पटना /डेस्क
पटना : कोरोना के कारण बिहार के पटना, भागलपुर आदि जगहों से प्रकाशित कुछ अखबारों के दफ्तरों में ताले लगने की संभावना है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सभी अखबारों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। कई अखबारों ने कर्मचारियों के वेतन में भारी कटौती करने के साथ ही छंटनी भी शुरू कर दी है।
बहुत मुश्किल होता है परवाज भरना, जब पंखों पर कैंची अपनों ने चलाई हो…
बताया गया है कि लॉकडाउन में न तो विज्ञापन आ रहे हैं और न ही वेतन बांटने के लिये प्रबंधन के पास पैसे ही बचे हैं , ऐसी स्थिति में मकान भाड़ा, कार्यालय खर्च सहित अन्य खर्चों को पूरा करने का सवाल ही नहीं उठता। अति विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, अखबारों के प्रबंधन ने जिला कार्यालयों को बंद करने का फैसला लिया है। इस बाबत जिला प्रभारियों को प्रबंधन स्तर से सूचना भी दे दी गई है। सूत्रों से पता चला है कि राज्य में दर्जनों ब्यूरो कार्यालय बंद हो सकते हैं। हां, एक अखबार को दूसरे माध्यमों से मोटी रकम मिलती रही है, सो उसने अभी बंदी का निर्णय नहीं लिया है। किसी ने ठीक ही कहा है ” बहुत मुश्किल होता है परवाज भरना, जब पंखों पर कैंची अपनों ने चलाई हो, बहुत मुश्किल होता है, छत से छाँव लेना, जब बुनियाद लडखड़ाती हो। ” हम सभी पत्रकार साथियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं, भगवान से प्रार्थना करते हैं कि सभी का भला हो।





























