बिहार :करोड़ों रुपए के गबन का आरोपी बैंक मैनेजर को पुलिस ने किया गिरफ्तार ,पूछताछ जारी

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बक्सर :सिमरी प्रखंड के आशा पड़री गांव स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में करोड़ों रुपए के घोटाले में नामजद शाखा प्रबंधक रविशंकर कुमार को पटना स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया है। दरअसल बैंक प्रबंधक की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। जिसके बाद पटना स्थित उनके घर पर छापेमारी करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार प्रबंधक को पुलिस बक्सर लेकर आ रही है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के क्रम में शाखा प्रबंधक ने कुछ और राज उगले हैं। जिसके बाद कई अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।शाखा प्रबंधक घोटाले के बाद से ही फरार चल रह था। ऐसे में उसके साथ अन्य नामजद अभियुक्तों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराते हुए मामले की जांच की जा रही है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि, प्रबंधक से पूछताछ की जा रही है ।







थाना में चार लोगों के खिलाफ दर्ज कराया गया है एफआईआर ।

आशा पड़री में संचालित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में हुए करोड़ों के गबन मामले में क्षेत्रीय अधिकारी विकास कुमार भगत के द्वारा, शुक्रवार को तत्कालीन शाखा प्रबंधक सहित चार नामजद एवं कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। नामजद लोगों में तत्कालीन शाखा प्रबंधक रविशंकर कुमार, उसकी पत्नी आरती देवी, पिता उमेश सिंह और रिश्तेदार रविरंजन कुमार के नाम शामिल हैं । घोटालेबाज बैंक प्रबंधक ग्राम गोपालपुर, पटना का मूल निवासी है। सभी नामजदों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने स्पेशल टीम का गठन किया जिसके बाद छापेमारी करते हुए पुलिस ने प्रबंधक को गिरफ्तार कर लिया है।


अब तक 1 करोड़ 9 लाख का हेरफेर आया सामने, बढ़ सकती है धनराशि ।

क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि आशा पड़री गांव स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में कार्यरत तत्कालीन शाखा प्रबंधक रविशंकर कुमार द्वारा उपभोक्ताओं के खाते से अपने सगे-संबंधियों के खाते में एक करोड़ नौ लाख की राशि भेजी गई है. यह बात विजिलेंस टीम के प्रारंभिक जांच में सामने आई है।बताया जा रहा है कि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की जिस शाखा से गबन का मामला सामने आया है वहां सीसीटीवी महीनों से खराब है। ग्रामीणों का कहना है कि बैंक कर्मियों के साथ-साथ ग्राहकों की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखने के लिए विभाग द्वारा बैंक के अंदर सीसीटीवी लगाया गया था. काफी अच्छा काम भी कर रहा था। लेकिन तत्कालीन शाखा प्रबंधक के कार्यकाल में ही उसका खराब होना भी जांच का विषय है। जिसकी जांच कराई जानी चाहिए।






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