दार्जीलिंग जिला में अब सूर्यमुखी फूल बना रही है अपनी पहचान, सूर्यमुखी की खेती के प्रति बढ़ा किसानों का रुझान

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सूर्यमुखी फूल के खेतों में युवक -युवतियों पहुंच ले रहे हैं सेल्फी

कोरोना के खतरे को देखते हुए सेल्फी लेने के बजाय घरों में रहने का अपील : कृषक

बंगाल /चंदन मंडल

अब तक चाय की खेती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाला दार्जिलिंग जिला इन दिनों सूर्यमुखी फूल उत्पादन के मामले में भी अपनी पहचान बनाते दिख रही है । दार्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी प्रखंड अन्तर्गत कीलाराम संसद में पहली बार उपजाये जा रहे सूर्यमुखी फूल आकर्षण का केंद्र ही नहीं बल्कि कम लागत में रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं । जानकारों का मानना है की सूर्यमुखी को बड़े पैमाने पर उगाने से न केवल खाद्य तेल उपलब्ध होगा बल्कि विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। इस संबंध में किसान मसरूद आलम ने बताया कि सूर्यमुखी फूल की खेती नक्सलबाड़ी में इस वर्ष प्रयोग के रूप में किया गया है ।






हालांकि खेती काफी अच्छा है भविष्य में सूर्यमुखी फूल उत्पादन बड़े पैमाने पर किए जाने की योजना है । उन्होने बताया सूर्यमुखी के फूलों पर मधुमक्खियां भी काफी अधिक आ रही है । इसको देखते हुए सूर्यमुखी फूल उत्पादन के साथ साथ मधुमक्खियां पालन भी की जा सकती है । अगले सीजन से मधुमक्खियां पालन भी की जाएगी ।उन्होंने बताया 115 दिनों में सूर्यमुखी पूरी तरह से तैयार हो जाती है । इसके बाद फल से तेल निकाला जा सकता है । वहीं उत्पादक रूही खातून ने बताया सूर्यमुखी का फूल इन दिनों रोजगार के साथ साथ आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है । लोग यहां पहुंच सेल्फी लेने में जुटे हुए हैं । हालांकि उन्होने कोरोना के खतरे को देखते हुए सेल्फी लेने के बजाय घरों में रहने का अपील की है। वही एडीओ लोकनाथ शर्मा ने बताया मूल रूप से सूर्यमुखी किसी भी मौसम में उगाई जाने वाली तिलहन फसल है। यह विशेष रूप से शुष्क मौसम में उगाया जाता है या इसे परिपक्व होने पर शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।







उत्तर बंगाल में इस फसल के लिए कृषि जलवायु अनुकूल है। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इस क्षेत्र में इसे कम से कम स्वीकार किया जाता है। उन्होने बताया सूर्यमुखी का पैदावार फांसीदेवा प्रखंड के कुछ स्थानों में किया जा रहा है । इसमें अच्छी गुणवत्ता वाले फैटी एसिड (तेल और वसा की बुनियादी निर्माण इकाइयाँ यानी लिनोलिक एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और ओलिक एसिड होते हैं। सूर्यमुखी देखने में जितना खूबसूरत होता है ,स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उससे कहीं ज्‍यादा फायेदमंद भी होता है। इसके फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। दिल को स्‍वस्‍थ रखने से लेकर यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव करता है। इसके अलावा सूर्यमुखी के तेल का सेवन करने से लीवर सही तरीके से काम करता है और यह त्‍वचा को निखारने के साथ बालों को भी मजबूत बनाता है। “इसके बीज न केवल स्‍वादिष्‍ट होते हैं ,बल्‍कि इन्‍हें खाने से पोषण भी मिलता है और यह पेट भी भरते हैं। सूर्यमुखी के बीज आज कल सभी फूड स्‍टोर्स में आसानी से उपलब्‍ध हो जाते हैं। सूर्यमुखी के बीजों को खाने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, कोलेस्‍ट्रॉल घटता है, त्‍वचा में निखार आता है तथा बालों की भी ग्रोथ होती है। हालांकि उत्तर बंगाल में रिफाइनिंग,किसानों के पास तेल निकालने की मशीन की आभाव आदि विभिन्न तरह की बाधाएं हैं ।






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