बिहार को बाढ़ से बचाओ….

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कुमार राहुल

आज जो बिहार की स्थिति है, उस पर , दुष्यंत कुमार… की रचना बड़ी सटीक बैठती है,
बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं, और नदियों के किनारे घर बने हैं, चीड वन में आंधियां की बात मत कर ,
इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं।
ज्ञात रहे, कि उत्तराखंड में आई बाढ़ के पहले ही एक अखबार के संपादक ने आगाह किया था, कि इस तरह की दुर्घटना हो सकती है, लेकिन वहां पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया ,और फिर एक बड़ी दुर्घटना हुई । बिहार मैं भी एनडीए की ही सरकार है ।सरकार के लिए परेशानी ‘यास’ तूफान ने उत्पन्न किया है ।नेपाल के तराई क्षेत्र और उत्तर बिहार के जल ग्रहण क्षेत्र में हुई बारिश के बाद, नदियों में उफान ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है ।मई के महीने में नदियों में इतना पानी आज तक नहीं आया। नेपाल में भारी बारिश के वजह से गंडक बराज से 1.21 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, इस कारण उत्तर बिहार में कई ग्रामीण इलाकों में जल जमाव की स्थिति है।

बाल्मीकि नगर बराज उफान में है, कोसी बराज से 91000 क्यूसेक पानी आया ,कनकई, रतवा आदि सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है… नदियों के साथ बिहार के 23 जलाशय का जलस्तर मानसून से पहले ही उच्चतम स्तर में है ।गंडक नदी कटाव भी कर रही है ।






पहले कोरोना और फिर ..यास ..ने बाढ़ पूर्व तैयारियों को बड़ा झटका दिया है। तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी 30 फ़ीसदी काम पूरा नहीं हो पाया है ।जल संसाधन विभाग में बाढ़ पूर्व के लिए 298 योजनाओं को मंजूर किया है। इन पर 11 00 करोड़ रुपए खर्च होने हैं ,इस योजना के तहत नेपाल परक्षेत्र में 30 योजनाओं पर काम हो रहा है, इन पर 130 करोड़ रुपए खर्च करने की प्लानिंग है ।इन 298 में से 209 योजनाओं का काम लगभग पूरा हो चुका ।अब केवल 89 योजनाओं का काम ही बचा है। काम तेजी से हो इसलिए जल संसाधन मंत्री Sanjay jha खुद सारी योजनाओं की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। खास बात यह है कि उपरोक्त सारे काम तय समय सीमा 15 मई तक पूरे हो जाने थे। यास तूफान के कारण समय 31 मई तक बढ़ा दिया गया ,और अब खुद मुख्यमंत्री ने काम पूर्ण करने की मोहलत 15 जून तक दे दिया है आम तौर पर 15 जून के आसपास या कुछ पहले ‘मानसून’ बिहार में दस्तक दे देती है ।

मौसम विभाग के अनुसार इस साल अच्छी बारिश होने की संभावना है, ऐसे में पहले से भरे नदी ,तालाब ,तलैया ,बाढ़ की संभावना को काफी प्रबल कर देते हैं। बाढ़ की संभावनाओं से पहले ही बारिश से बिहार को काफी नुकसान हो चुका है ,सिर्फ पूर्णिया जिले में 62000 हेक्टर जमीन में मक्का और 23000 हेक्टर जमीन में मूंग की फसल लगाई गई है, जिसके नुकसान का आकलन करने का जिम्मा सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को दिया गया है ,जिससे किसानों को सही मुआवजा दिया जा सके। कोरोना, लॉकडाउन ,कृषि में नुकसान और बाढ़ की आशंका के साथ… नीति आयोग …एसडीजी इंडिया की तीसरी रिपोर्ट 2020-21 में बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब बताया है ,एसडीजी इंडिया इंडेक्स राज्यों और संघ प्रशासित क्षेत्रों को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में इनकी प्रगति को मापता है ।और इसी के आधार पर उनकी रैंकिंग तय करता है ।






खराब आर्थिक एवं विकास की स्थिति के बीच किसानों की फसलों के नुकसान का सही आंकड़ा सामने आ पाएगा ,इस पर सब को संदेह है। क्योंकि कोरोना काल में जब 700000 के एंबुलेंस को 22 -22 लाख में खरीद कर घोटाला किया जा सकता है ,तो किसान तो घोटाले का आसान शिकार हैं ..और कई बार तो ऐसा लगता है, बाढ़ को जानबूझकर आने दिया जाता है, इसका परमानेंट इलाज खोजने की कभी कोशिश नहीं की जाती,क्योंकि अक्सर राहत सामग्री वितरण में भी घोटाले.. कई बार सामने आ चुके हैं.. राहत सामग्री वितरण में भी कई बार राजनीति की बू आती है, बाढ़ से बचाव करने के समय व्यक्ति का धर्म पूछकर निर्णय नहीं किया जाना चाहिए ,अब आप डूबते हुए व्यक्ति से ‘आधार कार्ड ‘मांगोगे ,तो वह क्या करेगा?

हमने अजीबोगरीब निजाम का निर्माण किया है ।कि तूफान और बाढ़ में हुए विनाश के लिए सहायता भी मतदान के आधार पर की जा रही है। बाढ़ के बाद अक्सर गिरे पेडों की लकड़ियों को बेच दिया जाता है ,कल्पना करिए ,कि ऐसी लकड़ी से बने फर्नीचर में वह ..हाकिम ..आराम कर रहा है, जिसने बाढ़ राहत के लिए आए धन का घपला किया है, क्या ऐसी कुर्सी …बैठने वालों.. को प्रताड़ित करेगी .
निदा फ़ाज़ली . ने इस बारे में बहुत खूब कहा है कि,
चीखें घर के द्वार की लकड़ी
हर बरसात,कट कर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात,






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