बिहार चुनाव !धारा के विपरित चलते है यहां के मतदाता ।विकास नहीं बन सका आज तक मुद्दा

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राजेश दुबे

किशनगंज जिले में लोकसभा चुनाव हो या फिर विधान सभा का चुनाव विकास कभी मुद्दा नहीं बन पाया । जिले में चुनाव विकास के नाम पर नहीं बल्कि तथाकथित सांप्रदायिक ताकतों , धर्म निरपेक्षता और जातीय समीकरणों के नाम पर ही लडा जाता रहा है । 70% मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज जिले में चुनाव आते ही चौक चौराहों से लेकर गली मुहल्ले तक बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को रोकने की कवायद तेज हो जाती है ।

1995 के विधान सभा चुनाव में हुए त्रिकोणीय मुकाबले में भले जिले से भाजपा ने एक बार विधान सभा (ठाकुरगंज ,बहादुरगंज )और 1999 में लोक सभा का चुनाव जीत लिया हो । लेकिन उसके बाद यहां से बीजेपी ना जीते उसके लिए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए तब के जदयू कैंडिडेट (वर्तमान एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष )अख्तरूल ईमान ने बीच में ही खुद को चुनाव से अलग कर लिया था । जिले की जमीनी हकीकत यही है कि यहां के मतदाता हमेशा धारा के विपरित चलते है और हमेशा भाजपा को हराने वाले को ही चुनते रहे है । चाहे वो उम्मीदवार जितने के बाद दिल्ली और पटना को ही अपना आशियाना क्यो ना बना ले ।

2015 के विधान सभा चुनाव में जिले में एआईएमआईएम की इंट्री हुई उसके बाद जिले की राजनीति में और परिवर्तन देखने को मिला है । मतदाताओं की माने तो जिले के युवा मतदाता कांग्रेस को अब बूढ़ी घोड़ी समझते है ? यहां के अधिकांश युवा मतदाताओं को ओवेशी में अपना भविष्य नजर आता दिख रहा है । हालाकि पुराने लोग अब भी कांग्रेस को ही अपनी पहली पसंद बताते है ।

2015 के विधान सभा चुनाव में शिकस्त खा चुकी मजलिस ने बीते 5 वर्षों में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम किया ,जिसका लाभ 2019 में मजलिस को मिला जब उपचुनाव में किशनगंज सदर विधानसभा क्षेत्र से त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस की परम्परागत सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई और कमरुल हुदा ने जीत हासिल किया, वहीं लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार सह प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान कुछ ही मतो से हारे थे ।

इस बार मजलिस चारो सीट यथा बहादुरगंज , कोचाधामन,ठाकुरगंज ,किशनगंज सदर विधान सभा सीट पर उम्मीदवार खड़े कर रही है । मजलिस के साथ इस बार रालोसपा भी है ।बता दे कि रालोसपा का जिले में कोई अपना जनाधार नहीं है ।इसलिए इस जिले के चारो विधान सभा सीट पर रालोसपा से गठबंधन का कोई लाभ ओवेशी को नहीं मिलेगा ।लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में किशनगंज सीट पर कब्जा बरकरार रहने के आसार है । वहीं कोचाधामन ,ठाकुरगंज और बहादुरगंज में भी मीम के मत प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है । जिले के चारो विधान सभा क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला एनडीए ,महागठबंधन और मजलिस के बीच होगा और मुकाबला काफी रोचक होने वाला है ।

सबसे ज्यादा पड़ गई