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बिहार में रुके अप्रवासी श्रमिकों की दशा,साईकिल से ही बंगाल लौटने को हुए मजबूर ।

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ठाकुरगंज/रणविजय
“वक्त का ये परिंदा रुका है कहाँ, मैं था पागल उसे जो मनाता रहा,चार पैसे कमाने मैं आया शहर गांव मेरा मुझे याद आता रहा” प्रसिद्ध ग़जल गायक जसवंत सिंह के द्वारा गाए इस गीत के एक एक बोल कारुणिक तो है ही,साथ ही लॉकडाउन जैसे हालात में प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है। दरअसल,पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों से बिहार के किशनगंज समेत कई अन्य जिलों में संचालित ईंट भट्ठो सहित अन्य निजी संस्थानों में बतौर श्रमिक मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाने वाले कामगारों का एक बड़ा वर्ग लॉकडाउन जैसे हालात में साईकिल से ही पश्चिम बंगाल लौटने को बेबश है। राष्ट्रीय राजमार्ग 327 ई अररिया-सिलीगुड़ी पथ होकर गुजरने वाले इन श्रमिकों के साथ लाचारगी ऐसी कि ना तो बिहार सरकार और ना तो बंगाल सरकार ही इन्हें सुरक्षित घर पहुँचाने के लिए अबतक परिवहन की व्यवस्था कर पाए हैं,ऐसे में ये मजदूर अपने परिवार के साथ कष्ट और पीड़ा को सहन करते हुए इस चिलचिलाती तेज धूप में ही अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान करने को मजबूर है।बताया जा रहा है कि घर लौटने वाले अधिकांशतः श्रमिक ईंट भट्ठों में काम करने वाले श्रमिक हैं जो पश्चिम बंगाल के कूच बिहार,माथाभंगा,तूफानगंज इलाके के रहने वाले हैं। ये लोग लॉकडाउन के बाद से ही बिहार में फंसे हुए हैं। हालाँकि जिला प्रशासन के आदेश के बाद से ही संचालित ईंट भट्ठों के मालिकों द्वारा इनके रहने व खाने पीने के इंतजाम में किसी प्रकार की कमी नही की गई,किन्तु कोरोना वायरस के खौफ और अपने परिजनों से मिलने की आस और तड़प ने इन्हें साईकिल से ही सही मगर घर वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया है।कामगार श्रमिकों के इस तरह घर लौटने के सवाल पर ठाकुरगंज प्रखण्ड में संचालित एक ईंट भट्ठा संचालक से जब सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि प्रखण्ड क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठों से नाम मात्र के ही श्रमिक घर वापस लौट रहे हैं जबकि साईकिल से लौटने वाले अधिकतर श्रमिक अररिया,दरभंगा समेत अन्य जिलों से ताल्लुक रखता है। ईंट भट्ठा संचालक ने यह भी कहा है कि हमलोगों के द्वारा ईंट भट्ठों में कार्यरत अप्रवासी कामगार श्रमिकों की सूची अंचल प्रशासन के निर्देश के उपरांत ही अंचल प्रशासन को मुहैया करायी जा चुकी है और अंचल प्रशासन भी उक्त सूची जिला प्रशासन को अग्रेत्तर कार्यवाही हेतु तत्काल ही उपलब्ध करवा चुके हैं। हमलोग बिहार सरकार द्वारा जारी कोविड-19 से जुड़े बेवसाइट पर इसे ऑनलाइन अपलोड करने के प्रयास में हैं ताकि जल्द से जल्द हमें इसके लिए सहयोग प्रदान हो सके।फ़िलहाल कामगार श्रमिकों को भोजन आदि के लिए खुराकी भी नियमित रूप से दिया जा रहा है तथा जबतक परिवहन की व्यवस्था नही हो जाती है तबतक कामगार अप्रवासी श्रमिकों को आराम से यहीं रहने का आग्रह किया गया है। हालाँकि ईंट भट्ठा संचालक ने बंगाल सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि उनके वहां से बिहार आए अप्रवासी कामगार श्रमिकों की बंगाल सरकार को चिंता होनी चाहिए तथा उन्हें सुरक्षित अपने घरो तक पहुँचाने का इंतजाम भी करना चाहिए।
इधर अंचलाधिकारी ठाकुरगंज,उदय कृष्ण यादव ने श्रमिकों के लिए परिवहन व्यवस्था के सवाल पर कहा है कि यह मामला श्रम विभाग से जुड़ा है श्रम विभाग ही इसके लिए सक्षम है।

बिहार में रुके अप्रवासी श्रमिकों की दशा,साईकिल से ही बंगाल लौटने को हुए मजबूर ।

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