैयार हुई रंगोली, आम लोगो के लिए खोल दिया गया है। अधिक संख्या में लोग आये और रंगोली का लुफ्त उठाए। फिर इंडिया बुक और रिकॉर्ड के लिए दिनांक 28 जनवरी 2022 को अप्लाई किया गया, पूरे नौ महीने बाद ईमेल और कॉल के माध्यम से इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड टीम से दिनांक 30 सितंबर 2022 मैसेज प्राप्त होता है कि बधाई हो अमरीश कुमत तिवारी, इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में आपके नाम दर्ज कर लिया गया है। पूरी खुशी का माहौल बन गया और इससे प्रेरित हो कर अब गिनीज बुक ऑफ़ वल्ड रिकॉर्ड के लिए अमरीश काम कर रहे है।


हमेशा लोगों को जागरूक करते हैं अमरीश


बता दें कि इससे पूर्व में भी अमरीश कोई त्यौहार हो या किसी कि जयंती हो या सरकार कि कोई मुहिम, हर समय अपने कला को लेकर लोगों को जागरूक करते रहते हैं, जेठ का दोपहर में जब धूप अपने तीव्र गति से बढ़ने लगती है तालाब और नहर का पानी सूखने लगते है तब अमरीशपुरी ने टिन को काट कर पालना बना कर पेड़ और घर के छतों पर दर्जनों पालना में पानी और अन्न डाल कर रखते है। जिससे भूखी और प्यासी पक्षीयों को अन्न और पानी के लिए तड़प कर मरना न पड़े, कोरोना काल में सैंड आर्ट के जरिए लोगो को कोरोना से बचने का प्रेरित किये थे। बच्चों के बीच पेंटिंग का शिक्षा निःशुल्क में प्रदान करते है। राज्य स्तरीय कला प्रदर्शनी का भी आयोजन कर चुके है, जिसमे बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन किये थे, अमरीश का खुद का अपना एक संस्था भी है’ कलाकृति मंच ‘। ज़िसके माध्यम से बच्चों को निःशुल्क में कला का शिक्षा भी प्रदान करते है। इसके अलावे कइ प्रकार के गतिबिधियों का आयोजन अमरीश के द्वारा होते रहते है और अब अमरीशपुरी ने इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी जगह बना लिए है,जो काफ़ी सराहनीय कार्य है, इससे बिहार ही नहीं पुरे भारत के लिए गौरव का बात है,


हुनर को है मदद की दरकार


अमरीश को जिला प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिला है और ना ही राज्य सरकार से। उम्मीद है कि इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बाद कोई न कोई राज नेता या फिर प्रशासनिक पदाधिकारी सामने आयेंगे, जिससे कुछ सहयोग मिल सके और बिहार के लिए एक और नया ख़िताब, नया रिकॉर्ड बनाने में अमरीशपूरी नयी एनर्जी के साथ कार्य करेंगे।

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