सासाराम और बिहार शरीफ में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण, हमें अपने धर्म का सम्मान करते हुए दूसरे धर्मों का भी सम्मान करना चाहिए : संजीव मिश्रा

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पूर्णिया से प्रवीण गोविन्द

पूर्णिया : गरीब-गुरबों की मदद व समाज में प्रेम व भाईचारा का भाव पैदा करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहने वाले समाजसेवी संजीव मिश्रा ने कहा कि सासाराम और बिहार शरीफ में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। चाहे कोई भी हों इस तरह की स्थिति-परिस्थिति में आग में पानी डालना चाहिए ना की घी। इस तरह की घटनाएं चिंतनीय के साथ ही निंदनीय भी है।


ऐसे में जबकि भारत वर्ष में आपसी भाईचारे की मिली जुली गंगा-जमुनी तहजीब की हमारे संविधान की मिसाले अन्य देश देते हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा – आखिर क्या कारण है कि इधर कुछ समय से इस स्लोगन के अनुरूप प्रेम में कमी आई है। यह बहुत ही चिंता की बात है। ईर्ष्या नाम की बुराई को होलिका दहन की तरह जलाने की आवश्यकता है।

व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही संभव

श्री मिश्रा जो कि पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक भी हैं ने आगे कहा कि सद‌्भावना का वातावरण कायम रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि हम अपने धर्म का सम्मान करते हुए दूसरे धर्मों का भी सम्मान करें।

समाजसेवी श्री मिश्रा ने कहा कि एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए अपने पारिवारिक दायित्वों के साथ देश और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वाह भी पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। एक समाज, समुदाय या देश के नागरिक होने के नाते कुछ दायित्वों का पालन व्यक्तिगत रूप से करनी चाहिए।

एक सवाल के जवाब में श्री मिश्रा ने कहा कि व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास शांति के धरातल पर ही संभव है। इसीलिए हमें यथासंभव शांति के सान्निध्य में रहने का प्रयास करना चाहिए। हमारी संस्कृति में तो पृथ्वी से लेकर समस्त अंतरिक्ष की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। हमें उसी संस्कृति को समृद्ध करना है।

सासाराम और बिहार शरीफ में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण, हमें अपने धर्म का सम्मान करते हुए दूसरे धर्मों का भी सम्मान करना चाहिए : संजीव मिश्रा