आज सुबह मेरे अंदर का पत्रकार जागा। मैंने सोचा कि क्यों न पूरी दुनिया में कुख्यात हो चुके कोरोना का इंटरव्यू लिया जाय ! इसके पीछे डबल फायदा मिलने की आस रही। पहला कि एक इंटरव्यूअर के रूप में मुझे व्यक्तिगत प्रसिद्धि मिल जाएगी और दूसरा कि हमारे भारतवासियों के साथ-साथ पूरी दुनिया को कोरोना के विचारों से अवगत होने का सुअवसर मिल जाएगा।
बस, इसी योजना के तहत मैं सुबह उठते ही गूगल में कोरोना का लोकेशन सर्च करने लगा। गूगल में कोरोना का पहला लोकेशन तो चीन का बुहान शहर ही दिखा रहा था, लेकिन उसके बाद गूगल कोरोना का वर्तमानतः अंतिम लोकेशन मुम्बई दिखाने लगा।
मैंने सोचा – ” चलो, अच्छा हुआ कि कोरोना अपने ही देश में मिल गया। नहीं तो, पता नहीं मुझे कहाँ-कहाँ भटकना पड़ता। “
खैर, अब समस्या यह थी कि उनसे संपर्क कैसे साधा जाय ! इसके लिए भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। आपको याद होगा जब कुख्यात चन्दन तस्कर वीरप्पन को गिरफ़्तार करने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और केरल सरकारें जॉइन्ट ऑपरेशन चला रही थी और एरियल सर्वे कर वीरप्पन का लोकेशन ढूंढ़ रही थीं, उस समय एक पत्रकार चंदन के पेड़ों से आच्छादित घने जंगल में वीरप्पन का इंटरव्यू ले रहा था।
मैं आज भी यह सोचकर हैरान हूँ कि जिस वीरप्पन को अर्द्धसैनिक बल भी नहीं पकड़ पा रहे थे, उससे एक साधारण पत्रकार ने कैसे मुलाकात कर ली और उसका इंटरव्यू भी ले लिया। वो तो बाद में जब एक राज्य सरकार के सिर के ऊपर से पानी गुजरने लगा तो, वीरप्पन मारा गया।
इसी जज़्बे के साथ मैं भी कोरोना से सम्पर्क साधने में जुट गया। दो घंटे की मशक्कत के बाद ही मैं सफल हो गया।
देखिए ! यूँ तो हम पत्रकार किसी को अपने सूत्र की जानकारी नहीं देते। लेकिन, आज मैं यह परम्परा तोड़ता हूँ। आप सभी को पता ही है कि महाराष्ट्र और मुम्बई में तीन प्रमुख दलों की गठजोड़ सरकार है। मुझे आभास था कि इन दलों की आपस की खटपट के कारण कोरोना से लड़ने का मैनेजमेंट बिगड़ा और इसका फायदा उठाकर ही कोरोना को भारत में दूसरी बार अपने पैर जमाने का अवसर मिल गया।
इसलिए मुझे राजनीतिक सूत्र का ही सहारा लेना पड़ा। आपको पता ही है कि अपने देश में सियासत और सियासत करने वाले हर मर्ज की दवा हैं। तो, इस सियासती सूत्र ने ही मुझे मोबाइल फोन पर कोरोना से बातचीत करवायी।
मैंने कहा – ” कोरोना जी ! मैं आपका इंटरव्यू लेना चाहता हूँ, यदि आपकी इजाज़त हो तो ! “
उधर से एक आवाज़ आई – ” आपके मित्र ने मुझे बताया है … ठीक है ! मैं आपको इंटरव्यू दे सकता हूँ। “
मैंने खुश होकर कहा – ” आप कब समय देंगे .. जब कहेंगे, मैं फ्लाइट से मुम्बई आ जाऊंगा। “
उधर से उत्तर मिला – ” कल करे सो आज कर, आज करे सो अभी ! … काहे की देर ! अभी ही ले लीजिए हमारा इंटरव्यू ! “
कोरोना खुद मुझे सलाह दे रहे थे – ” आपके देश में हमारे कारण ही कोविड 19 प्रोटोकॉल लागू है, कई राज्यों और शहरों में लॉकडाउन लगा है तो आप वर्चुअल मोड में ही इंटरव्यू ले लीजिए। वैसे भी, आपके देश में इन दिनों वेबिनार की भरमार है … हा ..हा ..हा .. ! “
मुझे कोरोना के अट्टहास से थोड़ा डर लगा पर, ‘वेबिनार’ की लाइन में व्यंग्य का आभास मिला। खैर, मैं तुरंत तैयार हो गया और कहा – ” बस, आप मोबाइल पर ही मुझे वीडियो कॉल पर वर्चुअल इंटरव्यू दे दीजिए। “
मुझे खुशी होने लगी कि आज सभी लोग कोरोना का चेहरा देख सकेंगे। लेकिन, कोरोना तो शातिर निकला। उसने अपने चेहरे पर मेडिकल साइंस द्वारा बताए जा रहे काँटेदार गेंद नुमा मुखौटा चढ़ा रखा था।
मैंने कहा भी – ” कोरोना जी, अपनी नकाब तो उतारिए ताकि लोग आपको पहचान सके ! “
” अच्छा ! आपके देश में सियासत करने वाले नेता लोग एक चेहरे पे जो कई चेहरे लगाकर घूमते हैं, उसे तो आप पत्रकार कुछ नहीं कह पाते हैं .. तो, मुझे क्यों नकाब उतारने कह रहे हैं ? “- कोरोना की आवाज़ में रूखापन था।
मुझे लगा कि कहीं कोरोना नाराज न हो जाए इसलिए, मैं इतना ही कह पाया – ” जी, कोई बात नहीं .. आप नकाब पहनकर ही इंटरव्यू दीजिए। ” इसके बाद सवाल-जवाब का दौर शुरू हुआ।
मेरा पहला सवाल – ” कोरोना जी, दूसरे दौर में आप किसी दूसरे डेवलप्ड कंट्री मे भी अपना ठिकाना बना सकते थे, तो फिर आपने हमारे भारत देश को ही अपना हाल-मुकाम क्यों बनाया ? “
कोरोना – ” हम क्या आपकी तरह बुड़बक हैं ! आपके देश से अच्छा ठिकाना और क्या होता … वर्ष 2014 में आपका पॉपुलेशन 125 करोड़ था और अब 135 करोड़ अनुमानित है और जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार बुलेट ट्रेन से कम नहीं है … तो, फसल यहीं न काटेंगे ! और, दूसरी बात … आपके देशवासी अपने आप को तीसमार खाँ भी समझते हैं … न साबुन-सेनेटाइजर से हाथ धोएँगे, न मास्क पहनेंगे और न दो गज की दूरी रखेंगे … तो, हम कहाँ और क्यों लंबे सफर में जाते !
“
मेरा दूसरा सवाल – ” तब तो आप पश्चिम बंगाल सहित सभी चुनाव वाले राज्यों में तबाही मचा दिए होंगे ! “
कोरोना – ” हा .. हा .. हा ..! ठीक समझें हैं ! .. अभी उन सभी स्टेट में सियासत का नशा चढ़ा हुआ है, इसलिए सभी पार्टी वाले भी चुप हैं .. वहाँ मेरा असर 2 मई के बाद दिखेगा। सभी पार्टी एक-दूसरे पर आरोप लगाएगी और मैं वोटरों के फेफड़ों में घुसपैठ करता जाऊँगा। “
मेरा तीसरा सवाल – ” अच्छा कोरोना जी ! आप तो पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर की तरह क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे होंगे … रैलियों व रोड शो में घूम रहे होंगे तो, बताइए कि दीदी की जीत का कारण क्या रहा ?
कोरोना – ” हा.. हा ..हा..आपका यह सवाल लीक से हटकर है। फिर भी, मेरा जवाब यह है कि बंगाल में देवी पूजा की प्रधानता है ..यहां दुर्गा व काली पूजा का महात्म्य है। इसलिए बंगाल में चुनाव के दौरान ‘या देवी सर्वभूतेषु…’ का जयघोष ‘जय श्रीराम’ के जयघोष पर भारी पड़ा। “
मेरा चौथा सवाल – ” कोरोना जी, फेयर नही हो रहा है ..आपसे मुकाबला करने के लिए जनता को वैक्सीन की दोनों डोज लेने एवं पर्याप्त तैयारी करने का आपने हमें पूरा मौका क्यों नहीं दिया ? “
कोरोना – ” आपकी सरकारें कुम्भकर्णी नींद में पड़ी रहेगी तो इसमें मेरी क्या गलती है। मैं तो पिछले साल मार्च महीने से ही आपके देश में धूनी रमाए बैठा हूँ … आप सभी को याद ही होगा .. मुझे भगाने के लिए टॉर्च और दीये आपलोगों ने जलाए थे … थाली पीटी थी, घण्टियाँ भी खूब बजायीं थी। और, रही बात वैक्सीन की तो, आपलोग तो अपना घर जलाकर दूसरों का घर रोशन करने में लगे रहे … आपके देश में वैक्सीन सबको नसीब नहीं और आप दानी-दाता बन रहे हैं। “
मेरा पाँचवाँ सवाल – ” ऑक्सीजन प्लांट लगाने का तो अवसर दे देते ? “
कोरोना – ” आप ही के देश में कहावत प्रचलित है कि जब प्यास लगे तभी कुआँ खोदा जाता है तो, मैं क्या करूँ ! … जंगल के जंगल सहित गाँव-शहर के पीपल और बरगद के पेड़ काटते रहोगे तो ऑक्सीजन क्या ख़ाक मिलेगा .. अब लगते रहो ऑक्सीजन प्लांट और मंगाते रहो अरब व थाईलैंड से ऑक्सीजन के कंटेनर … अगले साल के लिए ! “
मेरा छठा सवाल – ” अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने का मौका आपने क्यों नहीं दिया ? “
कोरोना – ” ऊपर से ढ़ीपढाप, अंदर से मोकामा घाट .. आपलोग चिल्लाते रहेंगे .. 130 करोड़ ..135 करोड़ लोगों का भारत देश है .. पर, मुझे बताइए इस अनुपात में आपके देश में कितने अस्पताल हैं ? …स्पेशलिस्ट छोड़िए, एमबीबीएस डॉक्टर भी हैं ? …. हूँ ! वेंटिलेटर की बात करते हैं ! … और, ऊँट के मुँह में जीरा की तरह पीएम केयर फण्ड या और किसी फण्ड से जिन-जिन राज्यों के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर लगे, क्या उसे चलाने वाला भी कोई है ! ..वेंटिलेटर के नाम पर किसके पेट में कितना गया .. तुम्हें मालूम भी है !
.. केंद्र सरकार की नज़र में राज्य सरकार दोषी और राज्य सरकार की नज़र में केन्द्र दोषी … यह तो है तुम्हारे देश की संघीय व्यवस्था … तो, बताओ इसमें मेरा क्या कुसूर ! “
इस बार कोरोना का स्वर तीखा था और अपनी बातों से वह सरकारों को लानतें भेज रहा था। मेरा माथा भी शर्म से झुका जा रहा था। फिर, मैं संयत हुआ और इंटरव्यू आगे बढ़ाने के लिए उद्यत हुआ।
मेरा अंतिम सवाल – ” कोरोना जी, जैसे रावण की नाभि में उनकी जान बसती थी और अंत में श्रीराम ने नाभि में ही तीर मारकर रावण का वध किया तो क्या आपको मारने का भी कोई नुस्खा है ? “
कोरोना – ” वाह रे बच्चू ! हमीं से पूछ रहे हो हमें ही मात देने का नुस्खा ! “
मैं – ” क्या करें ! देशहित में इतना तो मेरा फ़र्ज़ बनता है।”
कोरोना – ” तुमने पूछा है तो मैं बता ही देता हूँ … जबतक तुम्हारे भारत देश में लोग जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के नाम पर होने वाली सियासत के भांग की घुट्टी पीते रहेंगे और नेतागण भी इसी सियासत से मिली सत्ता के नशे में चूर रहेंगे, तबतक मैं यहाँ पराजय का मुँह देखता रहूँगा। “
” वो कैसे ! ” – मैंने मासूम बनकर पूछा।
कोरोना – ” धत्त पगले ! 135 करोड़ वाले देश में कुछ हजार-लाख लोगों को मैंने शिकार बना भी लिया तो, तुम्हारे देश में इसे कोई तबाही नहीं समझेगा और न ही कोई ज्यादा नोटिस लेगा … लोग कोरोना को भूल जाएंगे.. चुनाव परिणाम आने के बाद तुम्हें इसका प्रमाण भी मिल जाएगा … कोई जीत के नशे में चूर होगा तो कोई हार के सदमे में मूर्छित होकर पड़ा रहेगा … फिर, बिहार में पंचायत चुनाव या किसी राज्य में चुनाव की डुगडुगी बजेगी और फिर, सियासत का नया नशा सभी के सिर चढ़ेगा … इसलिए नो टेंशन … ! हमारे ख़ानदान के हैजा, प्लेग और फ्लू पहले भी आते रहे हैं और उसी खानदानी विरासत का नया वर्जन मैं कोरोना भी आपके देश में अभी एक-दो साल आता-जाता रहूँगा। “
मैं न कुछ बोल पा रहा था और न ही कोई प्रतिक्रिया दे पा रहा था।
” .. अब बहुत हो गया तुम्हारा इंटरव्यू ! .. फिर कभी मिलेंगे तो बात होगी … बाय ! ” – कहकर कोरोना ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
सम्प्रति :
एसोसिएट प्रोफेसर व
विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग
मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज (बिहार)।





























