किशनगंज/संवादाता
एक सप्ताह से लगातार चलने वाले त्याग,तपस्या,ध्यान,मौन,खाद्य संयम,स्वाध्याय,जप आदि के आध्यात्मिक अनुष्ठानों के बाद आठवें दिन शनिवार को उपवास रखकर समवत्सरी पर्व मनाया गया। समवत्सरी पर्व के दिन बड़ों के साथ छोटे छोटे बच्चों ने भी 36 घण्टे से ज्यादा समय तक निराहार रह उपवास किया।वहीं श्वेतांबर समुदाय द्वारा प्रतिष्ठान बन्द रख कारोबार भी नही किया गया।
पर्युषण पर्व के दौरान सात दिन होने वाले आध्यात्मिक अनुष्ठान कोविड के मद्देनजर तेरापंथ भवन की जगह घरों में ही लोगों ने मनाया।श्वेतांबर समाज के लोगों ने पर्युषण पर्व के दौरान अखंड जाप का कार्यक्रम भी जारी रखा।नेपाल बिहार तेरापंथ सभाध्यक्ष डॉ राजकरण दफ्तरी ने बताया कि कोविड 19 के मद्देनजर सरकार की गाइडलाइंस के पालन और कोरोना संक्रमण के बचाव को लेकर नेपाल बिहार क्षेत्र की सभी सभाओं को निदेश दे दिया गया था कि बिना एकत्रित हुए पर्युषण पर्व मनाना है।

सभी सभाओं ने इसका पालन करते हुए घर पर रहकर ही पर्युषण पर्व मनाया है।श्री दफ्तरी ने न्यूज़ लेमनचूस को बताया कि आज मैत्री दिवस भी जूम के माध्यम से सभी सभाएं आयोजित करेगी।लोग ऑनलाइन ही साल भर हुई जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करेंगे।

ऐसा माना जाता है कि तप,जप,ध्यान स्वाध्याय के द्वारा क्रोध,मान,माया, लोभ,राग,द्वेष आदि आंतरिक शत्रुओं का नाश होता है। जैन धर्म की त्याग प्रधान संस्कृति में संवत्सरी पर्व का अपना अपूर्व एवं विशिष्ट आध्यात्मिक महत्व है।जैन धर्म मे ऐसा माना गया है कि संवत्सरी अंतरात्मा की आराधना का पर्व है,आत्मशोधन का पर्व है,जैसे सोना तपकर निर्खाद बनता है वैसे इंसान तपकर भगवान बनता है। यह पर्व अज्ञानरूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश की ओर ले जाता है।
तेरापंथ सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी ने बताया कि समाज के सभी लोगों ने एहतियात बरतते हुए जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों के मुताबिक ही घरों पर रह पर्युषण महापर्व मनाया।मैत्री दिवस के दिन लोग एक जगह एकत्रित होकर एक दूसरे से क्षमा याचना करते है।इस बार कोविड के चलते हमलोग रविवार को एक जगह एकत्रित होने की जगह मैत्री दिवस ऑनलाइन जूम के माध्यम से ही मनाएंगे।





























