अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संगोष्ठी का किया गया आयोजन

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किशनगंज /प्रतिनिधि

प्रज्ञा परिवार अखिल विश्व गायत्री परिवार कोचाधामन द्वारा बाभन गांव स्थित सामुदायिक भवन में आवश्यक संगोष्ठी का दिव्य आयोजन राकेश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
भाई हरिश्चंद्र जी की टोली द्वारा प्रज्ञा संगीत के माध्यम से जीवन उपयोगी युग निर्माण संगीत से वातावरण काफी प्रभावित हुआ। भाव भरे उद्बोधन में हरिश्चंद्र जी ने कहा बुद्धि सबके पास होती है किंतु इसका नियोजन सकारात्मक कार्यों के लिए किया जाए तो जनकल्याण संभव हो सकता है।

वर्तमान परिवेश में हम संकीर्णताओं से निकल नहीं पा रहे हैं यही मानव जाति के लिए अत्यंत घातक है। युग निर्माण योजना परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने उदारता अपनाने कि हमें प्रेरणा दिए हैं जिसके माध्यम से हर क्षेत्र में कार्य करना है। उन्होंने कहा 2026 शताब्दी समारोह को सफल बनाने हेतु योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने की भी आवश्यकता है।


पर्यावरण संवाहक राकेश कुमार जी ने वृक्ष लगाओ जीवन बचाओ अभियान को पूर्ण सफल बनाने हेतु सहयोग की अपेक्षा की और सामुदायिक भवन परिसर में वृक्षारोपण भी किए गए।
ऐसे महत्वपूर्ण समय पर इंसान कॉलेज किशनगंज के प्रोफेसर लक्ष्मी नारायण केसरी ने अपने संबोधन में गायत्री परिवार का हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि यह परिवार राष्ट्र ही नहीं विश्व के लिए धरोहर है जो सतयुग की वापसी के लिए अपने प्राण पन से लगे हुए हैं। इनका एक-एक कदम अनुकरणीय है।


वरिष्ठ प्रज्ञा पुत्र राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षाविद श्यामानंद झा सेवानिवृत प्रधानाध्यापक ने कहा आज मानव मूल्यांकन का मापदंड धन से किया जाना हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। आवश्यक है कि हम दैवी संपत्ति का संचय करें। धन की आवश्यकता इतनी भर है जिससे शारीरिक मानसिक और पारिवारिक उत्तरदायित्व पूरे किए जा सके। यदि इस मर्यादा का उल्लंघन करते हुए अधिक धन उपार्जन करने एवं जोड़ने की तृष्णा सुखदायक सिद्ध नहीं हो सकती वरन कलह क्लेश एवं पाप का कारण बनता है।

जो धन से विमुख होकर योग्यताएं कमाता है शक्तियां उपार्जित करता है वह कभी घाटे में नहीं वरन फायदे में रहता है। वैसे भी धन से योग्यताओं का मूल्य अधिक होता है। मनो भूमि की शुद्धता को प्रबल पाचन शक्ति ही समझना चाहिए जिसके होने पर भी गरीबी में भी स्वर्गीय जीवन का आनंद लिया जा सकता है। लोकमंगल की भावना से जीवन को उत्कृष्ट कार्यो से जोड़कर चलने वाला इंसान सुधारक संत शहीदों की पंक्ति में खड़ा हो जाता है और श्रेय सम्मान से जीवन लवालव हो जाता है। यह हमारे चिंतन चरित्र व्यवहार पर निर्भर करता है कि जीवन को कौन सी दिशा धारा में चलाया जाए।

सदग्रंथो में पन्ने भरे पड़े हैं कि त्याग का जीवन सदा अमर हो जाता है। हम अमृत पुत्र हैं इसलिए अमृततत्व की प्रति हमारा लक्ष्य होना ही चाहिए। यह परिवर्तन का युग है जो हजारों वर्षों बाद ऐसा सौभाग्य मिलता है जो विश्व कल्याण के लिए समय, श्रम, सद्विचार लगाने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। मानव में देवत्व का धारण धरती पर स्वर्ग का अवतरण बनाने में एकजुट होकर जुट जाएं। आने वाला समय हमें स्मरण करता रहेगा।
दिव्य वातावरण में गायत्री परिजन द्वारा प्रोफेसर लक्ष्मी नारायण केसरी को रौली मॉली एवं अंग वस्त्र प्रदान करते हुए भाव भरा सम्मानित किया गया।


ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सफल संचालन में वीणा देवी, साबू लाल सिंह, सिप्टी प्रसाद सिंह, विष्णु लाल सिंह, तारा देवी, राधा देवी, रवि कुमार, ममता कुमारी, अजय कुमार सिंह, धीरेंद्र कर्मकार, रामकुमार यादव, कबीर, नरेश कुमार सिंह, आदि की भूमिका सराहनीय रही। शांति अभिसिंचन के साथ अगली गोष्ठी के लिए आज के कार्यक्रम की पूर्णाहुति की गई ।।

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