निजी अस्पताल या जांच घरों में रैपिड डायग्नोस्टिक किट जांच से डेंगू रोग सत्यापित नहीं
समाज में अनावश्यक भय को रोकने को लेकर जारी किये गए निर्देश
किशनगंज /प्रतिनिधि
मौसम में तबदीली आने के साथ अब डेंगू का खतरा भी शहर पर मंडराने लगा है। इस मौसम में डेंगू मच्छर पैदा होता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जहां इस समय कोरोना से लड़ाई लड़ी जा रही है, वहीं अब डेंगू से बचाव करने के लिए भी प्रयास शुरू हो गए हैं। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की प्रायः निजी जांच घर या अस्पतालों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट से होने के बाद एनएस एक घनात्मक परिणाम आने पर उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है. वस्तुतः ऐसा नहीं है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि रैपिड डायग्नोस्टिक किट जांच से संदिग्ध मरीज चिह्नित किये जा सकते हैं किन्तु यह जांच डेंगू रोग को संपुष्ट नहीं कर सकता . विभाग के अनुसार इसकी सूचना अखबारों के माध्यम से छपने से अनावश्यक भय उतपन्न हो रहा है. इसको देखते हुए विभाग ने डेंगू की जांच सबंधी आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं . इसके तहत सभी निजी अस्पताल व जांच घरों को डेंगू के मरीज़ चिह्नित होने पर सीएस को जानकारी दी जाए. साथ ही जांच को लेकर इस्तेमाल किट से भी अवगत कराया जा सकता है, ताकि डेंगू के मरीज़ पाए जाने पर इसको रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाया जा सके.
अपर निदेशक-सह-राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम ने पत्र जारी कर दिए निर्देश-
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ विनय कुमार शर्मा ने डेंगू की जांच ज़िले के निजी अस्पताल एवं जांच घरों में कराने से संबंधित दिशा-निर्देश दिया है. उन्होंने बताया की जारी पत्र में बताया गया है कि निजी अस्पतालों एवं जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट (आरडीटी किट) से करने के बाद परिणाम आते ही उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है, जबकि भारत सरकार द्वारा डेंगू की आधिकारिक रूप से जांच की प्रक्रिया केवल एलिसा एनएस वन एवं आईजीएम किट से करने का निर्देश है. इसका अनुपालन पुरे जिले में किया जायेगा .
डेंगू बुखार के लक्षण
• ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
• सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
• आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना
• बहुत ज्यादा कमजोरी लगना
• भूख न लगना
• जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना
• गले में हल्का-सा दर्द होना
• शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना
डेंगू से बचाव के लिए शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर-
वेक्टर जनित रोगों में वे सभी रोग आ जाते हैं जो मच्छर, मक्खी या कीट के काटने से होते हैं, जैसे: डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब टायफस या लेप्टोंस्पायरोसिस आदि. मलेरिया एवं डेंगू या अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए. मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी कर सकते हैं. पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर है. घर के सभी कमरों की सफ़ाई के साथ ही टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी को स्थिर नहीं होने देना चाहिए. गमला, फूलदान का पानी एक दिन के अंतराल पर बदलना जरूरी है.
डेंगू बुखार से बचाव
• मच्छर गाढ़े रंग की तरफ आकर्षित होते हैं, इसलिए हल्के रंग के कपड़े पहनें
• तेज महक वाली परफ्यूम लगाने से बचें क्योंकि मच्छर किसी भी तरह की तेज महक की तरफ आकर्षित होते हैं।
• कमरे में मच्छर भगानेवाले स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि का प्रयोग करें
नगर परिषद् ने शुरू की डेंगू की रोकथाम के लिए फॉगिंग का काम
जिले के शहरी क्षेत्र में डेंगू की रोकथाम के लिए नगर परिषद् किशनगंज की ओर से भी फॉगिंग का काम शुरू कर दिया गया है।नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार ने बताया की शहरी क्षेत्र में फॉगिंग के लिए प्रॉपर शेड्युल तैयार किया गया है जिसके तहत पुरे शहर में अलग-अलग तारीखों और समय के दौरान फॉगिंग करवाई जाएगी। ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सके। सिविल सर्जन ने कहा कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों तथा अन्य सरकारी संस्थाओं में डेंगू का फ्री इलाज किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे में किसी को भी डेंगू का थोड़ा सा भी शक होता है या बुखार आता है, सिर दर्द होता है या शरीर टूटता है तो वो अस्पताल में चेक करवाएं। उन्होंने कहा कि डेंगू का इलाज किया जा सकता है इससे घबराने की नहीं बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है।
