अररिया /अशद राजा
पूर्व एसडीपीओ डॉ अखिलेश का कहना है कि वे पिछले कई दिनों से कोसी सीमांचल के कई जिलों का भ्रमण कर रहे हैं। इस भ्रमण के दौरान जब उन्होंने हर जगह सड़कों ( एन .एच , एस. एच और ग्रामीण सड़कों ) पर मक्के को बिखरा पड़ा देखा तो मक्का किसानों से बात- चीत करने की उत्सुकता हुई।
इसी बात- चीत के दरमियान कुछ बातें सामने आई- इस बार समय से पूर्व बारिश आने से इन जिलों के लाखों किसानों का लाखों टन मक्का बर्बाद हो गया है । किसानों का कहना है कि बैंको और महाजनों से ब्याज पर कर्ज लेकर मक्के की खेती की थी और अब यह स्थिति हो गई है कि मक्का का अपेक्षाकृत बाजार मूल्य बहुत कम होने और बारिश की वजह से हुई बर्बादी के कारण उनका लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है ।
ऐसी परिस्थितियों में अब नौबत यह है कि किसान इस कर्ज के चक्र में फंसते नजर आ रहे हैं ।
इन मक्का किसानों की वर्तमान समस्याओं के मद्दे नजर डॉ अखिलेश की राज्य और केंद्र सरकार से तीन महत्वपूर्ण मांग है ।
पहली मांग है कि सरकार इन मक्का किसानों को विशेष आर्थिक पैकेज दे ताकि वे तत्काल कर्ज के चंगुल से बाहर निकल सके और आगे की फसल लगा सके । दूसरी मांग है कि सरकार प्रत्येक गांव में कुछ शेड का निर्माण कराए जिससे कि प्रतिकूल मौसम में किसान इन शेडो में अपनी फसल सुरक्षित रख सकें ।
तीसरी मांग है कि इन इलाकों में मक्का प्रसंस्करण आधारित छोटा बड़ा कल कारखाना लगे जिससे कई लाभ होंगे जैसे कि मक्के की खपत स्थानीय स्तर पर ही हो जाएगी , किसानों को ज्यादा मूल्य मिल पाएगा साथ ही साथ उन कल कारखानों में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल पाएगा ।
इससे एक तो किसानों के आमदनी में गुणात्मक वृद्धि होगी और दूसरा यह कि रोजगार सृजित होगा साथ ही मजदूरों का पलायन भी रोकने में कामयाबी मिलेगी ।






























