मार्केट का नया बादशाह बना “बिटकॉइन”

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सुशील दुबे

डिजिटल क्रांति के साथ बदलते काम करने के तकनीक और इससे उत्पन्न होती नई सम्भावनाओ ने कई सारे नए नए रास्ते तैयार कर दिए हैं।
इसी बदलते तकनीक और प्रारूप ने जन्म दिया “बिटकॉइन” को।

बिटकॉइन ब्लॉकचैन तकनीक पर आधारित एक कंप्यूटर प्रोग्राम है।बिटकॉइन बीते कई वर्षों से तब चर्चा में आया जब इसकी मार्केट वैल्यू अचानक से बढ़ने लगी।






डार्क वेब, इंटरनेट की काली दुनिया जो पर्दे के पीछे काम करती है, और इस डार्क वेब का ज्यादातर इस्तेमाल गैर कानूनी कार्यो में सबसे ज्यादा किया जाता है|

मालूम हो कि डार्क वेब पर स्थित वेब साइट आपके सामान्य ब्राउज़र पर खुलेंगे ही नहीं।

इन्ही डार्क वेब की गतिविधियों ने जन्म दिया एक ब्लॉकचैन तकनीक को जो एक यूजर से दूसरे यूजर तक कोई भी जानकारी बिना किसी मध्यस्थता के पहुँच जाता है।

डार्क वेब पर शुरू हुए ब्लॉकचैन तकनीक ने इसके सकारात्मक पक्ष पर को भी उजागर किया जिससे बैंक जैसी मध्यस्थता करने वाली संस्थाओं के बिना ही लेन देन आदि ट्रांजेक्शन चुटकियों में किया जा सकता था।

इसी ब्लॉकचैन तकनीक पर आधारित एक जापानी शख्स सतोषि नाकामोटो ने बिटकॉइन जैसी एक क्रिप्टो टेक्नोलॉजी जो कही ज्यादा सुरक्षित और सुलभ है उसकी रचना कर डाली।

चूंकि यह एनक्रिप्टएड है अर्थात कठिन कंप्यूटर प्रोग्राम के कोड द्वारा निर्धारित है सुरक्षित है और साथ ही कई भागों में विभाजित भी है तो एक प्रोग्राम एक यूनिट बन गया।

जब डार्क वेब पर लेन देन के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा तो धीरे धीरे इसकी एक वैल्यू अर्थात मूल्य निर्धारित होते गए।

वहीं जब समय के साथ ब्लॉकचैन तकनीक को दुनियाभर में मान्यता मिलने लगी तो इस कंप्यूटर प्रोग्राम यानी बिटकॉइन की मांग बढ़ने लगी।

इसी मांग को पूरा करने के लिए “माइनर्स” जैसे ग्रुप बनने लगे जो अपने कंप्यूटर के हार्डवेयर की क्षमता को इंटरनेट पर लीज आउट करने लगे।






लीज आउट अर्थात बिटकॉइन को ब्लॉकचैन पर एक यूजर के सूचनाओं को दूसरे यूजर तक ले जाने के लिए बहुत ही उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर प्रोग्राम और हार्डवेयर की आवश्यकता होती है,तो जिन लोगो के पास ऐसी क्षमता होती वो इंटरनेट के माध्यम से अपनी कम्प्यूटर की क्षमता को बेचने लगें, इससे बिटकॉइन के ब्लॉकचैन पर स्पीड बढ़ती गयी और अलग से किसी खास मूलभूत संरचना की दरकार भी नही हुई।

साल 2015 जब बिटकॉइन की हलचल शुरू हुई थी तब जनवरी में इसका मूल्य 900 डॉलर के लगभग था जिसका भारतीय मूल्य लगभग 1500 रुपयों के आसपास था।
वही आज साल 2020 की बात करे तो इसका मूल्य 17 लाख रुपयों से ऊपर जा चुका है।

2018 में भारत सरकार के फैसलों के कारण इसका व्यापार बंद कर दिया गया था, भारत मे इस फैसले के बाद इसके मूल्य में बहुत ही गिरावट आ गयी थी।

परन्तु बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी फैसले पर रोक लगाते हुए सरकार को इसे लेकर नियामक तय करने का आदेश पारित किया।

शेयर बाजार की भांति अलग से बन गए क्रिप्टो कर्रेंसी एक्सचेंज जिनके द्वारा ट्रेडिंग की जा सकती है आज सबका ध्यान आकर्षित कर रही है।
बिटकॉइन जिसे दुनिया के कई नामी लोगो ने एक बुलबुले की संज्ञा दी थी, और कहा था कि यह एक पॉन्जी स्कीम है और इतनी ज्यादा मुनाफा देने वाली कोई चीज हो ही नही सकती।

आज जब बिटकॉइन और इसके जैसे कई क्रिप्टो कर्रेंसी जो क्रिप्टो मार्केट के नई ऊंचाइयों को छू रही है तब विशेषकर भारत जैसे देश मे जहाँ अब तक इसकी कोई गवर्निंग बॉडी नही बनी तो देश के निवेशकों के पैसों का और साथ ही इसके लेन देन संबंधी नियामकों की नीति निर्देश कौन जारी करेंगे यह देखने वाली बात होगी।

इसकी सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा कि देश के निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहें और हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शेयर बाजार पर इसका कोई विपरीत प्रभाव न दिखे।

पर फिलहाल निवेशकों की माने तो आने वाले वर्षों में 2025 तक बिटकॉइन 50 लाख से 1 करोड़ तक कि वैल्यू को छू सकता है।

टीम न्यूज़ लेमनचूस की सलाह है कि ऐसे निवेश से पहले पाठक इससे जुडी सारी जानकारी और लाभ एवम नुकसान की सोच कर ही इन्वेस्टमेंट पर विचार करें।

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