देश :भारत सहित दुनिया के करोड़ों बच्चो की जान खतरे में , रक्त में यह तत्व है अत्यधिक

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देश/डेस्क

दुनिया भर के हर तीसरे बच्चे के खून में सीसे(लेड) की मात्रा ज्यादा है और इसके कारण इन बच्चों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, एक नए शोध में यह चौकाने वाला दावा किया गया है.


रिपोर्ट के अनुसार, 19 वर्ष से कम आयु के लगभग 800 मिलियन बच्चों और युवाओं के खून में लेड की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर (5μg / dl) से अधिक या इसके ऊपर होने की संभावना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खून में लेड की मात्रा कितने हो, जिससे व्यक्ति सुरक्षित रहेगा, इसको लेकर कोई पैमाना नहीं है क्योंकि लेड की थोड़ी भी मात्रा काफी हानिकारक होती है और यह एक खतरनाक विष के रूप में कार्य करता है. वहीं खून में लेड की 5μg / dl से अधिक की मात्रा को काफी खतरनाक माना जाता है और यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के अनुसार, इस मात्रा में तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है.कैच न्यूज़ के मुताबिक


गुरूवार को यूनिसेफ द्वारा प्रकाशित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के एक शोध में यह बाते कही गई हैं. शोध के अनुसार, जो बच्चे दशकों से पेट्रोल, पेंट और पानी के पाइप से संबंधित काम कर रहे हैं उनमें खतरा अधिक है. 


यूनिसेफ के नीति विशेषज्ञ और रिपोर्ट के लेखक निकोलस रीस ने कहा,”यह एक बिल्कुल चौंकाने वाला आंकड़ा है. हम लेड की जहरीले प्रकृति के बारे में इतने लंबे समय से जानते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि यह कितना व्यापक है, और कितने बच्चे प्रभावित हैं”


लेड एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है जिसकी उच्च मात्रा लोगों की जान भी ले सकती है, जबकि इसकी थोड़ी मात्रा भी उल्टी, दर्द, विकास में देरी, मानसिक कठिनाइयों और मनोदशा संबंधी विकारों के लक्षण पैदा करती है. खून में लेड की मात्रा कम हो तो बच्चों के समय से पहले पैदा होने की भी समस्या हो सकती है.


बच्चों में लेड का मात्रा अधिक होना चिंताजनक बात है क्योंकि वो इससे उबर नहीं पाते है. बच्चों के खून में लेड की अधिक मात्रा उनके मस्तिष्क के विकास को रोकती है और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती है. इतना ही नहीं यह सब समय के साथ होता है और अचानक से इसके लक्ष्ण दिखाई नहीं देते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, लेड हड्डियों में मौजूद कैल्शियम के साथ छिपा रहता है और इंसान के शरीर के निर्माण के साथ ही वो बढ़ता रहता है, इस दौरान लेड शरीर के महत्वपूर्ण अंग गुर्दे, हृदय और फेफड़ों सहित अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विकासशील देशों में बच्चों को ज्यादा खतरा है.


शोध की मानें तो खून में लेड की 5μg / dl मात्रा के कारण बच्चों के आईक्यू स्कोर में 3-5 अंक तक की कमी आ सकती है. यूनिसेफ की रिपोर्ट में पाया गया है कि लेड की मात्रा अधिक होने के कारण व्यक्ति सामान्य से दोगुना अधिक हिंसा हो सकता है. बता दें, हर साल 9 लाख से अधिक लोग लेड की अधिकता के कारण अपनी जान गंवा देते हैं.


सबसे अधिक मात्रा में लेड कार की उन खराब बैट्री से निकलता है जिनके निर्माण में लेड-एसिड का इस्तेमाल हुआ हो. इन बैट्री के गलत तरीके से रिसाइकल करने के कारण दुनिया भर का करीब 85 फीसदी लेड इन्हीं से आता है.

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