बड़ी खबर ! बिहार का यह जिला है  मानव व्यापार का बड़ा केन्द्र ।

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 किशनगंज / राजेश दुबे 

सैकड़ो लड़किया वर्षो से है लापता ।

2018 से 2020 में पुलिस की सक्रियता से कई लड़कियां करवाई गई मुक्त ।

*जिले मे देह व्यापार  के आधा दर्जन केंद्र जहा शाम होती है रंगीन । 

बिहार नेपाल बाग्लादेश सहित देश के अलग अलग जिलो तक फैला है मानव तस्करो का नेटवर्क ।
नेपाल बंगलादेश सीमा से बिलकुल सटे होने का खामियाजा सीमावर्ती किशनगंज  जिले को उठाना पड़ रहा है जिले में चल रहे चकला घरो में जिन्दगिया खुलेआम  बर्बाद हो रही है ।

नेपाल , बंगलादेश के साथ साथ बिहार के सीतामढ़ी , मुजफ्फर पुर , बेगूसराय की लड़कियों को जहा इस जिले के चकला घरो में धकेला जा रहा है वही जिले के ग्रामीण क्षेत्रो की लड़कियो को बहला फुसला देश के अन्य जिलों में स्थित चकला घरो में गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर किया जाता रहा है ।मालुम हो कि सबसे कम साक्षरता दर वाले किशनगंज जिले में मानव तश्करी के जो आकडे सामने आये है वो बड़े ही चौकाने वाले है पिछले दो साल  में दर्जनों लडकियो को बिकने से बचाया गया है कही पुलिस की तत्परता तो कही सामाजिक जागरूकता ने इन लडकियो की जिंदगियो को बर्बाद होने से बचा लिया ।

लेकिन सब इतने भाग्यशाली नहीं है पिछले १० वर्षो में ग़ुम /लापता हुई लडकियो के आकडे(१०० से अधिक ) बेहद ही महत्व रखते है की किस तरह से सीमाचंल का यह जिला बेटियो की खरीद फरोख्त का मुख्य केंद्र बन चूका है ।

रविया ,सोनी ,नुसरत ,फातिमा ,सीमा ,(काल्पनिक नाम )आदि कई ऐसी लडकिया है जो वर्षो से लापता है परिवार वाले ढूंढ़ – ढूंढ़ कर अंत में थक कर बैठ गए । आखिर बेचारे करे तो क्या करे इन लडकियो के ग़ुम होने के पीछे कारण भी कोई और नहीं प्रेम की जाल में भोली भाली लडकियो को दलालों ने तो कही कही सगे सम्बंधियो ,पड़ोसियो ने ही कुछ रूपये की खातिर बेच डाला ।

2018 में सौतेली मां के प्रताड़ना से परेशान प्रेमी संग भागी लड़की मुजफरपुर में दलाल के जाल में के चंगुल में फस गई जिसे दलाल ने किशनगंज में बेच दिया लेकिन मौका देख वो रेड लाइट एरिया से फरार हुई जिसके बाद पुलिस ने एक पुरुष  दलाल के साथ तीन महिला दलाल को गिरफ्तार किया ।जबकि  जिले से अगस्त 2019 में 9 लड़कियां मुक्त करवाई गई वहीं फरवरी 2020 में एसपी कुमार आशीष के निर्देश पर गठित पुलिस टीम ने खगड़ा स्थित रेडलाइट एरिया में छापेमारी कर सीतामढ़ी की रहने वाली एक नाबालिग लड़की को देह व्यापार के धंधे से मुक्त कराया।
 उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक चकला घर से लौट कर आई एक लड़की को तो उसकी सगी नानी ने ही बेच डाला ऐसे दर्जनों मामले है जहा सौतेली माँ तो कही सौतेला बाप तो कही पति ने ही रूपये के खातिर जिंदगियो का सौदा कर डाला है ।

जिले में दर्जनों चकला घर मौजूद है जो सभ्य समाज और समाज सेवी संगठनों का मुँह चिढाते दिख जायेंगे ।शहरी क्षेत्रो की तो बात जाने दे ग्रामीण क्षेत्रो में भी ये चकला घर मौजूद है जहा शाम होते ही रंगीनिया अपने चरम पर होती है और इन रंगीनियो में बचपन को कुचलने का काम खुले आम होता है ऐसा नहीं है की इन चकला घरो के विरोध में स्वर नहीं उठे लेकिन विरोध मे उठने वाले हर  स्वर को कुछ दिन बाद दबा देने का काम भी कर दिया जाता है तस्करो का नेटवर्क इतना मजबूत और हमारा कानून इतना कमजोर है की इसका लाभ खुले आम तस्करो द्वारा उठाया जाता है कुछ दिन की सजा काटने के बाद ये फिर से अपने धंधे में लग जाते है और एक नया शिकार ढूंढ़ते है ।

मालुम हो कि जिले के चकलाघरो मे तो देह व्यापार का अवैध कारोबार चल ही रहा है लेकिन सभ्रात ईलाको मे भी बड़े पैमाने पर यह कारोबार दिन के उजाले मे चल रहा है जंहा ग्रामीण क्षेत्रो से पढने आने वाली लड़कियो को जाल मे फंसा कर देह व्यापार के धंधे मे ढकेलने का काम चल रहा है जो कि विचारणीय प्रश्न खड़े कर रहा है । विगत दिनो ऐसे ही एक नाबालिग बिकते बिकते बच गई लेकिन सब सीमा (काल्पनिक नाम ) के तरह भाग्यशाली नही होते ।ये तो कुछ ऐसे मामले है जो सामने आए जबकि कई ऐसे हाई प्रोफ़ाइल मामले होते है जिसमें परिजन नहीं चाहते है कि वो उजागर हो ।

क्या होता है बचाई गई लडकियो का ? 


जिन लडकियो को चकला घरो से बचाया जाता है या बच निकलती है उनके लिए सरकार द्वारा अभी तक वैसी कोई कल्याण कारी योजना नहीं बनाई गई है ।जिससे की उनका जीवन सुधर सके मात्र बचाई गई लडकियो को अल्प आवास गृह में कुछ दिन के लिए रख दिया जाता है बाद में ये लडकिया यदि परिजनों ने स्वीकार किया तो अपने घर चली जाती है  या फिर से चकला घर पहुँचने को मजबूर हो जाती है यही इनकी नियति बन जाती है हलाकि कई गैर सरकारी संगठन माना तस्करी पर कार्य कर रहे है लेकिन इनका काम कागजो पर ही सिमटा हुआ है ऐसे में जरुरत है की मानव तस्करी के पुरे नेटवर्क को जड़ से समाप्त किया जाये लोगो में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलया जाये जिससे की बचपन काल कोठरी में गुमनाम होने से बच सके  ।

सबसे ज्यादा पड़ गई