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पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले का बड़ा खुलासा , लेफ्ट पार्टियों की मदद से भारत के अंदरूनी मसले पर दखल दे रहा चीन ,परमाणु डील तुड़वाने के लिए चीन ने लेफ्ट की ली मदद

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राजेश दुबे

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने मसले पर राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी को घेरा

चीन और वामपंथी पार्टियों का गठजोड़ पूर्व में भी आ चुका है सामने

पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने अपनी किताब में चीन और लेफ्ट के गठजोड़ को लेकर बड़ा खुलासा किया है ।हालाकि यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि भारत की लेफ्ट पार्टियों का झुकाव हमेशा से ही चीन के प्रति रहा है ।पूर्व में हुए भारत चीन युद्ध का मामला हो या फिर नया लद्दाख विवाद लेफ्ट पार्टियां हमेशा से ही चीन के पक्ष में खड़ी रही है ।लेकिन इस बार श्री गोखले ने अपने किताब में 2007- 2008 में लेफ्ट पार्टियों द्वारा परमाणु डील को लेकर किए जा रहे विरोध को लेकर खुलासा किया है । श्री गोखले ने दावा किया है कि लेफ्ट पार्टियां चीन के दबाव में परमाणु डील का विरोध कर रही थी ।मालूम हो की श्री गोखले कई वर्षों तक चीन में कार्य कर चुके है ।श्री गोखले के मुताबिक चीन ने 2007 और 2008 के बीच भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर “घरेलू विरोध का निर्माण” करने के लिए भारत में वाम दलों के साथ अपने “निकट संबंधों” का इस्तेमाल किया ।बता दे की पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले की नई किताब, द लॉन्ग गेम: हाउ द चाइनीज नेगोशिएट विद इंडिया में यह खुलासा किया गया है। 






इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गोखले की पुस्तक में छह विषयों को शामिल किया गया है, जिन पर भारत और चीन ने पिछले 75 वर्षों में बातचीत की है -जिसमें भारत की पीपुल्स रिपब्लिक चीन की मान्यता से लेकर तिब्बत तक, पोखरण, सिक्किम में परमाणु परीक्षण, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता और मसूद अजहर को UNSC द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने को लेकर विस्तार से उल्लेख किया है ।श्री गोखले ने लिखा है, “चीन ने भारत में लेफ़्ट पार्टियों के साथ क़रीबी संबंधों का इस्तेमाल करके परमाणु डील के विरोध में जमीन तैयार  किया.वहीं सीपीआई और सीपीएम के शीर्ष नेताओं की बैठक के लिए चीन की यात्रा करने की भी योजना थी.उन्होंने लिखा है कि चीनी जानते थे कि लेफ़्ट पार्टियों की भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर मूलभूत चिंताएं हैं।उन्होने लिखा है की”डॉक्टर मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में लेफ़्ट पार्टियों के दबदबे को चीन जानता था और शायद इसीलिए उसने उनके डर का इस्तेमाल अमेरिका के प्रति भारत के झुकाव के ख़िलाफ़ करना चाहा। यह शायद घरेलू राजनीति में चीन के दख़ल का पहला मामला था, लेकिन वे पर्दे के पीछे रहने को लेकर बहुत सचेत थे ।






गौरतलब हो की भारत की लेफ्ट पार्टियों का हमेशा ही झुकाव चीन की तरफ रहा है और अभी हाल ही में लेफ्ट के बड़े नेता दिल्ली में चीनी राजदूत की पार्टी में भी शामिल हुए थे।वहीं श्री गोखले के खुलासे के बाद राजनीति गर्म हो गई है और बीजेपी आईटी सेल के अध्यक्ष श्री अमित मालवीय ने कांग्रेस एवं लेफ्ट पर जम कर निशाना साधा है । श्री मालवीय ने कहा कि ना सिर्फ लेफ्ट बल्कि राहुल और सोनिया भी इस डील को नहीं होने देना चाहते थे । श्री मालवीय ने सीधे सीधे राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर आरोप लगाया है की चीन द्वारा प्राप्त चंदे की वजह से राहुल गांधी और सोनिया गांधी नहीं चाहते थे की यह डील हो ।लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस डील को आवश्यक समझ कर किया ।श्री मालवीय ने राजीव गांधी फाउंडेशन को मिल रहे चीन से चंदे को लेकर भी सवाल उठाए है और कहा की क्या यह सिर्फ संयोग था ।






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