किसान झेल रहे हैं दोहरी मार । मक्का के दाम में गिरावट से किसानों में मायूसी

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किशनगंज /दिघलबैंक

पिछले करीब 2 महीने से लॉकडाउन ओर बेमौसम हो रही बारिश से दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र में मक्का किसान दोहरी मार झेल रहें हैं। जिससे किसानों में दशा सुघरने के बजाय स्तिथि दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।

किसानों की माने तो अप्रैल महीनें के से ही खेतो में मक्का तोड़ने लायक पक गया है, परंतु पिछले कुछ दिनों से आये दिन बेमौसम बारिश और हवा से उनका फसल बर्बाद हो रहा है, कई ऐसे भी किसान है जो खेतों से मक्का तोड़ भी लिए है तो तेज घुप के अभाव में सुखाने के वजह से दाने काले हो रहें हैं।

प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव के किसान बताते हैं कि एक तरफ कोरोना संक्रमण को लेकर देश भर में लॉकडाउन 4 चल रहा हैं वही दूसरी तरफ मौसम भी मक्का किसानों का साथ नहीं दे रही है। हालत यह है कि बाजार बंद होने से मक्का एक हजार से ग्यारह सो रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर है।

जो लागत ओर रात दिन मेहनत के हिसाब से काफी कम है। किसानों ने कहा कि एक तरफ सरकार जहां किसानों को आमदनी बढ़ाने की बात करते है तो दूसरी तरफ जब किसानों का फसल तैयार हो जाता है तब फसल बेचने का कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में किसान करें तो करें किया। यही चिंता सताए जा रही हैं। किसान बतातें है कि पिछले वर्ष मक्का का भाव दो हजार से 22 सौ था।

इसी बात को लेकर प्रखंड के किसानों का एक शिष्ट मंडल प्रखंड विकास पदाधिकारी दिघलबैंक पुरण साह से मिलकर समुजित मूल्य की मांग को लेकर जिला पदाधिकारी एवं जिला कृषि पदाधिकारी के नाम पत्र शोपा था। गौर हो कि एक अनुमान के तहत दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र के किसान पिछले एक दशक से कृषि योग भूमि में 95 फीसदी मक्का खेती करते आ रहें हैं। पर इस ओर किसी ओर घ्यान नहीं जाता ।

किसान झेल रहे हैं दोहरी मार । मक्का के दाम में गिरावट से किसानों में मायूसी